कैसा रहा दिल्ली के ऑड-इवेन का नतीजा
1 जनवरी से 15 जनवरी तक दिल्ली की सड़कों पर किए गए ऑड-इवेन नंबर ट्रायल ने दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी में कैसा असर दिखाया, जानिए तस्वीरों में...
दिल्ली में रोजाना औसतन 85 लाख गाड़ियां सड़कों पर होती हैं और करीब 1,400 नई कारें इसमें हर दिन जुड़ती हैं. दिल्ली के इस प्रयोग के दौरान करीब 10 लाख कारें सड़कों से दूर रहीं. ऑड इवेन रूल के चलते सड़कों पर कारें कम और ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात रही.
कई बड़े बड़े नेताओं, जजों, राजनयिकों तक ने योजना में छूट के बावजूद इसका पालन किया. कई गणमान्य लोगों ने कार पूल किया तो किसी किसी ने सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल किया.
यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस 15 दिन के प्रयोग में वायु की गुणवत्ता में बहुत ज्यादा अंतर दर्ज नहीं हुआ. हालांकि इसने दिल्लीवासियों के दिमाग में अपने शहर की हवा को साफ करने का संकल्प जरूर दिखाई दिया.
राजधानी में सड़क यातायात के नियमों की खूब अनदेखी की जाती है. यातायात पुलिस ने पाया कि इस प्रयोग के दौरान लोगों में ट्रैफिक नियमों का पालन करने की भावना भी दिखाई दी. ऑड-इवेन रूल तोड़ने वाले को 2,000 रुपए का जुर्माना देना पड़ता है.
दिल्ली सरकार ने बताया कि इस ट्रायल के कारण "वाहनों के कारण होने वाला वायु प्रदूषण में आधे से भी कम हुआ." दिल्ली सरकार शहर के 18 ठिकानों पर वायु गुणवत्ता पर निगरानी रखे हुए थी. हालांकि यह साफ नहीं है कि वायु प्रदूषण के बाकी स्रोतों को मिलाकर कितना फर्क आया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फेफड़ों में गहराई तक पहुंचने वाले हानिकारक अतिसूक्ष्म कणों पीएम2.5 की सुरक्षित सीमा तय की है. दिल्ली में ये सुरक्षित सीमा के छह से 10 गुना तक पाए गए हैं. दिल्ली की पर्यावरण संस्था सीएसई के अनुसार हर साल गंदी हवा के कारण 30,000 से ज्यादा मौतें होती हैं.
प्रदूषणरोधी कदमों के तहत कोयला से चलने वाले पावर प्लांट्स को धीरे धीरे बंद किए जाने और सड़कों से धूल को वैक्यूम से साफ किए जाने की भी योजना है. कुल वायु प्रदूषण का केवल 3 प्रतिशत ही कारों से आता है जबकि बाकी भारी उद्योगों और अन्य वाहनों से.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2014 के एक सर्वे में दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 13 भारतीय शहरों को रखा था. इस सूची में नई दिल्ली को सबसे प्रदूषित बताया गया. अभी भी हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करने वाली डीजल कारों और ट्रकों को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनी है.