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कर्ज संकट के साए में गरीबों व अमीरों का सम्मेलन

२५ जनवरी २०१२

स्विस शहर दावोस जनवरी के अंत में दुनिया के केंद्र में होता है. पिछले चार दशक से यहां दुनिया के ताकतवर लोग इकट्ठा होते हैं और विश्व अर्थव्यवस्था पर विमर्श करते हैं. इस साल विश्व आर्थिक फोरम कर्ज संकट के साए में हो रहा है.

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दुनिया भर में व्याप्त असुरक्षा की भावना ने सबसे ताकतवर और धनी लोगों के इस फोरम को भी अपनी बाहों में ले लिया है. विश्व आर्थिक फोरम के संस्थापक क्लाउस श्वाब का कहना है कि कर्ज संकट और राजनीतिक परिवर्तनों ने वैश्विक बर्नआउट सिंड्रोम का आभास पैदा कर दिया है. उनका कहना है कि परिवर्तन के दौर में सुधार के नए विचारों की जरूरत है, सामयिक नेतृत्व के लिए नए मॉडल चाहिए.

प्रभावशाली मंच

श्वाब चार दशक से अधिक से दुनिया भर के प्रभावशाली राजनीतिज्ञों और उद्यमियों को इकट्ठा कर रहे हैं. इस बार 42वें फोरम में 2600 लोग हिस्सा ले रहे हैं. यह एक नया रिकॉर्ड है. उन पर दुनिया की समस्याओं के नए समाधान ढूंढने की जिम्मेदारी होगी. आर्थिक विशेषज्ञ श्वाब कहते हैं, "पूंजीवाद अपने वर्तमान स्वरूप में अब हमारी दुनिया में मेल नहीं खाता."

Weltwirtschaftsforum Davos Bundeskanzlerin Angela Merkel
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फोरम का उद्घाटन यूरोप की सबसे शक्तिशाली सरकार प्रमुख जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल करेंगी. खुद साम्यवादी पूर्वी जर्मनी में पली बढ़ी मैर्केल अब कंजरवेटिव पार्टी की प्रमुख हैं और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की नेता. एक अर्थव्यवस्था जो अपने को पूंजीवादी नहीं बल्कि सामाजिक बाजार अर्थव्यवस्था कहलवाना पसंद करती है. मैर्केल फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी के साथ मिलकर इस समय यूरोप को कर्ज संकट से निकालने के नुस्खे दे रही है.

क्लाउस श्वाब का कहना है कि हमने 2009 के वित्तीय संकट से सबक नहीं सीखा है. वे कहते हैं, "हम कर्ज में डूबे हैं, हमने भविष्य के लिए निवेश को नजरअंदाज किया है, हमने सामाजिक एकजुटता को कमजोर किया है और भावी पीढ़ियों का भरोसे खोने के खतरे में हैं."

Davos Schweiz Wirtschaftsforum World Economic Forum Vorbereitungen
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पचास वैश्विक जोखिम

2012 के ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट में 50 वैश्विक जोखिम गिनाए गए हैं. इनमें से बहुत से ऐसी जगह पहुंच चुके हैं कि उन्हें रोकना मुश्किल हो जाएगा. इनमें वित्तीय असंतुलन को भी गिनाया गया है. आय में बढ़ता अंतर, अनाज और पानी का संकट, ग्लोबल वार्मिंग, आतंकवाद और भ्रष्टाचार समाज को खोखला कर रहे हैं.

इस बार भी फोरम में भाग लेने वाले नामी गिरामी लोगों में 40 देशों के राज्य व सरकार प्रमुख हैं. जी20 के 19 देशों के प्रतिनिधि मौजूद हैं. जी8 देशों के सभी वित्त मंत्री आ रहे हैं और 1600 उद्यमी. भारत से मुकेश अंबानी, अजीम प्रेमजी, आदी गोदरेज, राहुल बजाज और सुनील मित्तल जैसे 100 से ज्यादा कारोबारी नेता दावोस में हैं. सरकार की ओर से वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी पहुंचे हुए हैं.

Eröffnung Weltsozialforum in Brasilien
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विरोधियों का संदेह

एक जगह पर इतनी ज्यादा सत्ता, राजनीति और उद्योग के बीच इतनी करीबी और शाम की प्राइवेट मुलाकातों में आपसी बातचीत, दावोस सालों से संदेह पैदा करता रहा है.आरोप है कि आर्थिक फोरम गैर लोकतांत्रिक विश्व सरकार है. श्वाब इसका विरोध करते हैं. कहते हैं, "हम फैसला लेने का मंच नहीं बल्कि समाधान ढूंढने का मंच हैं."

लेकिन विरोध ऐसा है कि वैश्वीकरण के विरोधियों ने 2001 से गरीबों का सम्मेलन विश्व सामाजिक फोरम शुरू कर दिया है. इस बार ब्राजील के पोर्तो अलेग्रे में यह फोरम 20,000 लोगों की भागीदारी के साथ शुरू हो गया है. इस बार के सामाजिक फोरम का नारा है, पूंजीवादी संकट, सामाजिक और पर्यावर्णिक न्याय. रविवार तक चलने वाले फोरम के विभिन्न समारोहों में वैश्वीकरण के विरोधी जनता के शिखर सम्मेलन की तैयारी करेंगे जो जून में रियो में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सम्मेलन के समांतर होगा. फोरम में ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रूसेफ और ऊरुग्वे के राष्ट्रपति खोजे मुजीचा भी भाग लेंगे.

रिपोर्ट: डीपीए, पीटीआई/महेश झा

संपादन: एन रंजन

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