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कॉलेज में पढ़ाएंगे प्यार का पाठ

२० जुलाई २०१३

प्यार क्या है? कब और कैसे पता चलता है कि प्यार हो गया है? कहां, कब और कैसे होता है प्यार? प्रेम से जुड़े तमाम सवालों के जवाब तलाशने छात्र अब कोलकाता के प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय आ सकते हैं.

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तस्वीर: DW/Prabhakar Mani Tewari

प्यार के विभिन्न पहलुओं पर हिंदी फिल्मों में न जाने कितने गीत रचे गए हैं. प्रेमरस के कवियों ने प्यार की कल्पना पर न जाने कितने कागज काले किए होंगे लेकिन ढाई अक्षर का यह शब्द अब तक सबके लिए एक अबूझ पहेली ही रहा है. अब कम से कम छात्रों के लिए इस पहेली को समझने और सुलझाने का अच्छा मौका मिलने वाला है.

प्यार की पढ़ाई

कोलकाता के प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय ने नए पाठ्यक्रम के तहत लव यानी प्यार पर एक अलग पेपर की पढ़ाई शुरू करने का फैसला किया है. किसी भी विषय में ग्रेजुएशन में दाखिला लेने वाले छात्र इसकी पढ़ाई कर सकते हैं. 50 नंबर वाले इस पेपर को शुरू करने का आइडिया सोशियोलॉजी (समाज विज्ञान) डिपार्टमेंट का था. विश्वविद्यालय प्रबंधन ने उसके इस प्रस्ताव को हाथोंहाथ लिया. छात्र-छात्राओं में भी इस नए पेपर के प्रति भारी दिलचस्पी है. दरअसल, विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम के ढांचे में बदलाव की वजह से ही इस नए और अलग तरह के पेपर की पढ़ाई शुरू करने का मौका मिला. नए फाठ्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुछ विषयों की जगह जनरल एजुकेशन की पढ़ाई होगी. इसके अलग-अलग पेपर की पढ़ाई अलग-अलग विभाग कराएंगे. कला विभाग में ग्रेजुएशन में दाखिला लेने वाले किसी छात्र को पहले दो साल में जनरल एजुकेशन के दस पेपरों की पढ़ाई करनी होगी. इसलिए समाज विज्ञान विभाग ने लव यानी प्यार पर एक पेपर रखने का प्रस्ताव दिया.

Presidency University in Kalkutta
तस्वीर: DW/Prabhakar Mani Tewari

क्या पढ़ाया जाएगा

इस पेपर में सामाजिक नजरिए से प्यार की अवधारणा के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जाएगा. इसके तहत भक्तिकाल से शुरू करते हुए बालीवुड की प्यार की मौजूदा परिभाषा तक को शामिल किया जाएगा. प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय की वाइस-चांसलर मालविका सरकार कहती हैं, "कला के विविध रूपों में प्यार की अवधारणा और परिभाषाएं भिन्न हैं. नए पेपर में इन सबका निचोड़ होगा. हम सूफी गायन के अलावा रवींद्र संगीत, वालीवुड की फिल्मों और साहित्य में प्यार की परिभाषा को इस नए पेपर में शामिल करेंगे.' (चेरी किस से मिया बीवी के झगड़े तक)

इस साल दाखिला लेने वाले छात्र तीसरे या चौथे सेमेस्टर में यह पेपर ले सकते हैं. लेकिन आगे चलकर इसे पहले सेमेस्टर से शुरू करने की योजना है. इस पेपर में जीवन के कुछ कथित विरोधाभासों के बारे में भी एक अध्याय होगा. समाजविज्ञानी प्रोफेसर स्वपन कुमार प्रामाणिक कहते हैं, "समाजविज्ञान के तहत फैमिली यानी परिवार पर एक अध्याय होता है. लेकिन प्यार पर एक अलग पेपर शुरू करने की यह पहली मिसाल है.'

छात्रों में दिलचस्पी

विश्वविद्याल के छात्र-छात्राओं में इस नए पेपर के प्रति भारी दिलचस्पी है. परिसर में अलग-अलग गुटों में छात्र इसी पर चर्चा करते नजर आते हैं. एक छात्रा सुनीति घटक कहती है, "प्यार के बारे में हमने कविताओं और उपन्यासों में तो काफी कुछ पढ़ा है. फिल्मों से भी इसके विभिन्न पहलुओं का पता चलता है. लेकिन विश्वविद्यालय में एक पेपर के तौर पर इसकी पढ़ाई दिलचस्प होगी." एक अन्य छात्र विद्युत गुहा कहते हैं, "इस पेपर की पढ़ाई के फैसले से साफ है कि प्यार अब कोई अछूत चीज नहीं रह गई है. इससे हमें प्यार के नए आयामों का पता चलेगा." छात्रों का कहना है कि अब तक कविताओं और कहानियों में सिमटा रहने वाला प्यार अब शैक्षणिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बन जाएगा. यह पेपर काफी दिलचस्प होगा.

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः एन रंजन

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