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एशियाडः जिम्नास्टिक में भारत को पहली बार पदक

१७ नवम्बर २०१०

मंगलवार को एशियन गेम्स में जिम्नास्टिक के मुकाबलों में पदक जीत कर आशीष कुमार ने एक नए अध्याय की शुरूआत कर दी है. आशीष के जरिए भारत को पहली बार एशियन गेम्स के जिम्नास्टिक मुकाबलों में पदक मिला है.

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ज्यादातर मुकाबलों में अब तक नाकाम साबित हो रही भारतीय टीम के खेमे में खुशी की एक किरण आशीष ने दिखाई है. मेन्स फ्लोर एक्सरसाइज में आशीष ने कांसा जीता है. इस मुकाबले में चीन के जांग शेंगलोंग और कोरिया के किम सू म्यून ने संयुक्त रूप से सोना जीता दोनों के एक बराबर 15.40 अंक हैं. आशीष को इस मुकाबले में 14.92 अंक हासिल हुए.

कुमार ने इससे पहले कॉमनवेल्थ खेलों में अपना जौहर दिखाया था. दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में आशीष ने एक चांदी और एक कांसे का पदक जीता था. उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में रहने वाले आशीष ने जीत के बाद कहा, "मैं बहुत खुश हूं क्योंकि भारतीय जिम्नास्टिक के लिए यह पहला एशियाड पदक है." आशीष का पदक जीतना इसलिए भी बड़ी बात है क्योंकि टीम के विदेशी कोच व्लादीमीर चेर्तकोव नाराज होकर टूर्नामेंट के बीच में ही टीम का साथ छोड़ कर चले गए.

आशीष का यह भी कहना है कि उन्हें इन मुकाबलों की तैयारी के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिल सका जबकि उनके सामने चीन, कोरिया और जापान जैसे देशों के मजबूत खिलाड़ी थे.

आशीष ने पहली बार 1994 में जिम्नास्टिक की दुनिया अपने कदम रखे थे. तब उनकी उम्र केवल चार साल थी. अब जब वह 19 साल के हो चुके हैं और अब उनकी निगाहें ओलिम्पिक में पदक जीतने पर हैं.

टीम के राष्ट्रीय कोच अशोक कुमार जनवरी 2009 से आशीष को ट्रेनिंग दे रहे हैं. अशोक का कहना है कि मुकाबला काफी सख्त था और विदेशी कोच के चले जाने से भी टीम के मनोबल पर कोई खास असर नहीं पड़ा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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