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समाज

"करोड़ों लोग कट्टरपंथी बनने के लिए नहीं बैठे हैं"

३ मार्च २०१७

अरब दुनिया के 37.5 करोड़ लोग कट्टरपंथी बनने के लिए तैयार नहीं बैठे हैं. लेकिन अरब के मुसलमानों के प्रति उपजे ऐसे ही पूर्वाग्रहों से निपटने का बीड़ा अब एक युवा महिला उद्यमी से उठाया है.

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तस्वीर: picture-alliance/epa/Y. Arhab

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में एक स्टार्ट अप फैक्टरी. खदीजा हमूची यहां तीन महीने के लिए काम कर रही हैं. वह एक ऐसा ऐप डेवलप करना चाहती हैं, जो युवा अरबों को उनकी भाषा में यह जानकारी देगा कि वे अपनी कंपनी कैसे बना सकते हैं. यूजरों की जरूरतों के हिसाब से कारोबार शुरू करने की जानकारी.

अपने प्रोजेक्ट के जरिये खदीजा अरब जगत के प्रति पूर्वाग्रह को तोड़ने की कोशिश भी कर रही हैं,  "जब आप युवा लोगों की शिक्षा की बात करते हैं तो लोग कहते हैं, ओह क्या ये युवाओं को डिरैडिकलाइज करने का प्रोग्राम है? लोगों में कुछ इस तरह के तगड़े पूर्वाग्रह हैं कि वे सोचते हैं कि हर अरब, हर मुस्लिम के आतकंवादी बनने का खतरा है. जैसे कि साढ़े 37 करोड़ लोग इसलिए रैडिकल बनने के लिए तैयार हैं कि वे अरब हैं."

स्टार्ट अप फैक्टरी से मदद कैसे ली जा सकती है यह खदीजा हमूची ने खुद टेस्ट किया है. उन्होंने स्टार्ट अप वर्कशॉप में हिस्सा लिया, लोगों के साथ नेटवर्किंग की. अरब देशों के युवा लोगों को अक्सर यह मौका नहीं मिलता. बहुत से लोग पढ़ाई करते हैं लेकिन उसके बाद वे सरकारी दफ्तरों या बड़ी कंपनियों में नौकरी करना चाहते हैं, ताकि जिंदगी आराम से कट जाये.

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सैन फ्रांसिस्को में खदीजा हमूचीतस्वीर: DW

वर्क शॉप में हिस्सा लेने का खर्चा कुछ खदीजा हमूची का अपना है और कुछ उन्होंने क्राउडफंडिंग से जुटाया है. वह जानती है कि स्टार्ट अप को खड़ा करना आसान काम नहीं, "उद्यमिता बहुत अकेलेपन वाली राह होती है. एकाकीपन लेकिन कभी कभी स्थिरता भी. यह तथ्य कि इस प्रोजेक्ट के लिए मुझे जगह जगह जाना पड़ता है, यह अच्छी बात है क्योंकि लोग मेरी प्रतिबद्धता देखते हैं. लेकिन कभी कभी सोचती हूं कि काश मैं लोगों को एक ही पता दे सकती, चिट्ठी लिखने के लिए."

अपने आयडिया के लिए 26 साल की टीचर ने लंदन की अपनी नौकरी छोड़ दी. लेकिन वह सैन फ्रांसिस्को का मजा नहीं ले सकतीं, वह दिन में 12 से 16 घंटे काम करती हैं. रात में दस बजे दुबई में सॉफ्टवेयर डेवलपर के साथ इंटरनेट पर मीटिंग करती हैं. दुबई के साथ 12 घंटे का टाइम गैप है.

प्रोग्राम डेवलपर दयाना अबूद उनके लिए सिर्फ सॉफ्टवेयर ही नहीं बना रहीं, वह खदीजा को सलाह भी दे रही हैं, "युवाओं को पता नहीं होता कि वे कंटेट कहां खोजें. इंटरनेट पर बहुत सारा कंटेंट नहीं है. उन्हें कुछ हद तक गाइडेंस की भी जरूरत है. और जब उन्हें पता चलता है कि दूसरे लोग या प्लेटफॉर्म भी समुदायों को सीखने के लिए साथ ला रहे हैं, तो वे एक दूसरे के साथ जुड़ जाते हैं और एक दूसरे को मजबूत बनाते हैं."

अरब वसंत ने दिखाया कि युवा लोग किस तरह ऑनलाइन जमा हो सकते हैं. खदीजा कहती हैं, "उन्हें पता है कि वे क्या चाहते हैं. उन्हें पता है कि वे कुछ नया चाहते हैं. उन्हें पता है कि वे बेहतर क्वालिटी चाहते हैं, बेहतर शिक्षा व्यवस्था, बेहतर हेल्थ सिस्टम. उन्हें पता है कि उन्हें क्या मिलना चाहिए और वे इसे मांगेगे."

खदीजा हमूची अब अरब देशों में अपनी अगली यात्रा का प्लान बना रही है. वहां उन्हें पता चलेगा कि उनके ऐप की कितनी मांग है.

(अफगानिस्तान ने फोटोग्राफर बना दिया)

ग्रिट होफमन/एमजे