खुल गई नई पनामा नहर
9 साल के निर्माण कार्य के बाद आखिरकार पनामा नहर चौड़ी हो गई. करीब 13,000 किलोमीटर का समुद्री सफर बचाने वाली इस नहर से अब विशाल जहाज भी गुजर सकते हैं.
पश्चिम का गेट
पनामा नहर 82 किलोमीटर लंबी है. पुरानी नहर विशाल जहाजों के लिए छोटी पड़ रही थी. इसकी वजह से पनामा की अहमियत कम हो रही थी. लिहाजा नहर में नए और बेहद चौड़े लॉक लगाने का फैसला किया गया. नहर प्रशांत और अटलांटिक महासागर को जोड़ती है.
वो पहला जहाज
चाइनीज कंपनी का जहाज "कोस्को शिपिंग पनामा" चौड़ी नहर से गुजरने वाला पहला जहाज बना. जहाज को लॉक पार कराने वाले कप्तान ने कहा, "मैं यहां से कई बार गुजरा हूं लेकिन पहली बार जहाज को नए चैनल से ले जाना जबरदस्त अनुभव रहा."
कई बार अभ्यास
उद्घाटन से पहले कई बार मॉडल जहाज को नहर के नए और विशाल लॉक से गुजारने का अभ्यास किया गया. अब 366 मीटर लंबे और 49 मीटर चौड़े जहाज यहां से गुजर सकेंगे. नए लॉक 14,000 कंटनरों से लदे जहाज को भी आर पार करा सकते हैं. उम्मीद है कि नए लॉक लगाने के बाद नहर से 60 करोड़ टन सामान की आवाजाही होगी, पहले से करीब दोगुना सामान.
अथाह खर्च
नहर को चौड़ा करने में करीब 5.25 अरब डॉलर लगे. पूर्वानुमान से दो अरब डॉलर ज्यादा खर्च हुए. लॉक बनाने में 40,000 लोगों की मेहनत लगी. 15 करोड़ घनमीटर मिट्टी हटाई गई. 1,92,000 टन स्टील का इस्तेमाल हुआ. मजदूरों की हड़ताल के चलते निर्माण कार्य दो साल देर से पूरा हुआ.
बड़े जहाजों के लिए बड़े लॉक
पनामा नहर में तीन लॉक सिस्टम लगे हैं. इन लॉकों में करोड़ों लीटर पानी भरा जाता है. यह पानी जहाजों को ऊपर उठाता है और अगले लॉक तक ले जाता है. इस तरह जहाज ऊपरी झील तक पहुंचते हैं. नीचे आते समय लॉकों का पानी कम किया जाता है. नए लॉकों के बनने के बाद दुनिया भर के 96 फीसदी जहाज इसका इस्तेमाल कर सकेंगे.
आर्थिक कारण
38 लाख की आबादी वाला देश पनामा, राजस्व के लिए नहर पर काफी हद तक निर्भर है. जहाजों पर लगने वाले टैक्स की बदौलत देश हर साल अरबों डॉलर कमाता है. उम्मीद है कि नए लॉक लगने के बाद पनामा को नहर से हर साल 4 अरब डॉलर की कमाई होगी. नहर देखने हर साल लाखों टूरिस्ट भी आते हैं. स्थानीय अर्थव्यवस्था को इस पर्यटन से खासा सहारा मिलता है.
अमेरिकी प्रभाव से मुक्त
1999 में अमेरिका ने नहर का नियंत्रण पनामा को दे दिया. असल में 1903 में निर्माण से पहले ही अमेरिकी सेना ने इस इलाके को अपने नियंत्रण में ले लिया था. नहर को नियंत्रण में रख अमेरिका अपना सप्लाई रूट खुला रखना चाहता था.
एक सदी का सफर
पनामा नहर से पहला जहाज 15 अगस्त 1914 को गुजरा. उसमें 200 मुसाफिर सवार थे. इस नहर को अमेरिकी सेना की इंजीनियर्स कॉर्प्स ने बनाया था. 1905 से 1914 तक चले निर्माण कार्य के दौरान 6,000 लोगों की जान गई.
पनामा को चुनौती
उत्तर में निकारागुआ अब पनामा से भी चौड़ी नहर बना रहा है. प्रोजेक्ट को चीन फाइनेंस कर रहा है. निकारागुआ की नहर पनामा के नहर की अहमियत कम कर सकती है. कम से कम आमदनी में बंटवारे की आशंका तो है ही. प्रतिस्पर्धा कारोबार बढ़ाती है, लेकिन इस नहर से यह होगा या नहीं, समय बताएगा.