कितना कमाती है काम वाली बाई
शायद कुछ लोगों को लगता हो कि घर में झाड़ू, पोंछा, बर्तन, साफ करने वाली बाई बहुत मंहगी पड़ती है, लेकिन सच तो ये है कि भारत में काम वाली बाई घरेलू कर्मचारियों में सबसे कम पैसे कमाती है और उनकी जिंदगी बहुत मुश्किल भी है.
इंडिया रियल टाइम नाम के जॉब पोर्टल के लिए babajob.com द्वारा कराए गए एक सर्वे से पता चला है कि भारत में घरेलू कामों के लिए रखे जाने वाले कर्मचारियों में काम वाली बाई सबसे कम पैसे कमाती है. और सबसे अच्छी कमाई होती है ड्राइवरों की.
बड़े शहरों की तुलना करें तो कोलकाता में मेड की महीने की औसत कमाई 5,000 रूपये के आसपास है, तो वहीं अहमदाबाद और हैदराबाद में इससे थोड़ी बेहतर करीब 5,500 रूपये. बेंगलुरू, दिल्ली और चेन्नई जैसे महानगरों में औसत 6,000 जबकि मुंबई में सबसे ज्यादा 7,000 रूपये प्रति माह.
पूरे भारत में कार ड्राइवरों को सभी घरेलू कर्मचारियों में सबसे अधिक पैसे कमाने वाला पाया गया. इनकी कमाई अहमदाबाद जैसे शहर में औसतन 9,500 तो वहीं मुंबई जैसे शहर में करीब 13,000 रूपये तक होती है. यह किसी मेड के मुकाबले लगभग दोगुनी कमाई है.
ड्राइवरों के बाद घरेलू कामों में सबसे अच्छी कमाई करने वालों में नंबर आता है चौकीदारों का. घरेलू कर्मचारियों की मासिक आमदनी पर कराए गए सर्वे में एक चौकीदार की औसत आय 9,000 रूपये के करीब दर्ज हुई.
मेड के बाद सबसे कम कमाने वाले कामगरों में नंबर है बच्चों की देखभाल करने वाली आया का. महीने का औसतन 6,000 कमाने वाली नैनी से थोड़ा ज्यादा यानि औसत 6,500 रूपये के आसपास खाना बनाने वाली कुक कमाती है.
वेतन में अंतर का कारण यह है कि इन कर्मचारियों का वेतन मांग और आपूर्ति के आधार पर ही तय होता है. सर्वे में ये भी पता चला कि जिन पेशों में ज्यादा पुरुष हैं उनमें वेतन का स्तर आमतौर पर ऊंचा होता है. मेड के तौर पर महिलाएं ही काम करती हैं.
भारत भर में करीब दो करोड़ लोग, जिनमें ज्यादातर औरतें हैं, घरों में मेड, कुक या नैनी के तौर पर काम करती हैं. पूरे देश का औसत देखें तो इनकी आय महीने के 3,000 रूपये से ऊपर नहीं. वो भी तब जब वे हफ्ते के छह से सात दिन फुलटाइम काम करती हैं.
भारत में इन घरेलू कर्मचारियों को किसी तरह की सुरक्षा नहीं मिली है और कमाई बेहद कम है. इतना ही नहीं इन्हें कर्मचारी नहीं बल्कि नौकर माना जाता है और कई बार उनसे गुलामों जैसा रवैया रखा जाता है.
अमेरिका में श्रम कानूनों के दायरे में आने के कारण मेड की प्रति घंटा औसत कमाई 11 डॉलर यानि 700 रूपये से अधिक होती है. भारत में अभी मेड के न्यूनतम वेतन पर कोई राष्ट्रीय नीति नहीं है. शायद इसीलिए अमेरिका में मेड रखना लक्जरी है जबकि भारत में औसत मध्यमवर्गीय परिवार भी ऐसा कर पाता है.