क्रिकेट में रिव्यू सिस्टम पर भारत का विरोध जारी
२६ जून २०१२कुआलालंपूर में क्रिकेट संघ के प्रमुखों की बैठक में भारत ने इसका विरोध किया. भारतीय अधिकारियों ने कहा कि डिसिजन रिव्यू सिस्टम के बारे में "उनका मत नहीं बदला है". जबकि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने सभी अंतरराष्ट्रीय टेस्ट और वनडे मैचों के लिए इस तकनीक को अनिवार्य कर दिया है. खासकर उन क्रिकेट बोर्ड के लिए जहां पैसा कोई मुश्किल नहीं हो. बीसीसीआई ने बयान में कहा, बीसीसीआई अभी भी यही मानता है कि सिस्टम फूलप्रूफ नहीं है. "बोर्ड यही सोचता है कि किसी सीरीज के लिए डीआरएस का इस्तेमाल करना या नहीं यह उस सीरिज में शामिल बोर्ड पर ही छोड़ दिया जाना चाहिए."
इस टिप्पणी के साथ डीआरएस पर जारी बहस और गहराने की आशंका है. इस तकनीक के तहत अंपायर के फैसले की पुष्टि के लिए बॉल ट्रैकिंग और थर्मल इमेजिंग का इस्तेमाल किया जाता है. भारत के दबाव के कारण पिछले साल इस तकनीक के इस्तेमाल को बोर्ड पर छोड़ दिया गया था. लेकिन अब आईसीसी ने इसे अनिवार्य करने का फैसला किया है.
भारत दुनिया के क्रिकेट बोर्ड में सबसे अमीर में हैं. उसे डीआरएस पर भरोसा नहीं है. क्योंकि उसका मानना है कि तकनीक सटीक नहीं है. 2008 में श्रीलंका टेस्ट सीरीज के दौरान इसे उपयोग में लाया गया था. तब इसकी टेस्टिंग चल रही थी.
इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया सहित अधिकतर क्रिकेट खेलने वाले देश इस सिस्टम के पक्ष में हैं. पाकिस्तान के कोच डेव व्हाटमोर ने दो दिन पहले ही कहा कि श्रीलंका सीरीज में इस तकनीक का इस्तेमाल पैसों की कमी के कारण नहीं किया गया था. इस मैच में अंपायर के फैसलों के कारण पाकिस्तान को काफी नुकसान झेलना पड़ा था.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल की मुख्य कार्यकारी समिति ने अनिवार्य डीआरएस की सलाह दी थी. अब इस फैसले पर बोर्ड मीटिंग में मंगलवार और बुधवार को बहस की जाएगी.
सचिन तेंदुलकर ने भी काफी पहले इस तकनीक की पैरवी की थी और कहा था कि यह क्रिकेट में फैसलों के लिए अहम हो सकती है, बशर्ते सटीक हो. लेकिन उस समय भी बीसीसीआई ने इसे समर्थन नहीं दिया था.
एएम/आईबी (एएफपी)