क्या है अच्छी और आदर्श नींद
बढ़िया नींद, सेहत की कुंजी है. उम्र बढ़ने के साथ धीरे धीरे यह कम होने लगती है. लंबे शोध के बाद वैज्ञानिक बता पा रहे हैं कि अच्छी नींद क्या होती है.
30 मिनट फॉर्मूला
बिस्तर पर लेटने और आंखें बंद करने के बाद 30 मिनट के भीतर नींद आ जानी चाहिए. लेकिन बहुत ज्यादा तनाव हो या फिर शरीर पर्याप्त रूप से थका न हो तो नींद बहुत देर से आती है. ये अच्छा संकेत नहीं है.
नींद टूटने के बाद नींद
रात में अगर किसी कारण से नींद टूटती है तो थोड़ी ही देर बाद फिर से नींद आ जाती है. लेकिन अगर नींद टूटने के बाद काफी देर तक (41 मिनट तक) नींद ना आए तो कुछ गड़बड़ है.
तनाव से गहरा संबंध
नींद का इंसान की मनोदशा से गहरा संबंध है. डर, तनाव और चिंता के चलते दिमाग सक्रिय रहता है और नींद नहीं आती.
नवजात की नींद
जन्म से लेकर एक साल की उम्र तक बच्चे बहुत सोते हैं. बच्चों का 14 से 17 घंटे सोना सामान्य बात है. लेकिन उनकी नींद 10 घंटे से कम और 18 घंटे से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
1-2 साल के बच्चे
इस उम्र के बच्चे आम तौर पर 11 से 14 घंटे सोते हैं. लेकिन उनकी नींद 9 से 15 घंटे के बीच भी हो सकती है. ये सामान्य है.
3-5 साल के बीच
इस उम्र में कम से कम नौ घंटा और अधिक से अधिक 14 घंटे की नींद मिलनी चाहिए. 10 से 13 घंटे की नींद तो परफेक्ट कही जाएगी.
6-13 साल
इस उम्र में बच्चे स्कूल जाने लगते हैं. वे काफी खेलते कूदते भी हैं. उनके लिए 9 से 12 घंटे की नींद जरूरी है.
14-17 साल
किशोरों को 8 से 11 घंटे की नींद लेनी चाहिए.
18-25 साल
जवानी में कदम रखते ही शरीर का विकास काफी हद तक पूरा हो जाता है. इसीलिए नींद भी घटती है. इस उम्र में 7 से 10 घंटे की नींद पर्याप्त है.
26-64 साल
इस उम्र के लोगों के लिए कम से कम 6 और अधिक से अधिक 10 घंटे की नींद आदर्श है. कभी कभार थकान होने पर नींद ज्यादा भी हो सकती है. लेकिन छह घंटे से कम नहीं होनी चाहिए.
65 के ऊपर
बुढ़ापे का असर नींद पर भी पड़ता है. स्वस्थ लोग बुढ़ापे में भी अच्छी तरह 6 से 9 घंटे सो पाते हैं. वहीं बीमारियों से घिरे लोग पांच घंटे भी मुश्किल से सो पाते हैं.
बीमारियों को न्योता
लंबे समय तक अगर अच्छी नींद न आए तो दिल की बीमारियों और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. खराब नींद के चलते शुरू में थकान, वजन बढ़ना और अवसाद जैसे लक्षण सामने आते हैं. धीरे धीरे यही दूसरी बीमारियों को न्योता देते हैं.