खतरनाक और नुकसानदेह है ट्रंप का वीजा बैन
३० जनवरी २०१७डॉनल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान आतंकवाद, मुसलमानों और आप्रवासन से डर का फायदा उठाया. अमेरिका आने वालों की सख्त जांच और मुसलमानों के आने पर पूरी तरह प्रतिबंध के उनके नारों की दुनिया भर में निंदा हुई. लेकिन अपनी रैडिकल मांगों के साथ उन्होंने चुनाव अभियान का माहौल तय किया और अपने असली मतदाताओं का समर्थन पुख्ता किया. इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि डॉनल्ड ट्रंप ने पद संभालने के पहले ही हफ्ते में अपनी नीतियों को लागू करना शुरू कर दिया है.
मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाना पहला हिस्सा था. अब सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका आने पर लगाई गई रोक दूसरा हिस्सा है. जबकि मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाने की ट्रंप की घोषणा फिलहाल सिर्फ घोषणा ही है, लेकिन अध्यादेश के जरिये लगाई गई और अनाड़ी की तरह बिना सोचे समझे तैयार वीजा रोक ने फौरन असर दिखाया है. ट्रंप के फैसले का नतीजा रहा, दुनिया भर के हवाई अड्डों पर फंसे यात्री, असाहय विमान सेवाएं, अनभिज्ञ सुरक्षाकर्मी और अलग अलग बयान देते सरकारी अधिकारी.
वीजा रोक से ज्यादा सुरक्षा नहीं
कुछ ट्रंप समर्थक कहेंगे कि चलो ठीक है, शुरुआती तैयारी अच्छी नहीं थी, लेकिन नई सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को बेहतर कर रही है इसलिए यह कदम सही था. लेकिन यही बात ठीक नहीं है. क्योंकि सात मुस्लिम बहुल देशों के सभी नागरिकों के आने पर रोक मनमानी है, असंगत है और अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ है. यह सवाल तो उठता ही है कि सात संभवतः सुरक्षा की दृष्टि से समस्या वाले देशों के लोगों पर अमेरिका आने पर रोक लगाई गई है, लेकिन उन देशों पर क्यों नहीं जिनके लोग अमेरिका पर आतंकी हमलों में सचमुच शामिल थे, जैसे कि सऊदी अरब? और क्यों बच्चों और बूढ़ों को हवाई अड्डे पर रोकना आतंकवाद को रोकने के लिए जरूरी है?
सैद्धांतिक रूप से इसमें कुछ भी गलत नहीं है कि एक नई सरकार सुरक्षा कदमों पर पुनर्विचार करे. लेकिन अमेरिका के पास पहले से ही अमेरिका आने के इच्छुक लोगों की जांच के लिए एक व्यापक और गहन प्रोग्राम है, खासकर सुरक्षा की दृष्टि से समस्या वाले देशों के लिए. इसी जटिल प्रक्रिया की वजह से अमेरिका ने दूसरे देशों की तुलना में बहुत कम शरणार्थियों को अपने यहां जगह दी है. इसलिए ये जल्दबाजी का कदम सुरक्षा के लिए गैरजरूरी और गलत है.
लेकिन इतना ही नहीं लोगों के आने पर रोक से उल्टे नतीजे होंगे. क्योंकि दुनिया भर में बहुत से मुसलमानों के लिए ये उस संदेश की पुष्टि है जिसे उम्मीदवार ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान खुद भेजा था, कि उनका और उनके धर्म का ट्रंप के अमेरिका में स्वागत नहीं है. और यह दुनिया भर में इस्लामी कट्टरपंथियों के हाथों में खेलने जैसा है. लेकिन सिर्फ बहुत सारे मुसलमान ही सदमे में नहीं हैं, अमेरिका और अमेरिका के बाहर परंपरागत रूप से खुले अमेरिका के समर्थक भी भौंचक्के हैं कि सिर्फ एक हफ्ते में ट्रंप ने अमेरिका की छवि को कितना नुकसान पहुंचाया है और पहले से विभाजित देश को और बांट दिया है. और डर तो है ही कि अभी तो बस शुरुआत है. अगला चुनाव होने में अभी 1373 दिन बाकी हैं.