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एवरेस्ट के डेथ ज़ोन की होगी सफाई

२० अप्रैल २०१०

ग्लोबल वॉर्मिंग के सबूत मिलने के बाद नेपाल के पर्वतारोहियों की एक टीम एवरेस्ट के डेथ ज़ोन की सफाई करेगी. यह पहला मौक़ा होगा जब 8,000 मीटर से ऊपर हिमालय पर सफाई अभियान छेड़ा जाएगा.

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एवरेस्ट की पिघलती बर्फतस्वीर: picture-alliance/dpa

इसी हफ़्ते शुरू होने वाले अभूतपूर्व सफाई अभियान में 20 नेपाली पर्वतारोही हिस्सा लेंगे. 'एक्ट्रीम एवरेस्ट एक्स्पेडिशन 2010' नामके इस अभियान की अगुवाई एवरेस्ट विशेषज्ञ नामग्याल शेरपा करेंगे. टीम अपने साथ विशेष किस्म के बैग लेकर जाएगी, जिनमें मारे गए पर्वतारोहियों के शव और हर तरह का कचरा लाया जाएगा.

एवरेस्ट के रास्ते पर 8,000 मीटर से ज़्यादा की ऊंचाई को डेथ ज़ोन कहा जाता है. डेथ ज़ोन में ऑक्सीजन बेहद कम होती है. इसकी वजह से कई पर्वतारोही इस जगह मारे जा चुके हैं. नेपाली शेरपाओं का कहना है कि सफाई अभियान डेथ ज़ोन में ही छेड़ा जाएगा. वहां से ऑक्सीजन की खाली बोतलें, गैस के कनिस्तर, फटे पुराने टेंट, रस्सियां और अन्य सामान साफ किया जाएगा.

Everest Windfahne
तस्वीर: DW/Nestler

एवरेस्ट के निचले इलाकों की सफ़ाई कई बार पहले भी हो चुकी है. लेकिन शेरपाओं का कहना है कि अब ऊपर सफाई करना ज़रूरी हो गया है. 30 साल के नामग्याल शेरपा का कहना है, ''बर्फ में कई साल से कचरा दबा है लेकिन अब ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बर्फ पिघल रही है और कचरा सतह पर आ रहा है.''

शेरपा की टीम को उम्मीद है कि वह दो क्विंटल कचरा अपने साथ नीचे ला सकेंगे. सात बार एवरेस्ट पर फतह कर चुके शेरपा कहते हैं, ''कूड़े की वजह से पर्वतारोहियों को काफी परेशानी हो रही है. कुछ चीज़ें तो एडमुंड हिलेरी के समय से पड़ी हुई हैं.''

Flash-Galerie Friedensreise Mount Everest Schnee
ऐसी बर्फ अब बीते दिनों की बाततस्वीर: DW

एवरेस्ट पर पहली बार 1953 में न्यूज़ीलैंड के एडमुंड हिलेरी ने नेपाल के तेंजिंग नॉर्गे के कदम पड़े थे. तब से अब तक 4,000 से ज़्यादा पर्वतारोही एवरेस्ट पर चढ़ चुके हैं. एवरेस्ट की वजह से ग़रीब देश नेपाल के पर्यटन उद्योग में ख़ासी तेज़ी बनी हुई है. लेकिन दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को फतह करने वालों की भीड़ ने ही अब एवरेस्ट और उसकी बर्फ का अस्तित्व ख़तरे में डाल दिया है.

रिपोर्ट: रॉयटर्स/ओ सिंह

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य