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कैसे पड़ा वो पहला कदम

१५ जुलाई २०१६

कभी सोचा है कि अगर हम चल न सकें तो हमारी जिंदगी कैसी होगी? वैज्ञानिक इसी को समझना चाह रहे हैं. वे जानना चाहते हैं कि करोड़ों साल पहले आखिर चाल की शुरुआत कैसे हुई.

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तस्वीर: Fotolia/dozornaya

यह इंसान हमेशा मूवमेंट के बारे में सोचता है. जन्तुविज्ञानी प्रो. मार्टिन फिशर का पसंदीदा विषय है इंसान और पशुओं के शरीर की रचना. लाखों सालों में चलने की कला कैसे विकसित हुई, इसका पता उन्होंने सहेज कर रखे गए शरीरों पर शोध कर किया. लेकिन यह काफी नहीं था. वे जीवित जानवरों को देखना चाहते थे कि आगे बढ़ने की प्रक्रिया उनके शरीर में कैसे होती है.

छिपकली की मदद से वह अपनी टीम के साथ इसे समझना चाहते हैं. छिपकली पुराने समय के विशालकाय जानवर से मिलती जुलती है. दुनिया की सबसे तेज एक्सरे मशीन रिसर्चरों को नई जानकारी मुहैया कराएगी.

डायनासोरों से मिलती छिपकली

एक ट्रेडमिल की मदद से छिपकली का मूवमेंट शुरू होता है. 2000 फोटो प्रति सेकंड की रफ्तार से उसका एक्सरे लिया जाता है. पहली बार उसकी चाल का रहस्यमय मैकेनिज्म दिखना शुरू हुआ है.

प्रोफेसर फिशर इसकी अहमियत बताते हैं, "हमारे पास ऐसे जीवाश्म हैं जो 30 करोड़ साल पुराने हैं. लेकिन हमारे पास सिर्फ हड्डियां हैं. हम जानना चाहते हैं कि प्राचीन डायनासोर कैसे चलते थे. इन जीवाश्मों की चाल समझने के लिए हमें आज के जीवों की जांच करनी होगी. हमें एक्सरे फिल्में बनानी होंगी और उसकी मदद से हम पहले की चलने की गति का आकलन कर सकते हैं. मतलब यह कि हम इवोल्यूशन एपरेटस की गति को समझ सकते हैं. यह मेरी रिसर्च का मकसद है."

उन्होंने अब तक बहुत सारी प्रजातियों की जांच की है. चूहे, बंदर, बिल्लियां, गिलहरियां और छिपकलियां उनके कैमरे की किरणों से पार हुई हैं. हर नई तस्वीर के साथ रिसर्चर जन्तुविज्ञान के नए इलाके में प्रवेश कर रहे हैं.

प्रो फिशर कहते हैं, "जब मैं एक्सरे तस्वीरों को देखता हूं तो बहुत ही अच्छा लगता है. ये सचमुच नई खोज है. मैं जैसे नए द्वीप पर पहुंच गया हूं. मैं पहली बार एक पशु के अंदर देखता हूं. अब से पहले ये मौका किसी को नहीं मिला है. ये अद्भुत अहसास है."

दिमाग ही नहीं, लोकल इंटेलिजेंस भी है

छात्रों के लिए मार्टिन फिशर एक संस्थान जैसे हैं. अपने अनुभवों के जरिये वे बताते हैं कि कैसे विकास की प्रक्रिया में रूह और बदन ने एक दूसरे पर असर डाला. जानवरों की आधुनिक एक्सरे तस्वीरों के जरिए उनके चलने की प्रक्रिया जानी जा सकती है. और इसी से पता चलता है कि शरीर और मन का चलने की प्रक्रिया में क्या संबंध है. कुछ चौंकाने वाली जानकारियां सामने आयी हैं.

एक्सरे वीडियो दिखाते हैं कि कुत्तों की सभी प्रजातियां चाहे वे बड़ी हों या छोटी, एक ही तरह से चलती हैं. लेकिन हैरान करने वाला सवाल ये है कि कुत्ते गिरते क्यों नहीं हैं, भले ही वे दौड़ क्यों न रहे हों? रिसर्चरों ने इसका पता करने के लिए एक तरकीब सोची. पहला टेस्ट चूहे के साथ किया गया. शोधकर्ताओं ने चूहे को ट्रेड मिल पर दौड़ाया और उसके सामने एक पिंजरा रख दिया गया. उसने तुरंत प्रतिक्रिया दिखाई. ऐसा तभी संभव है जब पांव में इंटेलिजेंट मैकेनिज्म हो.

प्रोफेसर मार्टिन फिशर प्रयोग का नतीजा बताते हुए कहते हैं, "एक चूहे को पिंजरे से होकर गुजारने की कोशिश और उसकी प्रतिक्रिया से हम साबित कर सकते हैं कि पैर दिमाग के निर्देश से ज्यादा तेजी से रिएक्ट करता है. इससे साबित होता है कि पांवों में लोकल इंटेलिजेंस है."

मार्टिन फिशर ने अपना सपना पूरा किया है. उन्हें एक ऐसी रोमांचक दुनिया में झांकने और गोता लगाने में कामयाबी मिली है जो अब तक अंजान थी.

एमजे/ओएसजे