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कोलकाता फिल्मोत्सव में बालीवुड की चकाचौंध

११ नवम्बर २०११

17वें कोलकाता फिल्मोत्सव पर बालीवुड की चमक-दमक का नजारा पहली बार देखने को मिला. शाहरुख खान और शर्मिला टैगोर जैसे कलाकारों की मौजूदगी की वजह से इसके उद्घाटन समारोह का नजारा किसी अंतरराष्ट्रीय उत्सव जैसा नजर आ रहा था.

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17वां कोलकाता फिल्म महोत्सवतस्वीर: DW

इस समारोह के बाद ही शाहरुख खान बंगाल के ब्रांड अंबेसडर भी बन गए. उद्घाटन समारोह की शुरूआत कोलकाता संगीत अकादमी की ओर से रवींद्र संगीत पर प्रस्तुत नृत्य के कार्यक्रम से हुई.

इस आठ दिवसीय उत्सव का उद्घाटन पहली बार पारंपरिक नंदन परिसर की बजाय उस नेताजी इनडोर स्टेडियम में हुआ, जहां आम तौर पर खेलों से जुड़े आयोजन होते हैं. नंदन के मुकाबले इस स्टेडियम की क्षमता दस गुनी से भी ज्यादा है. शाम को होने वाले उद्घाटन समारोह के बहुत पहले से ही इस स्टेडियम का कोना-कोना सजीव हो उठा था. वैसे, अस्सी के दशक की शुरूआत में अमिताभ बच्चन की फिल्म याराना के गीत सारा जमाना हसीनों का दीवाना…..' की शूटिंग इसी स्टेडियम में हुई थी. शाहरुख खान के पहुंचते ही स्टेडियम में मौजूद लगभग दस हजार सिनेमाप्रेमी शाहरुख-शाहरुख चिल्लाते हुए हाथ हिलाने लगे. कोलकाता की लड़की कहे जाने वाली शर्मिला टैगोर के लिए तो यह समारोह घर वापसी की तरह रहा. उन्होंने बाद में इस शहर से जुड़ी अपनी यादों को भी बांटा.

Flash-Galerie 17. Kolkata Filmfestival
शाह रुख खान, मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी, शर्मिला टैगोरतस्वीर: DW

बांग्ला का वर्चस्व

आठ दिनों तक चलने वाले इस सालाना उत्सव में अब तक बांग्ला फिल्मोद्योग से जुड़े लोगों का ही वर्चस्व रहा है. लेकिन गुरुवार को उद्घाटन समारोह की रंगत बदली हुई थी. बांग्ला फिल्मों से जुड़ी हस्तियां तो मौजूद थीं. लेकिन बालीवुड के दो स्टार उन सब पर भारी पड़े. स्टेडियम के बाहर हजारों लोगों की आतुर निगाहें शाहरुख और शर्मिला को ही तलाश रही थीं. किसी तरह भीतर घुसने पर वही बेचैनी. खासकर युवा चेहरों की बेचैनी तो हर बीतते पल के साथ लगातार बढ़ती जा रही थी. शाहरुख खान जब तय समय से कोई आधा घंटे की देरी से स्टेडियम में पहुंचे तो दर्शकों की उत्तेजना चरम पर पहुंच गई. पूरा स्टेडियम देर तक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा. जितने लोग स्टेडियम के भीतर थे, उससे कहीं ज्यादा लोग अपने पसंदीदा कलाकारों की एक झलक पाने के लिए बाहर खड़े थे. शाहरुख ने किसी को निराश नहीं किया. स्टेडियम में पहुंचते ही उन्होंने हाथ हिला कर सबका अभिवादन किया.

दीदी-भाई

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब उनको मंच पर आने का न्योता दिया तो एक बार फिर देर तक तालियां बजती रहीं. लेकिन शाहरुख ने सौजन्यता का परिचय देते हुए अपनी ममता दीदी से पहले मंच पर चलने का अनुरोध किया. फिर दोनों साथ-साथ ही मंच की सीढ़ियां तय करने लगे. मंच पर ममता के बगल वाली कुर्सी पर बैठे शाहरुख ने उनको अपनी दीदी कहा तो ममता भी अपने भाषण में शाहरुख को अपना भाई बताया.

ममता ने कोलकाता फिल्मोत्सव को एक महान उत्सव करार दिया और कहा कि इस शहर ने सत्ययिजत रे, तपन सिन्हा और देवकी बोस जैसी कितनी ही प्रतिभाओं को पैदा किया है. इसलिए वे इस शहर और फिल्मोत्सव को विश्वस्तरीय बनाना चाहती हैं.

17. Kolkata Filmfestival
रवीन्द्र संगीत और नृ्त्य के साथ शुरुआत.तस्वीर: DW

कोलकाता के कसीदे

शाहरुख ने अपने भाषण में कोलकाता की शान में जम कर कसीदे पढ़े. उन्होंने कहा, ‘कोलकाता सही मायने में देश की सांस्कृतिक राजधानी है. इस शहर ने बालीवुड को ऐसी कई फिल्मी प्रतिभाएं दी हैं जिनकी वजह से आज सिनेमा एक नई दहलीज पर खड़ा है.' शाहरुख के भाषण के दौरान भी रह-रह कर तालियां बजती रहीं. उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रति भी आभार जताया. शाहरुख ने कहा कि बीते पांच-छह वर्षों के दौरान इस महानगर में उनकी आवाजाही बढ़ी है. अब पहली बार इस प्रतिष्ठित फिल्मोत्सव में शिरकत करते हुए वे बेहद अभिभूत हैं. शाहरुख के भाषण के दौरान ही ममता के मन में उनको बंगाल का ब्रांड अंबेसडर बानने का ख्याल आया. इसकी ततीजा यह हुआ कि समारोह के बाद ममता ने शाहरुख को चाय पीने का न्योता दिया. इस छोटी-सी बैठक के बाद शाहरुख जब बाहर निकले तो वे बंगाल के ब्रांड अंबेसडर बन चुके थे.

पुरानी यादें

पूर्व अभिनेत्री और कोलकाता की लड़की शर्मिला टैगोर ने भी खूब तालियां बटोरी. अपने पति नवाब पटौदी की मौत के बाद पहली बार किसी सार्वजनिक समारोह में शिरकत कर रहीं शर्मिला ने इस शहर से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया. उन्होंने भाषण की शुरूआत में जब कहा कि कोलकाता मेरा घर है, तो देर तक तालियां बजती रहीं. शर्मिला ने कहा, ‘मेरा जन्म यहीं हुआ. आज से 35 वर्ष पहले सत्यजित रे के साथ मैं सिनेमा से जुड़ीं. इस शहर से मेरी ढेरों यादें जुड़ी हैं.' शर्मिला का कहना था कि भूगोल और राजनीति के दायरे से बाहर रह कर संस्कृति का विकास संभव है. सिनेमा हमारी सांस्कृतिक जिंदगी है. उन्होंने सांस्कृतिक दुनिया को समृद्ध करने के लिए तकनीक के क्षेत्र में होने वाले बदलावों के साथ खुद को जोड़ने पर जोर दिया.

युवाओं की खुशी

उद्घाटन समारोह देखने आई संजना सेनगुप्ता (18) कहती है, ‘यह मेरे जीवन का एक शानदार अनुभव रहा. शाहरुख औरशर्मिला जैसे कलाकारों को एक साथ इतने करीब से देखने को मिला. मुझे यह जीवन भर याद रहेगा. उद्घाटन समारोह का नजारा लाजवाब था.' वह कहती है कि अब कोलकाता फिल्मोत्सव सही मायने में एक अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव लग रहा है. राज्य के दूसरे हिस्सों से आए लोगों ने भी ऐसी ही बातें कहीं.

फिल्मोत्सव के स्वरूप में इस बदलाव का श्रेय मुख्यमंत्री ममता को है. उन्होंने ही इसका उद्घाटन स्डेयिम में कराने का फैसला किया ताकि आम लोग भी इसमें शामिल हो सकें. उनके न्योते पर ही शाहरुख खान जैसा सुपरस्टार मुफ्त में इसका उद्घाटन करने को तैयार हो गया. शर्मिला टैगोर भी पति के निधन के बाद पहली बार किसी समारोह में आने को तैयार हो गईं. इससे पहले के 16 वर्षों के दौरान यह समारोह क्षेत्रीयता के आवरण में लिपटा था. भारी आर्थिक तंगी के बावजूद राज्य सरकार ने इस कोलकाता फिल्मोत्सव (केएफएफ) के लिए 60 लाख रुपए दिए हैं. फिल्मोत्सव का बजट लगभग तीन गुना बढ़ा दिया गया है. बीते साल यह एक करोड़ था जिसे बढ़ा कर इस साल 2.75 करोड़ कर दिया गया है. राज्य के सूचना और संस्कृति विभाग की सचिव नंदिनी चक्रवर्ती कहती हैं, 'सरकार ने इसके लिए 60 लाख रुपये मंजूर किए हैं और बाकी रकम का इंतजाम निजी प्रायोजकों द्वारा किया जा रहा है.' सार्वजनिक क्षेत्र की सेल, गेल, आईडीबीआई और एसबीआई जैसी कंपनियां भी इसमें पैसे लगा रही हैं. बीते साल राज्य सरकार ने फिल्मोत्सव के लिए महज 45 लाख रुपए दिए थे.

17. Kolkata Filmfestival
तस्वीर: DW

आयोजन की सराहना

ममता ने सौजन्यता का परिचय देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को फोन कर उनको समारोह में आने का न्योता दिया था. लेकिन उन्होंने व्यस्तता की बात कह आने से मना कर दिया. यह फिल्मोत्सव बुद्धदेव के दिमाग की ही उपज है और बीते 16 वर्षों से वे ही इसके मुख्य संरक्षक रहे हैं. जाने-माने फिल्मककार मृणाल सेन भी समारोह में मौजूद नहीं थे. लेकिन बाद में उन्होंने समारोह के भव्य आयोजन की सराहना की.
फिल्मोत्सव में 50 देशों की 150 फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा. जाने-माने फिल्मकार अशोक कुमार को जन्मशताब्दी वर्ष में याद करने के लिए उनकी चार फिल्मों-अछूत कन्या,किस्मत, चलती का नाम गाड़ी और हाटे-बाजारे का भी प्रदर्शन किया जाएगा. फिल्मोत्व के दौरान सत्यिजत रे की खींची हुई कोलकाता की सौ तस्वीरों की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जा रही है. उद्घाटन समारोह के तुरंत बाद स्टेडियम में नीदरलैंड्स की मशहूर फिल्म मैजिशियंस का प्रदर्शन किया गया. कुल मिला कर इस उद्घाटन समारोह में ग्लैमर, भव्यतता और बालीवुड का ऐसा मिश्रण रहा, जिसे सिनेमाप्रेमी ही नहीं, बल्कि आम लोग भी लंबे अरसे तक याद रखेंगे.

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः आभा मोंढे