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क्या क्या बोलते हैं कैमरन और क्यों!

८ अगस्त २०१०

ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री डेविड कैमरन अपनी दो-टूक बातों के लिए आजकल सबके ध्यान के केंद्र में हैं. कुछ लोगों को अगर यह पसंद आ रहा है, तो बहुतों का ख़्याल है कि प्रधानमंत्री को थोड़ा संभल कर बात करनी चाहिए.

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डेविड कैमरन की जुबान के चर्चेतस्वीर: UNI

सत्यं ब्रुयात् प्रियं ब्रुयात् न ब्रुयात सत्यमप्रियम् - सच बोलो, लेकिन प्रिय बातें करो, अप्रिय सच मत बोलो. कम से कम विदेश नीति के क्षेत्र में नीतिशास्त्र की यह सीख आज भी मानी जाती है. इसलिए जब कोई राजनेता इस मापदंड से हटकर बात करता है, तो सबका ध्यान उस पर जाता है. लेकिन इससे भी बड़ी समस्या यह होती है कि नतीजे के बारे में पूरी तरह सोचे बिना की गई टिप्पणी से राजनयिक संबंधों पर असर पड़ता है. कभी खुद अपनी बात काटनी पड़ती है, तो कभी-कभी ऐसी लीपापोती करनी पड़ती है कि सबको पता चल जाता है.

कुछ ऐसी ही हालत इन दिनों ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री, अनुदारवादी दल के नेता डेविड कैमरन की है. उनकी उम्र है सिर्फ़ 43 साल, और वह पिछले 200 सालों में ब्रिटेन के सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं. उस ज़माने में सिर्फ़ 24 साल की उम्र में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हुए विलियम पिट, हालांकि उन्हें उस समय प्रधानमंत्री नहीं कहा जाता था. पिट को यह ओहदा 1804 में मिला था. कम उम्र की वजह से विलियम पिट का मज़ाक उड़ाया जाता था. अभी तक कैमरन को इसका सामना नहीं करना पड़ा है. पिट अच्छे वक्ता माने जाते थे, कैमरन भी कहते हैं कि वह बिना कागज़ देखे बेहतर बोल सकते हैं.

11 मई से कैमरन अपने पद पर हैं, और हालांकि विदेश नीति के मामले में कभी भी उन्हें पारखी नहीं समझा जाता था. लेकिन बोलना, तेज़ बोलना उनकी आदत है. पाकिस्तान के बारे में उन्होंने कहा कि वह आतंक के निर्यात को बढ़ावा दे रहा है, तो हफ़्तों तक बाज़ार गर्म रहा. भारत में इसे अगर उछाला गया, तो पाकिस्तान में ज़ाहिर है कि बहुत ख़ुशी नहीं दिखाई गई. अन्य पश्चिमी देशों में ख़ामोशी बरती गई, क्योंकि अगर इसमें कुछ बात हो भी, तो ऐसे कहा नहीं जाता है.

खैर, पाकिस्तान पर टिप्पणी बिना लिखित भाषण के की गई. लेकिन गज़ा पर उन्होंने अपना जो भाषण तैयार किया, उसमें साफ़-साफ़ कहा कि गज़ा क़ैदियों का कैंप बन चुका है. इस्राएल को अपनी नीतियों की वजह से बहुत कुछ सुनना पड़ता है, लेकिन ऐसी टिप्पणी सुनने के लिए वह तैयार नहीं था. इसी तरह आंकड़ों को देखे बिना कैमरन ने कह दिया कि ईरान के पास ऐटम बम है.

विरोधी लेबर पार्टी मज़े लेकर उनकी आलोचना कर रही है, जबकि कैमरन के समर्थकों का कहना है कि उन्होंने आम लोगों की समझ में आने वाली बातें कहना शुरू कर दिया है. वैसे ब्रिटेन में ऐसी बात करने की परंपरा भले ही न हो, कुछ दूसरे देशों में ऐसा अक्सर होता है. गद्दाफ़ी या चावेज़ को अगर छोड़ भी दिया जाए, अमेरिका में भी तो अभी हाल में कम से कम एक राष्ट्रपति हो चुके हैं, जो अपनी हर बात तौल कर नहीं बोलते थे.

रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: वी कुमार

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