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अपराध

एयर इंडिया बम धमाकों का दोषी मुक्त

१६ फ़रवरी २०१७

आयरलैंड के ऊपर 1985 में एयर इंडिया फ्लाइट को बम से उड़ाने वाला दोषी मुक्त हुआ. पूरी सजा काटने वाले इंद्रजीत सिंह रेयत से कनाडा ने सीमित दायरे वाली पाबंदी भी हटाई.

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Inderjit Singh Reyat
तस्वीर: picture-alliance/empics/D. Dyck

1985 के एयर इंडिया धमाकों के एक मात्र दोषी को बुधवार को कनाडा के परोल बोर्ड ने रिहा कर दिया. दो दशक जेल में काटने वाले इंद्रजीत सिंह रेयत को साल भर पहले जेल से रिहा किया गया था. लेकिन रिहाई के साथ उसे घर के आस पास ही रहने के आदेश दिया गया था. अब परोल बोर्ड ने उस पर लगी यह पाबंदी हटा दी है.

समाचार एजेंसी एएफपी को भेजे ईमेल में परोल बोर्ड के प्रवक्ता पैट्रिक स्टोरे ने कहा कि रेयत अब सामान्य जिंदगी गुजार सकता है. लेकिन परोल अफसर को इस बात की छूट है कि वह तय कर सके कि सजा काट चुके रेयत पर कोई नकारात्मक असर न पड़े. आजादी कुछ शर्तों पर मिली है. इनके तहत रेयत किसी पीड़ित परिवार से संपर्क करने की कोशिश नहीं करेगा और न ही वह अन्य उग्रपंथियों के संपर्क करेगा. रेयत किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भी शामिल नहीं हो सकेगा. उसे समय समय पर मनोचिकित्सक के पास भी जाना होगा.

रेयत एयर इंडिया के दो विमानों में बम रखने का दोषी है. उसने वैंकूवर से टोक्यो और लंदन होते हुए नई दिल्ली जाने वाली फ्लाइटों में बम रखे थे. टोक्यो वाला बम उड़ान पूरी होने के बाद फटा. वहीं नई दिल्ली वाली फ्लाइट का बम आयरलैंड के तट के ऊपर फटा. उस हादसे में विमान में सवार सभी 329 लोगों की मौत हो गई.

जांच के दौरान यह साबित हुआ कि कनाडा में मैकेनिक का काम करने वाले रेयर ने डायनामाइट, बैटरी और डेटोनेटर खरीदे. उससे बम बनाये और एयर इंडिया की फ्लाइट में चढ़ाये. रेयत के साथ मुकदमा झेलने वाले दो अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था.

दोनों धमाके खालिस्तान आंदोलन के दौरान हुए. इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान की मांग कर रहे उग्रवादी सिक्ख धड़े ने कब्जा कर लिया था. उन्हें हटाने के लिये भारत सरकार ने स्वर्ण मंदिर में सेना भेज दी. सैन्य कार्रवाई में उग्रवादियों का तो सफाया हो गया, लेकिन मंदिर को भी बड़ा नुकसान पहुंचा. भारत के प्रतिष्ठित इतिहासकार राम चंद्र गुहा के मुताबिक इंदिरा गांधी ने अकाली दल को कमजोर करने के लिए उग्र विचारधारा वाले सिक्ख गुटों का पहले समर्थन किया, लेकिन जब बात से हाथ से निकल गई तो केंद्र को सैन्य कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ा. इसी विवाद के चलते 1984 में इंदिरा गांधी की उन्हीं के अंगरक्षकों ने हत्या भी कर दी.

(सबसे सुरक्षित और असुरक्षित एयरलाइंस​​​​​​​)

ओएसजे/एमजे (एएफपी)