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एनडी तिवारी ने कहा, रचा गया षड़यंत्र

२९ दिसम्बर २००९

आंध्र प्रदेश के राज्यपाल पद से इस्तीफ़ा देकर अपने गृह राज्य उत्तराखंड लौटे नारायण दत्त तिवारी का कहना है कि वो साज़िश का शिकार बने हैं. उन्होंने कहा कि तेलंगाना की वजह से उन्हें बलि का बकरा बना दिया गया.

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साज़िश का शिकार हूं: तिवारीतस्वीर: AP

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल राज्य के दौरे पर आने वाली थीं और तेलंगाना से जुड़े लोगों ने उनसे मिलने की छूट मांगी थी जिसे बकौल तिवारी उन्होंने मना कर दिया था. तिवारी के मुताबिक इसी की खुन्नस उनसे निकाली गई है.

उन्होंने ये भी कहा कि लगता है अब तो किसी महिला से बात करना भी जोखिम भरा है. वो सफ़ाई दे रहे हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि उनकी सफ़ाई पर संतुष्ट होने वालों की संख्या बहुत कम है. तिवारी ने कहा कि वो अपने ख़िलाफ़ लगे आरोपों का मुक़ाबला करेंगे और राजनीति में बने रहेंगें.

90 के दशक की शुरुआत में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से नाराज़ होकर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवारी और अर्जुन सिंह अलग न होते और तिवारी कांग्रेस न बनाते तो शायद नारायण दत्त तिवारी भी देश के प्रधानमंत्री हो सकते थे.

भारत की राजनीति में ये बात किसी से छिपी नहीं है. तिवारी पीएम पद के हमेशा प्रबल दावेदार रहे और देश की आज़ादी की लड़ाई के आखिरी दिनों में भी वे परचम लहराने वालों में शामिल रहे हैं.

लेकिन एनडी तिवारी भारतीय राजनीति में सबसे विवादास्पद शख़्सियतों में से भी हैं. अपने सार्वजनिक जीवन की वजह से नहीं बल्कि अपने निजी जीवन की वजह से. उन पर कई तरह के आरोप लगे और सबसे प्रमुख आरोप तो उनकी यौन ज़िंदगी को लेकर था. तिवारी कांग्रेस में लौट आए थे, सोनिया गांधी के प्रवेश के बाद. लेकिन उनकी बढ़ती उम्र और उनके साथ जुड़े विवादों ने आर्थिक और कूटनीतिक मामलों के इस जानकार को पार्टी के भीतर पहले जैसे कद तक पहुंचने का कोई मौक़ा नहीं दिया.

इतना हुआ कि वो छोटे से राज्य उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने. मतदाताओं को उनके विवादों की परवाह नहीं थी और उनका करिश्मा क़ायम था. तिवारी ने कई योजनाओं का सूत्रपात किया और आज कहने वाले ये भी कहते हैं कि जो भी विकास उत्तराखंड में नज़र आता है वो तिवारी के कार्यकाल की देन है.

बहरहाल आंध्र प्रदेश में अपनी राजनीति की संध्या बिता रहे नारायण दत्त तिवारी को राज्यपाल के रूप में इस्तीफ़ा देना पड़ा. वे कुछ महिलाओं के साथ आपत्तिजनक हालत में दिखाए गए. इस सेक्स स्कैंडल ने तिवारी के चार दशक से भी ज़्यादा पुराने करियर को एक विराम दे दिया. और उम्र के आखिरी पड़ाव में तिवारी को फजीहत भी उठानी पड़ी. साल के अंत में कांग्रेस के लिए भी ये किरकिरी थी कि उसका एक बुज़ुर्ग नेता इस तरह के आरोपों में जा रहा है.

कांग्रेस आलाकमान नाराज़ था और कहते हैं राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल भी उसी दौरान आंध्र प्रदेश जाने वाली थी जहां उनका स्वागत इस स्कैंडल के बीच तिवारी को करना था. पाटिल इसके लिए तैयार नहीं थी. दिल्ली से आती अन्यमनस्कता की गंध तिवारी ने सूंघ ली और इस्तीफ़ा दे दिया.

तीन बार उत्तर प्रदेश के सीएम रह चुके, देश के वित्त मंत्री, वाणिज्य मंत्री आदि आदि रह चुके तिवारी 86 साल की उम्र में एक ऐसे विवाद में फंसे हैं जिसके बारे में उनका दावा है कि सब झूठ है और वो इससे लड़ेंगें. लेकिन अपनी स्थापना का 125 वां साल मना रही कांग्रेस के लिए तिवारी जैसे दिग्गज कांग्रेसी का सेक्स टेप एक कांटे की तरह है.

ज़ाहिर है राजनैतिक शुचिता के दावों के बीच तिवारी की ऐसी ही विदाई राजनैतिक नियति का परिणाम थी. भारतीय राजनीति और सार्वजनिक जीवन में जिस दुर्भाग्य का प्रवेश पिछले कुछ दशकों में हुआ है, तिवारी जैसे नेता अनचाहे ही उसके नियंता भी हैं और शिकार भी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस जोशी

संपादन: एस गौड़