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क्या बीसीसीआई मनमानी कर रही है!

१४ दिसम्बर २०११

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के रुख पर बेहद गंभीर सवाल उठने लगे हैं. कभी सिर्फ ललित मोदी बीसीसीआई पर आरोप लगाते थे, लेकिन अब अनिल कुंबले और सुनील गावस्कर जैसे पूर्व खिलाड़ी बोर्ड अधिकारियों पर सवाल उठा रहे हैं.

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तस्वीर: AP

भारत के पूर्व कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर का आरोप है कि बीसीसीआई ने उनके 10 लाख डॉलर डकारे हैं. सनी के मुताबिक आईपीएल के दौरान बोर्ड ने उनकी सेवाएं ली. बीसीसीआई ने वादा किया कि गावस्कर को इसके बदले 10 लाख डॉलर दिए जाएंगे. गावस्कर का आरोप है कि अब बीसीसीआई पैसे देने में आनाकानी कर रही है. समाचार चैनल एनडीटीवी से बातचीत में सुनील ने कहा, "मेरे करार पर बीसीसीआई ने यू-टर्न लिया है. मैं यह रिपोर्टें पढ़ने के बाद हैरान हूं कि उसने मेरा बकाया चुकाने से इनकार कर दिया है. बीसीसीआई से मेरा विश्वास हिल गया है."

आगे गावस्कर ने कहा, "शरद पवार और अरुण जेटली, दोनों ने फोन पर मुझसे वादा किया कि मेरा बकाया दिया जाएगा. यहां तक कि पवार और ललित मोदी ने 2007 के आईपीएल कांट्रैक्ट के लिए मुझे चार करोड़ रुपये देने का वादा किया था." गावस्कर के आरोपों के बाद बीसीसीआई ने चुप्पी साध ली है.

Lalit Modi von der Indian Premier League in Johannesburg, Südafrika
तस्वीर: AP

बीसीसीआई पर कुछ गंभीर आरोप टीम इंडिया के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने भी लगाए हैं. कुंबले ने पिछले हफ्ते ही राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. कुंबले के मुताबिक खिलाड़ियों को चोट से बचाने के लिए वह एक सॉफ्टवेयर का सहारा लेना चाहते थे. लेकिन अकादमी के बाकी सदस्यों ने प्रस्ताव को गिरा दिया. अरबों रुपये में खेलने वाले बोर्ड को कुंबले के करोड़ों का प्रस्ताव बहुत महंगा लगा. सूत्र ने कुंबले पर सॉफ्टवेयर कंपनी से कमीशन पाने का भी आरोप लगाया. वहीं ऐसी रिपोर्टें भी हैं कि कुंबले बीसीसीआई अधिकारियों के व्यवहार से नाराज हैं.

बीसीसीआई ने कुंबले के इस्तीफे पर अफसोस जताया. लेकिन बोर्ड के किसी अधिकारी ने इस पर सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी नहीं की. पूर्व खिलाड़ी कुंबले के प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं. गावस्कर कहते हैं, "चोटों से निपटना भारतीय टीम की एक बड़ी चिंता है. ऐसे में यदि कुंबले एक सुझाव के साथ आए हैं तो कम से कम आपको उसे देखना चाहिए, भले ही आप उससे 100 फीसदी सहमत न हों."

बीसीसीआई अब भी चुप है. कभी क्रिकेट न खेलने के बावजूद बोर्ड के उच्च पदों पर बैठे उसके अधिकारी टीम और खेल को लेकर कुछ नहीं बोल रहे हैं. वर्ल्ड कप जीतने के हफ्ते भर बाद टीम को आईपीएल में झोंक देने वाली बीसीसीआई के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि खिलाड़ियों को चोट से कैसे बचाया जाए. उसे यह जरूर पता है कि खिलाड़ियों को अति क्रिकेट खेलाकर पैसा कैसे बनाया जाए. इसी साल आईपीएल के बाद भारतीय टीम के नौ खिलाड़ी घायल हुए. चोटों की वजह से इंग्लैंड दौरे पर टीम करारी शर्म देखकर आई.

Neugewählter Vorstand der indischen Cricket Kontrollstelle
तस्वीर: AP

बीसीसीआई फिलहाल गावस्कर, कुंबले और ललित मोदी के आरोपों के चलते या फिर निम्बस का करार रद्द करने से चर्चाओं में है. शरद पवार, अरुण जेटली और राजीव शुक्ला भले ही अलग अगल पार्टियों के नेता हों, लेकिन इनके हाथों में भारतीय क्रिकेट प्रबंधन की डोर है. कई बार इनमें से कुछ नेता ऐसे बयान देते हैं जैसे भारतीय क्रिकेट के भगवान यही हैं. वर्ल्ड कप से पहले जब टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कहा कि टीम थकी हुई है, थोड़ा आराम चाहिए. तब राजीव शुक्ला ने गुस्सा दिखाते हुए कहा, धोनी को अगर आराम चाहिए तो वह छुट्टी पर चले जाएं.

संसद में खेल मंत्री अजय माकन जब नया खेल बिल लेकर आए तो इन्हीं तीनों ने बिल का जमकर विरोध किया. माकन बिल में बीसीसीआई को भी लाना चाहते थे. फिलहाल आईपीएल की वित्तीय धांधली को लेकर आयकर विभाग जांच कर रहा है. बीसीसीआई और ललित मोदी के बीच अब भी शब्द बाण चलते रहते हैं. मोदी के निशाने पर रहने वाले श्रीनिवास अब बोर्ड अध्यक्ष हैं. बीसीसीआई की तरफ से जांच का कोई पहलू सार्वजनिक नहीं किया गया है. बोर्ड के रुख से ऐसा लगता है जैसे सारी गड़बड़ अकेले ललित मोदी ने की हो.

रिपोर्ट: ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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