मंथन 77 में खास
६ मार्च २०१४बादल भी अब दो तरह के होते हैं. एक वो जो आसमान पर छाता है और बारिश लेकर आता है. दूसरा वह, जो है तो कहीं हवा में ही कहीं, लेकिन बारिश नहीं बल्कि दुनिया भर के आंकड़े और जानकारियां संभालता है. आप और हम जब भी कंप्यूटर पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए किसी को ईमेल भेजते हैं या फिर कोई कोई तस्वीर सुरक्षित रखने की कोशिश करते हैं, तब ये सब कुछ उसी बादल या डाटा क्लाउड में जाकर सुरक्षित हो जाता है. डाटा क्लाउड में मौजूद अनगिनत जानकारियां किसी भी इंसान के लिए नियंत्रित कर पाना संभव नहीं है. ऐसे में इंसान कंप्यूटर की मदद लेता है. कंप्यूटर सिमुलेशन तकनीक के इस्तेमाल से मेडिकल साइंस में डॉक्टरों को भी बहुत मदद मिल रही है. मंथन में आप देखेंगे कि किस तरह डॉक्टर और रिसर्चर कंप्यूटर सिमुलेशन से मरीजों के लिए सटीक इलाज ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं.
कंप्यूटर सिर्फ रिसर्चरों की लैब में ही नहीं, हमारी रोजमर्रा के जीवन में भी अपनी जगह बना चुके हैं. पहनने वाले चश्मों की दुनिया में गूगल ग्लास के जलवे हैं, तो कलाई की घड़ी भी हाई टेक होकर स्मार्ट वॉच बन चुकी है. पहनने वाली कुछ स्मार्ट चीजें तो आ ही गई हैं. लेकिन कैसा हो अगर कपड़े भी स्मार्ट बन जाएं. उन्हें आपकी आदतों के बारे में पता हो. अगर ब्लड प्रेशर अचानक 'हाई' हो जाए, तो कपड़े इशारा कर दें या फिर डायबिटीज का इलाज कपड़ों के अंदर छिपा हो. दक्षिण कोरिया के डिजिटल क्लोंदिंग सेंटर में बाकायदा डिजिटल कपड़े बनाने का कोर्स होता है. मंथन में आपको ले चलेंगे इसकी एक फैक्ट्री में.
आंकड़ों के अंबार से सूचना निकालना
डिजिटल डेटा आखिर है क्या? बीस तीस साल पहले तक रिकॉर्ड में रखी गई चीजें ठोस यानी 'फिजिकल शेप' में होती थीं. तस्वीरों के एल्बम, फिल्मों और गानों की कैसेट, किताबें. लेकिन अब ये सारी चीजें डिजिटल फॉर्म में कंप्यूटर में समा गई हैं. कम जगह में इतने बेशुमार आंकड़े वैज्ञानिकों को ऐसी संभावनाएं दे रहे हैं कि वे आने वाले कल के बारे में बहुत कुछ अनुमान लगा सकें. आए दिन बढ़ते अपराधों को रोकने की कोशिश में भी यह डाटा काम आ सकता है. मंथन में खंगालेंगे इस संभावना को कि क्या हम भविष्य में होने वाले अपराधों के बारे में पहले ही जान सकते हैं.
इंसानी दिमाग जितना जटिल हमारा ब्रह्मांड और अंतरिक्ष भी है. इसके रहस्यों को जानने में भी डिजिटल डाटा काम आता है. आज वैज्ञानिक तापमान, बारिश, धूप से लेकर बरसों बाद होने वाले चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण का भी बरसों पहले ही अनुमान लगा लेते हैं. मंथन में देखेंगे कि किस तरह डिजिटल आंकड़ों से मौसम और पर्यावरण की इतनी पक्की जानकारी मिल पाती है.
इसके अलावा बात होगी स्मार्ट बाजार में सबसे आगे चल रहे स्मार्टफोनों की. अंतरराष्ट्रीय डाटा कॉर्पोरेशन, आईडीसी की रिपोर्ट बताती है कि अगले चार साल में भारत स्मार्टफोनों का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा. डीडब्ल्यू की जर्मन विभाग की हमारी साथी ने एक ऐसा स्मार्टफोन ढूंढने की कोशिश की जो तकनीक ही नहीं, पर्यावरण और मजदूरी की कसौटी पर भी खरा उतरता हो. शनिवार, सुबह साढ़े दस बजे, डीडी नेशनल पर देखिए इन सारे दिलचस्प विषयों पर आपका पसंदीदा शो, मंथन.
रिपोर्टः ऋतिका राय
संपादनः आभा मोंढे