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कला का दीवाना कतर

२५ अक्टूबर २०१३

कला के क्षेत्र में कतर तेजी से आगे बढ़ रहा है. भले ही कतर के कलाकार दुनिया भर में मशहूर नहीं हों लेकिन सबसे महंगी पेंटिंग्स खरीदने की ताकत कतर ही रखता है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

कला की दुनिया में सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में कतर के शासक की बहन को पहले नंबर पर शामिल किया गया है. ब्रिटेन की कला समीक्षा पत्रिका ने प्रभावशाली लोगों की सूची जारी की है. कतर संग्रहालय प्राधिकरण, क्यूएमए की प्रमुख होने के नाते शेख अल मयस्सा बिन्त हम्द बिन्त अल थानी के पास सालाना एक अरब डॉलर खर्च करने का बजट है. ये बजट न्यू यॉर्क के आधुनिक कला संग्रहालय से तीन गुना ज्यादा है. पत्रिका ने 'शक्ति 100' की सूची छापते हुए लिखा है, "कोई आश्चर्य नहीं है, तभी तो जब भी शेख अल मयस्सा शहर में होती हैं सरकार और प्रशासन के लोग उनके अभिवादन में कतार लगाते हैं.

चीनी कलाकार अई वेई-वेई पिछले साल सूची में शीर्ष पर थे. 2013 के लिए वेई-वेई सर्वोच्च रैंकिंग कलाकार हैं. प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में वे नौवे स्थान पर हैं. जर्मनी में पैदा हुए कला के व्यापारी डेविड ज्वर्नर कला की दुनिया के प्रभावशाली लोगों में दूसरे नंबर पर आए हैं. डेविड की न्यू यॉर्क में चित्रशालाएं हैं. खाड़ी के सबसे अमीर देशों में शामिल कतर अपने आपको इस क्षेत्र के सांस्कृतिक केंद्र के तौर स्थापित करना चाहता है.

कला का गढ़ बनता कतर

कला समीक्षा पत्रिका के मुताबिक शेख अल मयस्सा इस बार सूची में पहले स्थान में सिर्फ अपनी खरीदारी की ताकत की वजह से हैं. क्यूएमए ने पिछले साल महान फ्रेंच चित्रकार पॉल सिजेन की उत्कृष्ट कृति ''कार्ड प्लेयर्स'' 25 करोड़ डॉलर में खरीदी थी. ये अब तक की सबसे महंगी बिकने वाली पेंटिंग है. कला समीक्षा पत्रिका के मुताबिक, "दोहा को जिस दिन यह अहसास हो गया कि उसने पर्याप्त खरीदारी कर ली है तो बाजार में ऐसा खालीपन आ जाएगा जिसे कोई भर नहीं सकेगा.""

Museum für islamische Kunst in Doha
दोहा में इस्लामी कला संग्रहालयतस्वीर: picture-alliance/ dpa

कतर में कई संग्रहालय और चित्रशाला हैं, इनके अलावा इस क्षेत्र का सबसे बड़ा इस्लामी कला संग्रहालय भी यहीं है. कला के क्षेत्र में कतर की दिलचस्पी के कारण ही भारत के महान कलाकार मकबूल फिदा हुसैन को वहां की नागरिकता मिली थी. एक जमाने में भारतीय चित्रकला के बेहद खास रहे हुसैन को अपने बनाए चित्रों के कारण भारत में गुस्सा झेलना पड़ा. 1970 के दशक में उनकी बनाई गई कुछ पेंटिंग्स पर खासा विवाद पैदा हुआ, जिसके बाद उनके खिलाफ केस भी दर्ज किए गए. अपने खिलाफ हो रहे विरोध के बाद हुसैन कतर चले गए थे. 2010 में उन्हें कतर की नागरिकता मिली.

एए/एनआर (एएफपी)

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