किस किस की नौकरी छीनेगा 'एआई'
२० जनवरी २०१७इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन की ताजा लहर में फैक्ट्रियों में रोबोटों का प्रवेश हो गया. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में उत्पादकता तो बढ़ी लेकिन साथ ही कई लोगों की नौकरी भी गई. मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में एक बार फिर लाखों ऐसी व्हाइट कॉलर नौकरियों पर संकट गहराने लगा है और इस बार कारण है एआई यानि आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस तकनीक.
'एआई' चौथी औद्योगिक क्रांति की देन है. इसकी भूमिका को लेकर उद्योग जगत तो उत्साही है लेकिन दावोस में विश्व आर्थिर फोरम में इकट्ठे हुए सामाजिक उद्यमी और नेता इसके असर को लेकर थो़ड़े आशंकित भी हैं. हाल के सालों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में विकास थोड़ा "लड़खड़ाहट" भरा रहा है.
भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी विशाल सिक्का बताते हैं, "कई मायनों में हम इस विकास के शुरुआती क्रम में हैं. आगे संभावना है कि इस (औद्योगिक) प्रगति में पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा लोग पीछे छूट जाएंगे." कई पश्चिमी देशों में तकनीकी बदलावों और ग्लोबलाइजेशन के कारण लोगों का असंतोष कई बार उभर कर सामने आया है. ऐसे ही असंतोष की नींव पर अमेरिका के नए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपनी उम्मीदवारी की इमारत खड़ी करने में कामयाबी पाई.
विशेषज्ञों की मानें तो निकट भविष्य में कहीं ज्यादा बड़े स्तर पर 'वाइट कॉलर जॉब' करने वाले लोग काम से बाहर होंगे. इस बारे में पहले से ही कोई रणनीति तैयार रखने के लिए पश्चिमी देशों की सरकारों और जनता दोनों को सोचना होगा.
एआई जैसी नई तकनीकें कार्यस्थलों को पूरी तरह बदल कर रख देने वाली हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टीने लगार्द कहती है कि सरकारों को कामगारों के लिए सुरक्षात्मक नीतियां बनाने और लोगों को दूसरे कामों के लिए प्रशिक्षण देने की ओर तुरंत ध्यान देना होगा.
प्रचलित शिक्षा व्यवस्था स्किल की कमी को पूरा नहीं कर पा रही है. यूरोप और अमेरिका में आईटी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में लाखों पद खाली पड़े हैं. इन्हें अक्सर आप्रवासी प्रोफेशनल्स को लाकर भरा जाता है. जॉब कंसल्टेंसी ग्रुप मैनपावर ने 43 देशों के 18,000 कर्मचारियों के बीच कराए एक सर्वे में पाया कि 45 फीसदी लोगों का रोजाना का काम आसानी से आज उपलब्ध तकनीकों की मदद से ऑटोमेटेड किया जा सकता है. ग्लोबल कंसल्टेंसी मैकिंजी का कहना है कि 60 फीसदी से ज्यादा नौकरियां और 30 फीसदी से अधिक बिजनेस गतिविधियां आज की तरीख में ऑटोमेट की जा सकती हैं.
बैंकिंग में बैक ऑफिस काम, बीमा और दूसरी वित्तीय सेवाएं सीधे साधे आईटी ऑटोमेशन के दायरे में हैं. वहीं डॉक्टरी और एकाउंटेसी जैसे पेशे भी अब आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के विकास के कारण ऑटोमेशन से अछूते नहीं रहेंगे. ऊबर और एयरबीएनबी जैसी इंटरनेट आधारित कंपनियों ने कई पुराने प्रचलित बिजनेस मॉडलों को तोड़ा है और लोगों के लिए रोजगार के नए मौके पैदा किए हैं. कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस नए युग में लोगों को ज्यादा लचीला बनना होगा और अपने पूरे करियर के दौरान कई जगह और कई तरह के काम करने के लिए तैयार भी रहना होगा.
आरपी/ओएसजे (एएफपी)