कॉमनवेल्थ गेम्स : किसने क्या कहा?
५ अक्टूबर २०१०- "मैं राजपूत हूं. शूटिंग मेरे खून में है. एक बंदूक थामने से जिस फख्र का एहसास होता है, उसे बयान नहीं किया जा सकता."
भारत के शूटिंग के स्टार ओंकार सिंह
- "मुझे जश्न का माहौल बहुत पसंद आया. लाइट, लेजर और आतिशबाजियों से ऐसा लग रहा था कि मानो मैं किसी दूसरे ग्रह में पहुंच गया हूं."
रविवार के उद्घाटन समारोह पर एक छात्रा मीरा जोशी
- "आज मुझे भारतीय होने पर गर्व हो रहा है. हमने दुनिया को दिखा दिया कि हम बिना किसी गड़बड़ी के इतना बड़ा शो कर सकते हैं. मैं समझता हूं कि हम किसी से कम नहीं रहे हैं."
उदघाटन समारोह में 75 वर्षीय रामलाल गुप्ता
- "मैं नहीं समझता कि वे आक्रामक ढंग से खेल रहे थे, आजकल खिलाड़ी ऐसे ही खेलते हैं."
नेटबॉल मैच में बाराबादोस पर 81-20 से जीत के बाद इंगलैंड की कोच मैगी जैकसन
- "ऑस्ट्रेलिया 76 दर्शक 58."
नेटबॉल मैच में दर्शकों की कमी पर फब्ती कसते हुए सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड की सुर्खी
- "शाम को 7 बजे होने वाले शो के लिए दोपहर दो बजे वहां पहुंचने का पूरा विचार ही समझ से परे है. काश सब कुछ थोड़ा और संगठित होता, ताकि दर्शकों को इतने लंबे समय तक इंतजार न करना पड़ता."
जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में सुरक्षा व्यवस्था से खीझे एक वयोवृद्ध दर्शक की टिप्पणी
- "गरीबी को ढकने के लिए ऐसा किया गया है, ताकि लोग गरीबों को न देख सकें."
इलेक्ट्रिशियन ऐंटनी पीटर, कुली कैंप स्लम कॉलोनी में जिसके टूटे-फूटे घर को दर्शकों की नजर से बचाने के लिए पर्दे से ढका गया.
- "शूटिंग के सत्र में हमारी टीम चिडियों, कबूतरों और चमगादड़ों पर गोलियां चलाकर प्रैक्टिस करती है. फिर हम उनका इस्तेमाल करते हैं."
नीउए के शूटिंग के खिलाड़ी सिओने बेले तोगियावालू
- "डाइनिंग हाल में उन्हें जितना चाहे दूध मिल जाएगा."
खेलगांव में अपनी गाय लाने की भारतीय कुश्तीगीरों की मांग ठुकराते हुए एक अधिकारी की टिप्पणी