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कहां गए होलब्रुक?

२२ अक्टूबर २००९

राजधानी इस्लामाबाद में खुली सड़क पर मोटर सायकिल पर सवार दो आततायियों ने एक वरिष्ठ सैनिक अधिकारी को गोलियों से भून डाला. ऐसी ख़बरों की पृष्ठभूमि में अमेरिका की ऐफ़-पाक नीति पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं.

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अचानक मंच से ग़ायबतस्वीर: AP

इस्लामाबाद और पेशावर में भयानक आतंकवादी हमलों के बाद दक्षिण वज़ीरिस्तान में अपने व्यापक सैनिक अभियान में पाकिस्तानी सेना को तालिबान के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है. जहां तक अफ़ग़ानिस्तान का सवाल है, तो वर्तमान राष्ट्रपति हामीद करज़ई चुनाव के दूसरे दौर के लिए राज़ी हो गए हैं, लेकिन सुरक्षा व संगठन से संबंधित कारणों से चुनाव का आयोजन एक कठिन मिशन होने जा रहा है.

और ऐसी हालत में अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के लिए ओबामा के विशेष दूत रिचर्ड होलब्रुक समूची तस्वीर से लगभग ग़ायब दिख रहे हैं. न्युयार्क टाइम्स के एक संपादकीय लेख में कहा गया है - बहुतों की तरह हमें भी अचरज हो रहा है कि रिचर्ड होलब्रुक का क्या हुआ, जो विदेश विभाग में अपनी ज़मींदारी कायम कर चुके हैं, लेकिन ऐसी नाज़ुक घड़ी में जिनका अता-पता नहीं मिल रहा है.

ज्ञातव्य है कि होलब्रुक अब तक कभी भी मीडिया से मुंह नहीं चुराते रहे हैं, इसलिए भी उनके इस मीडियाई संयम पर वाशिंगटन में काफ़ी हैरानी है.

आख़िरकार होलब्रुक ने अपनी चुप्पी तोड़ी है, लेकिन इंटरनेट पर. विदेश नीति संबंधित ब्लॉग पत्रिका द केबल के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा है कि उन्हें लगता नहीं कि वे ग़ायब हैं, क्योंकि वे दिन-रात काम कर रहे हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में चुनाव के दूसरे दौर पर पैदा हुई जिच के मामले में भी अमेरिका को वरिष्ठ सेनेटर जॉन केरी को काबुल भेजना पड़ा. बताया जाता है कि वर्तमान अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामीद करज़ई के साथ होलब्रुक के बिगड़े संबंधों के कारण ऐसा करना पड़ा. लेकिन होलब्रुक ने इस विचार का खंडन किया कि अब जॉन केरी इस क्षेत्र में धीरे-धीरे उनका स्थान लेते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव संबंधी वार्ताओं के दौरान केरी के साथ उनकी 25 बार बातचीत हुई.

होलब्रुक ने कहा कि वे अगले महीने अफ़ग़ानिस्तान और भारत की यात्रा की योजना बना रहे हैं. विदेश मंत्री हिलैरी क्लिंटन पाकिस्तान जाने वाली हैं. अभी तक इन यात्राओं की तारीखें तय नहीं हुई हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: राम यादव