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करी वुर्स्ट खाया क्या?

१६ दिसम्बर २००९

चाट पकौड़े की तरह जर्मनी में मशहूर खाना करी वुर्स्ट अब पांचसितारा खाने वालों के लिए भी उपलब्ध होगा. फ़्रांस के प्रसिद्ध रेस्तरां गाइड गो मियो ने हैम्बर्ग के एक करी वुर्स्ट ज्वाइंट को अपने गाइड में शामिल किया है.

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करी वुर्स्ट का कमालतस्वीर: AP

आग पर भूना गरम गरम मीट का सौसेज, उसपर मसालेदार टमाटर की चटनी और खूब सारा चटपटा मसाला. वाह क्या बात है! करी वुर्स्ट के नाम से मशहूर यह स्वादिष्ट मीट जर्मनी में हर गली नुक्कड़ में बहुत मशहूर है. उसी तरह जैसे भारत में छोले-भटूरे, चाट-पकौड़े या गोलगप्पों की दुकान. जैसे कभी इन्हें ग़रीबों का खाना माना जाता था और ऐसी जगहों पर मिलता था जहां धनी लोग खाने नहीं जाते.

लेकिन अब धनी लोग भी सड़कों पर बिक रहे करी वुर्स्ट को नज़रअंदाज़ करने के बदले फ़ाइव स्टार करी वुर्स्ट का मज़ा ले पाएंगे. हाल ही में जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में छोटे से "करी क्वीन" नामक फास्ट फ़ूड ज्वाइंट को "सबसे बेहतरीन और सबसे स्वादिष्ट" करी वुर्स्ट बनाने का खिताब मिला है. जी हाँ आपने सही सुना. किसी बड़े रेस्तरां को नहीं बल्कि एक छोटे से फास्ट फ़ूड ज्वाइंट को. इस फास्ट फ़ूड ज्वाइंट के मालिक साशा बास्लर कहते हैं, "जब उन्हें यह चिठ्ठी मिली कि उन्हें बेहतरीन कार्य के लिए सम्मानित किया गया है तो उन्हें एक बार के लिए लगा कि उनके साथ कोई मज़ाक हो रहा है".

यह खिताब "करी क्वीन" को किसी और से नहीं बल्कि फ़्रांसीसी रेस्तरां गाइड " गो मियो" ने दिया है जो जर्मनी के लिए भी रेस्तरां गाइड प्रकाशित करती है. गो मियो के विशेषज्ञ केवल खाने और रेस्तरां को ही नहीं बल्कि तरह तरह कि वाइन को भी परखते हैं. अच्छी जांच के बाद ही वे उन्हें सितारों से सम्मानित करते हैं. 4 सितारा सबसे बड़ा सम्मान होता है. लेकिन ऐसे बहुत ही कम रेस्तरां हैं जिन्हें गो मियो की तरफ से यह खिताब मिला है.

ऐसा पहली बार हुआ है कि गो मियो ने अपनी रेस्तरां गाइड 2010 के लिए एक फास्ट फ़ूड ज्वाइंट को चुना है. खाना चखने आये एक ग्राहक कहते हैं कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि यहाँ कितने प्रकार के करी वुर्स्ट हैं, और सिर्फ एक टाईप की चटनी के बदले यहां तो तरह तरह की चटनियाँ और मसाले भी हैं. यह ही नहीं यहाँ की आईस क्रीम भी करी वुर्स्ट कि तरह ही दिखती है.

ज्वाइंट के मालिकों साशा बास्लर और बिआंका हाबरमन का कहना है कि दोनों की पहले से ही खाना बनाने में बहुत रुचि थी. दोनों ने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं मे भी हिस्सा लिया था और वे कई बार फ़ाइनल तक भी पहुँचे थे. इस लिए दोनों ने कुछ नया करने की सोची. और एक उच्चस्तरीय फास्ट फ़ूड रेस्तरां खोलना उनका सपना बन गया.

जहां जर्मनी में लोग ज्यादा से ज्यादा रेस्तरां में स्वस्थ खाना पसंद करते हैं, वहीं ऐसे फास्ट फ़ूड ज्वाइंट को ऐसा ऊंचा खिताब मिलना एक नया ट्रेन्ड शुरू कर सकता है. जर्मनी में ही नहीं बल्कि भारत में भी ऐसे कई छोटे फास्ट फ़ूड ज्वाइंट है जिनमें स्वस्थ और अच्छा खाना मिलता है. फास्ट फ़ूड का यह ट्रेन्ड जल्द ख़त्म होने वाला नहीं है.

रिपोर्ट: जैसु भुल्लर

संपादन: उ भट्टाचार्य