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33 साल बाद आया सुपर ब्लड मून

२६ सितम्बर २०१५

दशकों बाद खगोलशास्त्रियों और आसमान में होने वाली घटनाओं पर नजर रखने वाले आम लोगों को अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा. पूर्ण चंद्रगहण के बाद खूनी लाल रंग में नहाया लाल चंद्रमा सुपर ब्लड मून.

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Los Angeles Mondfinsternis
तस्वीर: Getty Images/David McNew

ग्रहण का यह नजारा सूर्य, धरती और अतिरिक्त रूप से रोशन चांद के एक साथ आने की वजह से होगा. इसे अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, पश्चिम एशिया और पूर्वी प्रशांत में देखा जा सकेगा. लंदन के रॉयल एस्ट्रोनोमिकल सोसायटी के सैम लिंडसे का कहना है, "यह बहुत ही रोमांचक होगा और खास तौर पर नाटकीय भी. यह सामान्य की अपेक्षा ज्यादा रोशन और सामान्य से ज्यादा बड़ा होगा." पृथ्वी के चारों ओर टक्कर लगाता चांद धरती के सबसे करीब होगा और सबसे ज्यादा रोशन होने के चरण में भी होगा.

इस स्थिति से पैदा होने वाला सुपरमून 30 प्रतिशत चमकदार होगा और उस स्थिति से 14 गुना बड़ा दिखेगा जब वह धरती से सबसे अधिक दूर यानि 49,800 किलोमीटर की दूरी पर होता है. धरती से सबसे नजदीक वाली स्थिति को पेरिगी कहते हैं और सबसे दूर वाली स्थिति को अपोगी. आम तौर पर धरती चंद्रमा और सूरज के बीच सीधी रेखा में आ जाती है जिसकी वजह से चंद्रग्रहण होता है और धरती में सफेद पीली चमक आ जाती है. लेकिन इस बार कुछ रोशनी धरती के किनारों से आ सकती है और वातावरण से फिल्टर होकर वह लाल रोशनी पैदा करेगी जिससे लाल चांद बनेगा.

33 साल से कम उम्र के लोगों के लिए यह सुपर ब्लड मून के देखने का पहला मौका होगा. 1900 के बाद से सिर्फ पांच बार यह स्थिति पैदा हुई है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार पिछली बार ऐसा ग्रहण 1982 में हुआ था और अगली बार 2033 में होगा. यह घटना रिसर्चरों के लिए भी महत्वपूर्ण है. 24 दिनों के चक्र में धरती के सतह का तापमान सीधे सूरज की रोशनी में 121 डिग्री सेल्सियस से माइनस 115 डिग्री के बीच रहता है. इसका इस्तेमाल रिसर्चर सतह की संरचना का अध्ययन करने के लिए करते हैं क्योंकि पत्थर धूल की तुलना में धीरे धीरे गरम और ठंडा होता है.

कोलंबस का मजेदार किस्सा

आज भले ही चंद्रग्रहण सामान्य रोमांचक घटना हो गई हो, विभिन्न संस्कृतियों में इसे प्रलय का संकेत माना जाता रहा है. नासा के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नोआह पेत्रो का कहना है कि अतीत में बहुत सी संस्कृतियों में यह अंधकार और कयामत से जुड़ा रहा है. फरवरी 1504 में क्रिस्टॉफर कोलंबस ने ब्लड मून की मदद से जमैका के लोगों को डराया था. रिश्ते खराब होने से उन्होंने कोलंबस के लोगों का खाना पीना बंद कर दिया था. कोलंबस को ब्लड मून के होने का पता था और उसने कहा कि उनका भगवान उनके साथ हो रहे बर्ताव पर सख्त संदेश देगा. लाल चांद देखने के बाद जमैका के लोग कोलंबस और उसके साथियों के लिए तुरंत खाना लेकर पहुंच गए.

एमजे/ओएसजे (एएफपी)