1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

खुद शोषित हुई महिलाएं यूं बांट रही हैं दूसरों का दर्द

१ मार्च २०१७

देह व्यापार में फंसी महिलाएं एक-दूसरे की मदद और हौसला अफजाई के नायाब तरीके निकाल रही हैं. कोलकाता की रेगिना खातून ऐसी ही शोषण की शिकार महिलाओं को अब खत लिखकर हिम्मत बनाये रखने का संदेश दे रही हैं.

https://p.dw.com/p/2YSlm
Indien Prostitution Prostituierte und Kunde
तस्वीर: AP

रेगिना खातून को कुछ समय पहले ही देह व्यापार के अवैध कारोबार से निकाला गया. हाल ही में जब इन्हें पता चला कि पास के ही एक कारखाने में महिलाओं के साथ शोषण किया जा रहा है तो रेगिना ने महिलाओं के नाम एक खत लिखा और उनकी हौसला अफजाई करते हुये उन्हें मजबूत बने रहने को कहा. हालांकि ऐसा करने वाली रेगिना अकेली नहीं हैं.

पिछले छह महीने से रेगिना, देह व्यापार से बच कर निकली अन्य महिलाओं और लड़कियों के साथ मिलकर सेक्स पीड़ित और बेगार के लिए मजबूर महिलाओं के प्रति अपना सहयोग जाहिर करने के लिए उन्हें खत लिख रही हैं. अखबार में छपी खबरें देखकर रेगिना खातून जैसी महिलायें ये चिट्ठियां लिखती हैं.

तमिलनाडु के एक कारखाने में काम करने वाली महिलाओं ने सुपरवाइजर और अन्य पुरुष कर्मचारियों द्वारा किये जा रहे यौन शोषण के खिलाफ प्रशासन से मदद की गुहार लगाई थी. इस खबर को पढ़ने के बाद रेगिना ने इन पीड़ित महिलाओं तक अपना संदेश पहुंचाने का फैसला किया.

रेगिना और शोषण की शिकार अन्य 12 महिलाओं ने कारखाने में काम करने वाली इन महिलाओं को खत में लिखा है, "हम आपका दर्द समझते हैं और आपकी हिम्मत की तारीफ भी करते हैं. आप लोगों ने नौकरी की परवाह किये बिना इस शोषण के खिलाफ आवाज उठाई. हमारी हिम्मत और सहयोग आप लोगों के साथ है. आप लोग अपनी हिम्मत बनाये रखें."

महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन वाक फ्री फाउंडेशन के आंकड़ों मुताबिक देश के 18 लाख लोग अब भी गुलामी के चक्र में फंसे हुये हैं. इसमें शामिल लड़कियों और महिलाओं को वेश्यालयों को बेच दिया जाता है और कुछ ईट-भट्ठों और कपड़ा कारखानों में फंस जाते हैं. रेगिना बताती हैं कि महज 13 साल की उम्र में उन्हें बेच दिया गया था और वे तमिलनाडु की इन महिलाओं के साथ बड़ी निकटता महसूस कर रही हैं.

रेगिना ने कहा, "मैं इनकी पीड़ा को समझती हूं और उनकी इस लड़ाई में उनके साथ हूं."

मनोवैज्ञानिक इन महिलाओं के बीच बनते इस भावनात्मक रिश्ते को सकारात्मक मानते हैं. गैरलाभकारी संस्था संजोग के साथ जुड़ी उमा चटर्जी कहती हैं कि इन चिट्ठियों से पीड़िताओं को हिम्मत मिलेगी और वे बराबरी और न्याय की अपनी लड़ाई जारी रख सकेगी.

बकौल रेगिना जब उन्होंने कारखाने में काम करने वाली महिलाओं के साथ हो रहे शोषण के बारे में पढ़ा तो मुझे बहुत गुस्सा आया था. रेगिना बताती हैं, "चार साल तक मैंने भी मारपीट, गाली-गलौज, बलात्कार सब सहा है. अब मैं इस सब से बाहर निकल आई हूं लेकिन ये महिलायें आज भी फंसी हुई हैं और इनका शोषण आज भी जारी है."

एए/आरपी (रॉयटर्स)