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खाना ही नहीं उसकी पैकिंग भी खाइए

आरपी/एमजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)१२ सितम्बर २०१६

प्लास्टिक के कारण होने वाला कचरा पूरी दुनिया की समस्या बना हुआ है, जिसे सुलझाने में ये खोज बहुत असरदार हो सकती है. देखिए खाने वाली पैकिंग.

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तस्वीर: Reuters

दुकानों के सामान ही नहीं आजकल तो बाजार से खरीदी जाने वाली सब्जी भी प्लास्टिक में पैक होती है. अब रिसर्चरों ने दूध के प्रोटीन से बनी एक ऐसी महीन झिल्ली विकसित की है जो प्लास्टिक की जगह ले सकती है.

यह दूध में मिलने वाले कैसीन नाम के प्रोटीन से बनी होती है. अमेरिका के कृषि विभाग के वैज्ञानिक बताते हैं कि इस पैकेजिंग में कोई स्वाद नहीं है लेकिन वे इसमें भी कुछ स्वाद डालने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ साथ इन झिल्लियों में विटामिन, प्रोबायोटिक और दूसरे पोषक तत्व भी जोड़े जा सकते हैं.

दिखने में प्लास्टिक की पतली परत सी लगने वाली यह झिल्ली खाने को हवा के संपर्क में आ कर खराब होने से बचाने में उससे 500 गुना बेहतर है. इसके अलावा यह आसानी से विघटित हो जाती है और पर्यावरण में प्रदूषण का कारण नहीं बनती.

दुनिया भर में पैदा होने वाला करीब 30 से 40 फीसदी खाना कभी किसी का निवाला नहीं बनता. क्योंकि या तो उत्पादन के ठीक बाद, या वितरण के समय या फिर दुकानों या घर में रखे रखे खराब हो जाता है. हर रात विश्व के 80 करोड़ लोग भूखे सोने को मजबूर हैं. 2030 तक संयुक्त राष्ट्र ने भूखमरी के शिकार लोगों की संख्या को आधा करने का लक्ष्य रखा है. यह प्रोटीन पैकेजिंग मैटीरियल भी इस लक्ष्य को पाने में मददगार हो सकता है.

खाने योग्य पैकेजिंग के तौर पर बाजार में स्टार्च पहले ही लाया जा चुका है. लेकिन वो इस प्रोटीन झिल्ली के मुकाबले ज्यादा रन्ध्र वाला होता है और इसी लिए ज्यादा दिनों तक खाने को खराब होने से बचा नहीं पाता. इस प्रोटीन कवर के अगले तीन सालों में बाजार में उपलब्ध होने की उम्मीद है.