1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ऑस्कर अवार्ड से तेज हुई तेजाब हमले पर बहस

२९ फ़रवरी २०१२

पाकिस्तान को मिले पहले ऑस्कर अवॉर्ड की खुशी ने फिल्म के विषय पर बहस का रास्ता खोल दिया है. तेजाब का हमला हर साल सैकड़ों लोगों की जिंदगी को मौत से बदतर बना देता है.

https://p.dw.com/p/14C06
तस्वीर: AP

इस बार के ऑस्कर अवॉर्ड पाने वालों में पाकिस्तान की एक डॉक्यूमेंट्री भी है जो चेहरे पर तेजाब की आग झेलने के बाद जिंदा बच गई दो महिलाओं की दास्तान है और साथ ही उस कॉस्मेटिक सर्जन की जो उनकी मदद करने के लिए लौट कर पाकिस्तान आता है. 52 मिनट की ये डॉक्यूमेंट्री पाकिस्तानी फिल्मकार शरमीन ओबैद शिनॉय ने अमेरिका के डैनियल जुंग के साथ मिल कर सेविंग फेस बनाई है.

लॉस एंजेलस के चमकते समारोह में ऑस्कर मिलने के बाद पाकिस्तान में हर तरफ जश्न है. प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी शिनॉय के लिए 'उच्च नागरिक पुरस्कार' का वादा किया है. इसके एक दिन बाद मीडिया और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने धूमधाम के बीच ही पाकिस्तान की इस समस्या की ओर जब लोगों का ध्यान दिलाया है.

पाकिस्तान में 1999 और 2001 के बीच एसिड अटैक के 3017मामले दर्ज हुए. ये आंकड़े इस तरह के हमलों का शिकार हुए लोगों के लिए काम करने वाले संगठन एसिड सर्वाइवर्स फाउंडेशन के हैं. इसी तरह केवल 2002 में ही इस तरह के 496 हमले दर्ज हुए. हमलों का शिकार ज्यादातर महिलाएं हैं जिन्हें पुरुषों ने शिकार बनाया है. तेजाब से हमला महिलाओं की पूरी जिंदगी तबाह कर देता है खासतौर से इसलिए भी क्योंकि देश में इलाज और सामाजिक सुरक्षा के पक्के इंतजाम नहीं हैं. पाकिस्तानी अखबार द न्यूज ने अपने संपादकीय में लिखा है, "हालांकि यह पुरस्कार निजी और राष्ट्रीय तौर पर गर्व की बात है लेकिन विषयवस्तु राष्ट्रीय शर्म की बात है. ज्यादा जरूरी यह है कि शिनॉय की कोशिशों ने हमारे सामने अपने को परखने के लिए आईना रख दिया है."

Oscar-Verleihung 2012 Saving Face
तस्वीर: Reuters

महिलाओं के अधिकार के लिए काम करने वाली मारवी मेमन ने इस पुरस्कार को देश और फिल्म बनाने वाले के लिए 'बड़ी उपलब्धि' कहा है. मेमन कहती हैं, "पूरी फिल्म तेजाब से हमले के अपराध पर है और यह इस बुराई पर रोक लगाने के लिए कानूनों पर ठीक से अमल करने में मदद करेगी."

पाकिस्तान के समाज में तेजाब का इस्तेमाल हथियार के रूप में करने की बुराई बहुत गहरी जड़ें जमाए बैठी है. लंबी लड़ाई के बाद पाकिस्तान सरकार ने आखिरकार पिछले साल मीडिया में इस तरह की घटनाओं को दिखाने पर लगी पाबंदी हटाने की हिम्मत दिखाई है. इसके बाद ही यह मुमकिन हुआ कि इस तरह के सामाजिक मुद्दों को मीडिया में जगह मिलने लगी है.

इन हमलों के पीछे पारिवारिक विवाद से लेकर, जमीन पर कब्जे की लड़ाई भी है लेकिन लड़की का शादी से इनकार करना सबसे बड़ी वजह के रूप में अब तक सामने आया है. पूर्वी लाहौर में रहने वाली मुसरत मिसबाह स्माइल अगेन नाम की संस्था चलाती हैं जो इस तरह के पीड़ितों की मदद करती है. उनका पेशा सौंदर्य समस्याओं के समाधान का है. मुसरत ने बताया, "हम अकसर देखते हैं कि उन महिलाओं को तेजाब से हमले का शिकार बनाया जाता है जिनके मां बाप किसी शादी के प्रस्ताव को ठुकरा देते हैं. किसी महिला या उसके मां बाप के ठुकराने पर इसे अपमान समझा जाता है जो उन्हें नाराज कर देता है."

पिछले साल सरकार ने इसे रोकने के लिए एक सख्त कानून बनाया जिसके इस तरह के जुर्म की सजा 14 साल के कैद और कम से कम 5 लाख रूपये के जुर्माना तय किया गया.

मेमन कहती हैं कि शिनॉय की फिल्म जुर्म करने वालों को न्याय के दरवाजे तक पहुंचाने में मदद कर सकती है, "अब सरकार पर नए कानून पर अमल करवाने के लिए ज्यादा दबाव पड़ेगा. हम उम्मीद कर सकते हैं कि इस में शामिल लोगों को दोषी करार देने का काम जल्दी शुरू होगा."

रिपोर्टः डीपीए/एन रंजन

संपादनः आभा एम