क्या है निपा वायरस?
अफ्रीका में इबोला जैसे जानलेवा वायरस के कहर के बाद अब एशिया में निपा नाम का वायरस सामने आया है. चमगादड़ की एक खास प्रजाति से फैलने वाला यह वायरस इंसान को 24-48 घंटे के भीतर ही कोमा में भेज सकता है.
क्या है निपा?
निपा एक तरह का संक्रमण फैलाने वाला वायरस है. इसे "निपा वायरस एन्सेफलाइटिस" भी कहा जाता है. भारत में इसके कुछ मामले केरल में सामने आए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह वायरस इंसान और जानवर दोनों पर हमला कर सकता है.
कब हुई पहचान?
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इस वायरस की पहचान साल 1998 में सिंगापुर और मलेशिया में हुई. उस वक्त यह सिर्फ सुअरों में देखने को मिलता था. लेकिन फिर यह इंसानों को भी प्रभावित करने लगा.
कहां से आता है?
डब्लयूएचओ के मुताबिक इस वायरस का नेचुरल होस्ट फ्रूट बैट (चमगादड़) होता है. ये वायरस चमगादड़ों के मूत्र, लार और शरीर से निकलने वाले द्रव में होता है. फिर जो भी इनके संपर्क में आता है, उसमें यह वायरस घर कर लेता है.
भारत और बांग्लादेश
साल 2004 में भारत और बांग्लादेश में इस वायरस के कुछ मामले सामने आए. इन मामलों में देखा गया कि ऐसे लोग जिन्होंने खजूर के पेड़ से मिलने वाली ताड़ी या खजरी को पिया, उन्हें इस वायरस ने अपनी चपेट में लिया. क्योंकि ये वही पेड़ थे जो चमगादड़ों से प्रभावित हुए थे.
क्या हैं लक्षण?
निपा वायरस हवा से नहीं फैलता, बल्कि वायरस प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है. ऐसे में बुखार के साथ सिर दर्द, थकान, भटकाव, मेंटल कंफ्यूजन महसूस होता है. अगर समय रहते इसकी पहचान नहीं की जाती तो महज 24-48 घंटे में व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है.
क्या है इलाज?
अब तक इसके उपचार के लिए कोई पुख्ता वैक्सीन नहीं बनी है. मरीजों को आईसीयू में रखने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता. इसके अलावा ताड़ी, खजरी जैसे पेय पदार्थों से कुछ समय तक दूर रहें. इसके साथ ही जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि लोग सावधान रहें.