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क्रिकेट की हर विधा के बादशाह सचिन

ओंकार सिंह जनौटी१४ नवम्बर २००९

125 मैदानों पर 87 शतक और 144 अर्धशतक जमाने वाले सचिन तेंदुलकर आज बिना विवाद दुनिया के सबसे बेहतरीन क्रिकेटर हैं. दो दशकों से मैदान पर राज कर रहे तेंदुलकर औसतन हर आठवें वनडे मुकाबले में मैच ऑफ द मैच चुने जाते हैं.

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जीनियस का जादूतस्वीर: AP

टेस्ट में भी ऐसे कई मौके हैं जब मास्टर ब्लास्टर ने पांच दिन के खेल को सिर्फ तेंदुलकर का खेल साबित कर दिया. आख़िर इतना चमकदार कैसे है जीनियस बल्लेबाज़ का 20 साल टेस्ट और वनडे क्रिकेट का सफर. कई शतकों और रनों के अंबार वाले एक महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर दरअसल आज भी उम्मीदों और विपक्षी टीमों के लिए सबसे बड़ी चुनौती का दूसरा नाम हैं.

उनका प्रदर्शन इस बात की बख़ूबी गवाही देता है कि 20 साल से मैदान पर डटे तेंदुलकर ने कैसे वेस्ट इंडीज़ के खूंखार तेज़ गेंदबाज़ों कोर्टली वाल्श, कोर्टली एंब्रोस से लेकर वसीम अकरम, ग्लेन मैक्ग्रा और वकार यूनुस जैसे अचूक माने जाने वाले बॉलरों का डटकर सामना किया है.

Sachin Tendulkar beim Test-Cricket in Mohali Indien
तस्वीर: AP

ये सचिन ही हैं जो टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले श्रीलंकाई गेंदबाज़ मुरलीधरन के सामने खड़े होकर शतक पर शतक ठोंक चुके हैं. महान स्पिनरों में चोटी पर गिने जाने वाले ऑस्ट्रेलियाई जादूगर शेन वॉर्न तो उनके डरावने सपने भी देख चुके हैं. वो लगातार दो बार क्रिकेट के सबसे प्रतिष्ठित मुकाबले वर्ल्ड कप में सबसे ज़्यादा रन ठोंक चुके हैं.

वनडे हो या टेस्ट, विपक्षी टीम के सबसे असरदार गेंदबाज़ को ठंडा करने का काम तेंदुलकर ही करते हैं. हाल के सालों में भी चाहे वो शोएब अख़्तर हों या ब्रेट ली या फिर मलिंगा तेंदुलकर इन्हें बताते हैं कि सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ी क्या होती है.

लेकिन सचिन का ये सफर किसी ख़रे सोने की कहानी से कम नहीं. 15 नवंबर 1989 को पाकिस्तान के दौरे पर गए सचिन तेंदुलकर उस वक्त महज़ 16 साल के थे. तब उनके और टीम इंडिया के सामने इमरान खान, वसीम अकरम और वकार यूनुस जैसे खिलाड़ी थे. शुरुआती मैचों में जब सचिन बल्लेबाज़ी करने गए तो पाकिस्तानी टीम ने उन्हें बच्चा बच्चा कह कर चिढ़ाने की कोशिश भी की.

इसी दौरे में सियालकोट टेस्ट की दूसरी पारी में टीम के चार विकेट 38 रन पर गिर चुके थे. तब मैदान पर सचिन आए लेकिन थोड़ी ही देर बाद वकार यूनुस की गेंद हेलमेट के भीतर घुसती हुई उनकी नाक से जा टकराई. सचिन क्रीज़ पर ही गिर गए, नाक से खून बहने लगा. दूसरे छोर पर बल्लेबाज़ी कर रहे रवि शास्त्री ने डॉक्टर को बुलाने का इशारा किया लेकिन तभी घायल शेर उठ खड़ा हुआ. सचिन ने खून पोंछा और लाल हो चुकी शर्ट बदले बिना ही बल्लेबाज़ी शुरू कर दी. उनकी 57 रन की पारी की बदौलत टीम इंडिया ने टेस्ट ड्रॉ करवा लिया. लेकिन तब 16 साल के लड़के की इस हिम्मत को देखकर कई क्रिकेटरों ने उसी वक्त कह दिया कि 'ये लड़का राज करेगा.'

इसके बाद धीरे धीरे भारतीय क्रिकेट के साधारण और मास्टर ब्लास्टर के असाधारण प्रदर्शन का दौर आया. वनडे में वो सलामी बल्लेबाज़ी करने लगे और दुनिया को बता दिया तेंदुलकर क्या चीज़ है. चलते फिरते सड़कों पर लोग एक साथ तेंदुलकर और टीम इंडिया का स्कोर पूछते थे. दस कदम चलने के बाद फिर तेंदुलकर का स्कोर इस उम्मीद में पूछा जाता था कि सेंचुरी हुई या नहीं. शतक होते ही हर किसी बांछें खिल जाती, मायूसी होने पर हर कोई बस मलाल करता रह जाता.

इस दौरान बाज़ारों, गली मुहल्लों और पनवाड़ियों की दुकान में भी लोग सिर्फ सचिन के भरोसे कमेंट्री सुनकर टीम की जीत के रास्ते तलाशते रहे. करीब करीब 1998 तक टीम और क्रिकेट प्रेमियों की हालत यह रही कि सचिन हैं तो सब है. इस दौरान उनके आउट होते ही टेलीविजन और रेडियो 'अब तो गई टीम' वाले अंदाज़ में बंद हो जाते थे.

उनकी तारीफ़ में जिसने जो भी कहा वो एक समय बाद छोटी बात लगने लगती है. ये मास्टर ब्लास्टर का ही कमाल है कि अब भी वो क्रिकेट के हर किताबी शॉट की तरह उन्होंने हर टीम के खिलाफ़ शतक जड़ते जा रहे हैं. सचिन जब से मैदान पर हैं तब से क्रिकेट में ऑस्ट्रेलियाई टीम का सिक्का चल रहा है लेकिन ये जीनियस बल्लेबाज़ का ही जादू है कि उनका सबसे बेहतरीन प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के ही ख़िलाफ़ रहा है.

चाहे वो हाल में बनाए 175 रन हों या शारजाह या पर्थ में खेली गई पारियां. पचास ओवर के खेल में वो 45 शतक और 91 अर्धशतक जमा चुके हैं. इनमें से कई ऐसी पारियां हैं जिन्हें भूल पाना क्रिकेट प्रेमियों के लिए मुमकिन नहीं. तेंदुलकर अब तक देश दुनिया के 125 मैदानों पर खेल चुके हैं और वनडे में 60 बार और टेस्ट में 11 बार अकेले मैच का आकर्षण चुराने वाले खिलाड़ी, यानी मैन ऑफ द मैच चुने गए हैं.

ऑस्ट्रेलिया,पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी ताकतवर टीमों के ख़िलाफ़ वे अब तक 21 वनडे शतक जमा चुके हैं. वनडे में उनके 45 और टेस्ट में 42 शतक बताते हैं कि कोई विस्फोटक बल्लेबाज़ कितने भरोसे और धैर्य के साथ भी खेल सकता है. पूर्व महान बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर उनके बारे में कहते हैं कि. ''सचिन बताते हैं कि कोई बल्लेबाज़ एक ही वक्त में कितना क्लासिकल और आक्रमक हो सकता है.''

उनके मैदान पर जाते है कि दर्शक और कमेंटेटर भी जोश में आ जाते हैं. पहले कटाक की आवाज़ आती है फिर दर्शकों के शोर के बीच ग्लोरियस, आउटस्टैंडिंग, बेहतरीन या अविश्वसनीय शॉट जैसे कमेंट्री के जुमले सुनाई पड़ते हैं. ये बात भी खेलप्रेमियों से छुपी नहीं है कि अपने लंबे क्रिकेट करियर के दौरान तेंदुलकर कई बार अंपायर के ग़लत फ़ैसले का शिकार हुए लेकिन उन्होंने हमेशा खेल की गरिमा को बनाए रखते हुए अंपायरों के फ़ैसलों पर कभी सवाल नहीं उठाए.

क्रिकेट पर चर्चा करने वाले 20 साल बाद आज भी ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि नाटा सा दिखने वाला बल्लेबाज़ आख़िर इतना शानदार कैसे हैं. दो दशकों के इस दौर में उनकी तुलना ब्रायन लारा से भी हुई और हवा बनकर उड़ गई. मास्टर ब्लास्टर के व्यक्तित्व का एक दिलचस्प पहलू ये भी है कि वो वक्त के साथ अपने बड़े से बड़े आलोचकों को भी अपना सबसे बड़ा प्रशसंक बनाते चले जाते हैं.

वनडे और टेस्ट में वो सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं. कोई दूसरा उनके आस पास भी नहीं. क्रिकेट प्रेमियों को ये उम्मीद भी है कि 87 शतक बना चुके सचिन अभी शतकों के शतक के अलावा भी कई न तोड़े जा सकने वाले रिकॉर्ड भी बनाएंगे.

लेकिन 36 साल की उम्र में एक दिन में क़रीब नौ घंटे मैदान पर दौड़-भाग करना आसान नहीं. शरीर साथ नहीं देता, थकान हावी होने लगती है, दिमाग भी जवानी जैसी सक्रियता से प्रतिक्रिया नहीं करता. लेकिन इन चुनौतियों के खिलाफ़ भी चौके छक्के लगा रहे सचिन कहते हैं कि वो ऐसा कम से कम 39 साल तक करते रहेंगे. उनकी आंखों में भारत के लिए वर्ल्ड कप जीतने का सपना और दिल में इसके लिए मलाल भी है. वो जानते है कि उन्होंने मैदान पर अब तक जो चाहा है वो हासिल किया ऐसे में टीम उनका साथ दे तो क्रिकेट के दुनिया के इस सबसे चमकीले सितारे को मैदान से एक हक़दार विदाई मिलेगी.