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एमनेस्टी : पश्चिमी के हथियार यमन में कर रहे हैं जीवन बर्बाद

२३ मार्च २०१८

बैठकों में शांति कायम करने की बात करने वाले अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश बड़े स्तर पर सऊदी अरब को हथियार बेच रहे हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक इन हथियारों ने यमन में लोगों की जिंदगी बेहाल कर दी है.  

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Jemen Bewaffnete Huthi-Rebellen in Sanaa
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Huwais

मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि हथियारों की बिक्री ने यमन के लोगों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया है. इसमें कहा गया है कि अमेरिका, ब्रिटेन और कई यूरोपीय देश जो हथियार सऊदी अरब को बेच रहे हैं उसने यमन के लोगों की जिदंगी को बेहाल कर दिया है. यमन में शिया हूथी बागियों के खिलाफ सऊदी अरब युद्ध कर रहा है. एमनेस्टी इंटरनेशनल में रिसर्च डायरेक्टर (मध्य पूर्व) लयॉन मालोफ ने कहा "इस बात के तमाम सबूत मिलते हैं जो बताते हैं कि सऊदी अरब के नेतृत्व में लड़ रहे अंतरराष्ट्रीय गठबंधन की सेना ने यहां के आम लोगों के जीवन को भारी नुकसान पहुंचाया है." यमन पिछले कुछ सालों से सऊदी अरब और ईरान के लिए युद्ध भूमि बना हुआ है.

मालोफ ने कहा, "यमन के लोगों को रही तकलीफ ने अब तक अमेरिका और ब्रिटेन को परेशान नहीं किया है. इन देशों समेत फ्रांस, स्पेन और इटली ने भी हथियारों के इस व्यापार को जारी रखा है." उन्होंने कहा कि लोगों की मौतों के अलावा यह कारोबार, वैश्विक हथियार व्यापार संधि (ग्लोबल आर्म्स ट्रेड ट्रीटी) का भी मजाक उड़ाता है.

सऊदी अरब और ईरान समर्थित बागियों के बीच जारी इस लड़ाई को तीन साल पूरे हो रहे हैं. मालोफ ने कहा, "तीन साल बाद भी यमन विवाद में राहत के संकेत नजर नहीं आ रहे हैं और लोग पिस रहे है."

UK | Protestaktion
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS.com

अमेरिका का एफ-15 लड़ाकू विमान और ब्रिटिश टॉर्नेडो, सऊदी खेमे में मौजूद हैं जिन्हें सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है. एमनेस्टी इंटरनेशलन की रिपोर्ट जारी होने के कुछ घंटों पहले ही जर्मनी की सरकार ने सऊदी अरब के साथ आठ पेट्रोल बोट के सौदे को मंजूरी दी थी. हालांकि जर्मनी में नई सरकार के गठन से पहले समझौता वार्ता के दौरान यमन के गृहयुद्ध में शामिल देशों को हथियार न बेचने पर सहमति बनी थी. लेकिन यह समझौता पहले से मंजूर कारोबारी सौदों को छूट देता है और इसी के अंदर पेट्रोल बोट आते हैं. 

मानवीय संकट

संस्था ने युद्ध में शामिल हूथी बागियों और अन्य समूहों की भी आलोचना की है. ये गुट रिहायशी इलाकों पर भी बमबारी कर रहे हैं जिसमें लोग मर रहे हैं. एमनेस्टी ने बताया कि इस गृहयुद्ध ने देश के बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य व्यवस्था आदि को नुकसान पहुंचाया है. संस्था के मुताबिक यमन दुनिया का सबसे भीषण मानवीय संकट झेल रहा है. यहां करीब 2.22 करोड़ लोगों को मदद की जरूरत है. कुपोषण, बीमारियों समेत सूखे के चलते पिछले सालों में यहां कई लोग मारे गए एमनेस्टी के मुताबिक साल 2015 के बाद हुए कुल हवाई हमलों में से 36 हमले अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लघंन करते हैं.

फ्रांस की दो मानवाधिकार संस्थाओं ने कहा है कि अगर उनकी सरकार ने सऊदी अरब और इसके साथी संयुक्त अरब अमीरात को हथियार बेचना बंद नहीं किया तो वह सरकार के खिलाफ कानूनी कदम लेगी.

एए/एके (डीपीए, एएफपी)