1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कुत्ते अनुमान से अधिक बुद्धिमान

२३ सितम्बर २००९

कुत्ते को हिकारत से कभी न दुत्कारें. वह उससे कहीं अधिक बुद्धिमान हो सकता है जितना आप सोच रहे हैं. आप की आँखों में आपके विचार पढ़ सकता है. सैकड़ों शब्द और चेहरे के हावभाव याद रख सकता है. गिनतियां भी कर सकता है.

https://p.dw.com/p/JmxJ
तस्वीर: AP

कुत्ते भूँकते ही नही, हँसते-रोते और यहां तक कि बोलते भी हैं. जर्मनी की ज़ोला कोगान का बुलटेरियर "अमानी" उन्हें "मा..आ..आ..मा" कह कर पुकारता है. मालकिन ने उसे यही सिखाया है.

कुत्तों की केवल नाक ही तेज़ नहीं होती, बुद्धि भी काफी तेज़ होती है. हाल ही में टोरंटो में हुए एक मनोविज्ञान सम्मेलन में कैनडा के ही एक मनोवैज्ञानिक स्टैनली कोरेन ने बताया कि कुत्ते लगभग उतने ही बुद्धिमान होते हैं, जितना ढाई साल का कोई बच्चा. वे क़रीब ढाई सौ शब्द और भाव-भंगिमाएँ याद रख सकते हैं.

कुत्ते पांच तक गिन सकते हैं

वैंकूवर में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर और कुत्तों के बारे में दर्जनों पुस्तकों के लेखक स्टैनली कोरेन का यह भी कहना है कि कुत्ते चार या पाँच तक की गिनती भी कर सकते हैं. जोड़-घटाने जैसे गणित के मूल नियमों को भी काफी कुछ समझ लेते हैं. केवल देख-सुन कर सीख जाते हैं कि कोई ख़ास चीज़ कहां रखी हुई है. किसी ख़ास जगह पहुँचने के लिए कौनसा रास्ता सबसे छोटा है या किसी साधारण उपकरण को कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है.

"आई लव यू"

कुत्ते हम मनुष्यों की तरह साफ़-साफ़ बोल नहीं पाते, लेकिन सिखाने पर सरल शब्दों को बोलने का भरपूर प्रयास करते हैं. उदाहरण के लिए अमेरिका में कुत्तों के बहुत से मालिक उन्हें "आई लव यू " बोलना सिखाने लगे हैं. कुत्ते इसे लगभग बोल लेते हैं.

BdT Deutschland Hundefestival in Greifswald Hunde Frisbee
फ्रिस्बी खेलता कुत्तातस्वीर: AP

कोई कुत्ता कितना बुद्धिमान या कुशल है, यह इस पर निर्भर करता है कि वह किस नस्ल का है. कुत्तों को ट्रेनिंग देने वाले 200 से अधिक प्रशिक्षकों के अनुभवों के आधार पर प्रोफ़ेसर कोरेन कहते हैं कि सबसे बुद्धिमान कुत्ते क्रमशः बॉर्डर कोली, पूडल, जर्मन अल्शेसियन, गोल्डन रिट्रीवर और डोबरमैन होते हैं.

ढाई सौ शब्दों का शब्दभंडार

साधारण कुत्ते हमारी बोली के औसतन 165 शब्द और तेज़ बुद्धि वाले कुत्ते क़रीब ढाई सौ शब्द तक याद रख सकते हैं. उल्लेखनीय है कि साधारण मनुष्य भी आम तौर पर केवल 500 शब्दों में अपना काम चला लेता है. "कुत्ते शायद आइनश्टाइन नहीं हैं", प्रोफ़ेसर कोरेन का मत है, "लेकिन हम मनुष्यों से उससे कहीं अधिक मिलते-जुलते हैं, जितना हम समझते थे. किसी खेल के दौरान अपने जातभाइयों को चकमा देने में कुत्ते भी उतने ही उस्ताद हैं, जितना हम मनुष्य कुत्तों को चकमा देने में."

इशारे समझने में निपुण

एक और समानता है. वे हमारी आँखों और चेहरों को पढ़ सकते हैं. विकासवाद के अध्ययन के लिए जर्मनी में लाइपज़िग स्थित माक्स प्लांक संस्थान प्राइमेट कहलाने वाले और कभी हमारे पूर्वज रहे नरवानरों में बुद्धिमत्ता का अध्ययन कर रहा है. संस्थान के सहनिदेशक डॉक्टर माइकल टोमासेलो ने पाया कि चिंपाज़ी बंदर उंगली से हमारे इशारे को तो समझ ही लेते हैं, कुत्ते इसे और भी अच्छी तरह समझ सकते हैं:

"हम जानना चाहते थे कि कुत्ते इस मामले में नरवानरों से बेहतर क्यों हैं?"

जन्मजात कुशलता

कुत्तों के साथ प्रयोगों से यह तथ्य सामने आया कि वे हमारी शारीरिक भाषा को, यानी हमारे इशारों और भाव भंगिमाओं को, 90 प्रतिशत मामलों में सही-सही समझ जाते हैं. केवल छह महीने के पिल्ले भी बहुत तेज़ी से सही अर्थ लगाना सीख जाते हैं. यानी, कुत्तों में यह कुशलता जन्मजात होती है. डॉ. टोमासेलोः

09.03.2008 DW-TV Journal Reporter Hunde
आई लव यू!तस्वीर: DW-TV

"इसका स्वाभाविक उत्तर हमें यही लगा कि मनुष्यों ने कुत्तों का आनुवंशिक आधार पर चयन किया है, उन्हें पालतू बनाया है. यानी कुत्ते एक ख़ास ढंग से हमारे संपर्क में रहे हैं. हम से भावात्मक रूप से जुड़ गये हैं और हमारे साथ संवाद करने लगे हैं."

चिंपाज़ी के साथ ऐसा नहीं हुआ. मनुष्य ने उन्हें पालतू नहीं बनाया. इसलिए हमारे और उनके बीच दूरी भी बनी रही. लेकिन कुत्ते हमारी शारीरिक भाषा को समझने के साथ-साथ हमारे चेहरे को पढ़ना भी जान गये हैं. हमारी आंखों में झांक सकते हैं.

आँखे भी पढ़ लेते हैं

एक प्रयोग में एक पार्क की बेंच पर तीन लोगों को बैठाया गया. एक व्यक्ति का चेहरा सिर पर औंधी रखी बाल्टी से ढका था. दूसरे की आँख पर पट्टी बंधी थी. तीसरे की आँख खुली हुई थी.

फॉक्सी नाम की कुतिया तीनों को परखने के बाद खुली आँख वाले के सामने ठहर जाती है, लेकिन तब तक अपने पुरस्कार का चारा नहीं उठाती, जब तक तीसरा व्यक्ति भी अपनी आंख बंद नहीं कर लेता. प्रयोग संचालक डॉक्टर यूलियाने कामिंस्की कहती हैं:

"व्यक्ति पहले जैसी ही मुद्रा में बैठा रहा. पर इस बार उस की आँखें बंद थीं और चेहरे का भाव थोड़ा बदला हुआ था. तब भी कुत्ता इस हल्के से बदलाव को ताड़ जाता है और आंखे बंद देख कर चारा उठा लेता है."

डॉ. टोमासेलो के लिए यह एक अविश्वसनीय अनुभव थाः

"मैं दंग रह गया. आँखें बंद हैं लेकिन व्यक्ति का शरीर अभी भी कुत्ते की ओर अभिमुख है. तब भी कुत्ता समझ जाता है कि अब कोई आँख देख नहीं रही है कि वह क्या कर रहा है..... मुझे विश्वास नहीं हुआ. हमने इस प्रयोग को कई बार दुहराया."

कुत्ते को चारे की लालच तो थी ही. जैसे ही उसे लगा कि अब कोई आंख उसे देख नहीं रही है, उसने चारा झटक लिया. लेकिन, ऐसे चतुर जानवर पर भला कौन गुस्सा हो पायेगा, जो आँख में आँख डाल कर आप से शायद यह भी कहे... आइ लव यू.

(ऑडियो फ़ाइल सुनें पोडकास्ट के तौर पर)

रिपोर्ट- राम यादव

संपादन- उज्ज्वल भट्टाचार्य