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क्या बदलेगी उत्तर प्रदेश के सिनेमाघरों की किस्मत

फैसल फरीद
२१ जुलाई २०१७

भारत में सिनेमा जैसे जैसे लोकप्रिय होता गया है पुराने सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर लगातार बंद होते गये हैं. उत्तर प्रदेश में स्थिति बदल सकती है. प्रदेश की सरकार ने छोटे शहरों में सिनेमाघरों के लिए राहत के कदम उठाय़े हैं.

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Indien Traditionelle Kinos in Lucknow
तस्वीर: Shmim Arzoo

बॉलीवुड फिल्म डर्टी पिक्चर में एक डायलाग है, फिल्में सिर्फ तीन चीजों की वजह से चलती हैं, इंटरटेनमेंट, इंटरटेनमेंट, इंटरटेनमेंट. लेकिन इस इंटरटेनमेंट की एक महत्वपूर्ण कड़ी सिनेमाघर बदहाली में पहुच चुके हैं. ज्यादातर सिंगल स्क्रीन वाले सिनेमाघर बंद हो चुके हैं या इस हाल में हैं कि लोगो ने वहां जाना ना के बराबर कर दिया है. बहुत सी बातें जैसे टिकट के लिए लम्बी लम्बी लाइनें, पुलिस को भीड़ को कंट्रोल करना, हफ्तों शो हाउसफुल रहना, ब्लैक में कई गुना ज्यादा पर टिकट का बिकना, फिल्म के दौरान गानों पर दर्शको का सिक्के परदे की तरफ फेंकना, धार्मिक फिल्म में बाकायदा अगरबत्ती जलाना, ये सब अब पुरानी बातें हो गयीं. एक सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर लगभग 100 लोगों को रोजगार देता था, लेकिन सब ख़त्म हो गया.

एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार बंद हो चुके सिनेमाघरों को चालू करने के लिए आकर्षक पहल कर रही है. उत्तर प्रदेश फिल्म एक्जिबीटर्स फेडरेशन ने इसका खुले दिल से स्वागत किया है. फेडरेशन के अनुसार इस सुविधा के बाद एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर चालू हो जायेंगे. सरकार ने पुराने सिनेमाघरों के लिए खजाना खोल दिया है. पुराने सिनेमा व्यवसाय से लगे लोगों को उम्मीद है शायद अब रुपहले परदे के सुनहरे दिन वापस आ जायें.

उत्तर प्रदेश फिल्म एक्जिबीटर्स फेडरेशन के महासचिव आशीष अग्रवाल ने बताया. "ये हमारी बहुत पुरानी मांग थी, सरकार ने मान ली. अब फिर से पिक्चर हाल चालू हो जायेंगे. सरकार का ये सहयोग सराहनीय हैं."

सरकारी आंकड़ों के हिसाब से उत्तर प्रदेश में 848 सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर हैं. इनमें 552 सिनेमाघर बंद हो चुके हैं. बंद होने की भी कई वजहें रहीं. पहले टेलीविजन ने आ कर कुछ आकर्षण कम किया, उसके बाद वीसीआर और पायरेसी की वजह से धंधा ख़त्म सा हो गया. इधर सैटेलाइट टीवी के माध्यम से फिल्में घर घर पहुच गयीं. नतीजतन सिनेमाघर बंद होते गए.

Indien Traditionelle Kinos in Lucknow
तस्वीर: Shmim Arzoo

इस बीच मल्टीस्क्रीन सिनेमाघर का उदय हुआ लेकिन उनकी पहुंच सिर्फ बडे शहरों तक ही सीमित हैं. आज भी उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से 52 जिलो में कोई मल्टीस्क्रीन सिनेमाघर नहीं है. वहां आज भी वही पुराने सिनेमाघर हैं जो अब धीरे धीरे बंद हो रहे हैं.

इसी सब को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट मीटिंग में फैसला लिया कि सिनेमाघरों को टैक्स में राहत दी जाये. उत्तर प्रदेश में मनोरंजन कर लगभग 40 प्रतिशत से ज्यादा था जो दूसरे राज्यों से बहुत ज्यादा है . लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद से अब ये टैक्स कुल दो श्रेणी में हैं, सौ रुपये के टिकट पर 18 % और सौ रुपये से महंगी टिकट पर 28 % और ये पूरे भारत में समान है.

मनोरंजन टैक्स ज्यादा होने से फिल्म की टिकट प्रदेश में महंगी थी. इसीलिए निर्माता निर्देशक कोशिश करते थे कि उनकी फिल्म उत्तर प्रदेश में टैक्स फ्री हो जाये. इससे टिकट के दाम कम हो जाते हैं और दर्शक बढ़ जाते हैं. वैसे भी आबादी के हिसाब से सबसे ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश में हैं, इसीलिए यहां अगर फिल्म हिट होती है तो निर्माताओं की झोली भर जाती है.

सबसे बड़ी परेशानी ये थी कि पुराने सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर बहुत बड़े बड़े बने हुए हैं. उनके पास जमीन ज्यादा है जो उपयोग में नहीं हैं. अब जमीनों के दाम बढ़ गए हैं. सरकार ने फैसला लिया है कि अब अगर कोई अपना पुराना सिनेमाघर तोड़ कर नया बनाएगा तो उसको कमर्शिअल गतिविधि चलाने की छूट दी जाएगी. और यही नहीं पूरे पांच साल तक टैक्स में छूट दी जाएगी. पहले तीन साल 100 फीसदी और बाकी दो साल 75 फीसदी बशर्ते कि सिनेमाघर में 300 लोगों के बैठने की व्यवस्था हो.

फिल्म एक्जिबीटर्स फेडरेशन के महासचिव आशीष अग्रवालकहते हैं, "ये बहुत बड़ा फैसला है. इससे समझ लीजिये बंद सिनेमाघर जिंदा हो जायेंगे. नए स्टाइल में बनवा कर बाकr बची ज़मीन पर व्यeवसायिक उपयोग भी कर सकते हैं,"

इसके अलावा अब सिनेमाघर मालिक अगर अपने सिनेमाघर में परिवर्तन करता है तो उसको भी छूट मिलेगी. यही नहीं अगर बंद पड़े सिनेमाघर को सिर्फ रंग-पुताई और मरम्मत करके चालू करते हैं तो भी नियमानुसार छूट मिलेगी. लेकिन ये छूट सिर्फ 50 प्रतिशत और तीन साल तक रहेगी. आशीष के अनुसार, "यही बहुत है, छोटे शहरों और कस्बों में सिनेमाघर मालिकों के पास इतना पैसा नहीं है कि वो करोड़ रूपया लगाये. अब वो 10-15 लाख में अपना सिनेमाघर ठीक करवा के चालू कर सकते हैं," इसके अलावा अगर कोई सिनेमाघर मालिक सिर्फ फॉल्स सीलिंग, बढ़िया साउंड सिस्टम, एयर कंडीशन, सोलर सिस्टम लगवाता है तो ऐसे कामों पर खर्च का 50 प्रतिशत राशि सरकार अनुदान के तौर पर संबंधित सिनेमाघर संचालक को देगी.

अब तो लोग फिर से उम्मीद करने लगे हैं कि पुराने दिन लौट आयेंगे और शहर के सिनेमाघरों में फिर चहल पहल होगी और शहर की गतिविधियों के फिर से केंद्र बन जायेंगे.