क्या हुआ ईरान में पुराने चुनावी वादों का?
एक बार फिर चुनाव लड़ रहे ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी ने चार साल पहले चुनाव के समय मतदाताओं से बहुत सारे वादे किये थे. उनमें राजनीतिक बंदियों की रिहाई, बोलने की आजादी और महिलाओं के लिए समानता से जुड़े वादे शामिल थे.
ज्यादा आजादी
उदारवादी समझे जाने वाले मौलाना हसन रोहानी ने 2013 में 51 प्रतिशत वोट पाकर राष्ट्रपति चुनाव जीता. उन्होंने ज्यादा आजादी और पश्चिमी देशों के साथ समझौते का वादा किया था.
सीमित ताकत
उस समय 64 साल के रोहानी की राष्ट्रपति पद पर पुष्टि सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातोल्लाह अली खमेनाई ने की. राष्ट्रपति उनकी सलाह पर ही अहम मंत्रियों की नियुक्ति कर सकते हैं.
खंडहर
रोहानी को पदभार महमूद अहमदीनेजाद ने सौंपा, जो 2005 से 2013 तक राष्ट्रपति रहे. कट्टरपंथी समझे जाने वाले अहमदीनेजाद अपने कार्यकाल में पश्चिमी देशों को लगातार उकसाते रहे.
महिला मंत्री
रोहानी ने भी अपने समर्थकों को नाराज करने में ज्यादा वक्त नहीं लिया. हालांकि उन्होंने परिवार मंत्रालय बनाने और महिला मंत्रियों की नियुक्ति का वादा किया था, जबकि उनके कैबिनेट में सिर्फ पुरुष थे.
परमाणु वार्ता
रोहानी की सरकार ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों और जर्मनी के साथ फौरन बातचीत शुरू की ताकि ईरान को अलगाव से बाहर निकाला जा सके. अब अमेरिका समझौते को चुनौती दे रहा है.
टूटी उम्मीदें
परमाणु संधि के बाद ईरान की विदेशनीति का नया अध्याय शुरू हुआ. पश्चिमी नेताओं ने ईरान का दौरा किया. आर्थिक विकास की उम्मीद जगी. लेकिन विकास और रोजगार के वादे पूरे नहीं हुए.
बेरोजगारी
महंगाई की दर को 40 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक लाने में कामयाबी जरूर मिली, लेकिन बेरोजगारी की दर अभी भी 12 प्रतिशत बनी हुई है. 25 से कम आयु के युवा लोगों में बेरोजगारी 26 प्रतिशत है.
कहां है रोजगार
ईरान को सालाना 12 लाख रोजगार के नये अवसर पैदा करने की जरूरत है ताकि हर साल पढ़कर निकलने वाले युवा लोगों को नौकरी मिल सके. लेकिन हकीकत में हर साल सिर्फ 6 लाख नौकरियां पैदा हो रही हैं.
पश्चिम के साथ रिश्ते
परमाणु समझौते के बाद यूरोप और अमेरिका से पर्यटक पहुंचने लगे और युवा ईरानियों को दुनिया के संपर्क में आने का मौका मिला. उनके लिए रोहानी ने एक हद तक चुनावी वादा पूरा किया है.
छेड़खानी
रोहानी ने महिलाओं से उनके मामले उठाने और सड़कों पर छेड़खानी को बंद करवाने का वादा किया था. लेकिन पहनावे पर नजर रखने के लिए जिम्मेदार 20 सरकारी संगठन उनके नियंत्रण में नहीं हैं.
उम्मीद की किरण
रोहानी की महिला मामलों की सहायक शाहीनदोख्त मोलावर्दी ने अपनी टिप्पणियों से दुनिया को अचंभित किया है. उन्होंने महिलाओं के लिए ईरान में अधिक राजनीतिक भागीदारी की मांग की है.
सांस्कृतिक हमले
रोहानी ने सांस्कृतिक सुधारों का पक्ष लिया था. लेकिन उनके राष्ट्रपति बनने के बाद अनुदारवादी मौलवियों के समर्थकों द्वारा सांस्कृतिक और संगीत कार्यक्रमों में बाधा डालने के मामलों में तेजी आ गई.
विरोधियों की रिहाई
रोहानी ने विपक्षी कार्कर्ताओं के दमन को खत्म करने का वादा किया था. लेकिन 2009 के चुनावों में धांधली की शिकायत करने वाले मेहदी कारूही, मीर हुसैन मुसावी और उनकी पत्नी जाहरा रानार्द अभी भी नजरबंद हैं.
नागरिक अधिकार
रोहानी ने नागरिक अधिकार चार्टर बनाने का वादा किया था. मकसद था ईरान के नागरिकों के लिए आजादी और नागरिक अधिकारों की गारंटी. रोहानी के चार्टर को अयातोल्लाह द्वारा नियुक्त कानून मंत्री ने ठुकरा दिया.
प्रेस स्वतंत्रता
हसन रोहानी के शासन में ईरान वह देश है जहां सबसे ज्यादा पत्रकार जेल में हैं. प्रेस स्वतंत्रता के अंतरराष्ट्रीय इंडेक्स में वह 195 देशों में 169वें स्थान पर है. पत्रकारों की गिरफ्तारी लगातार जारी है.