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एनएसए मामले में चांसलर पर बढ़ा दबाव

२ जुलाई २०१५

जर्मनी में अमेरिकी खुफिया एजेंसी की नई जासूसियों के खुलासे के बाद चांसलर अंगेला मैर्केल पर दबाव बढ़ रहा है. विकीलीक्स ने एनएसए द्वारा चांसलर के अलावा जर्मन सरकार के कई सदस्यों की जासूसी का खुलासा किया है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Büttner

नए रहस्योद्घाटन के अनुसार जर्मन सरकार के 69 टेलिफोन नंबर एनएसए की जासूसी सूची पर हैं. विकीलीक्स के अनुसार अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने सिर्फ चांसलर मैर्केल की ही जासूसी नहीं की बल्कि कई मंत्रालय भी उसके निशाने पर थे.

जून 2013 में ब्रिटिश दैनिक गार्डियन ने एनएसए के पूर्व एजेंट एडवर्ड स्नोडेन द्वारा दिए गए दस्तावेजों का प्रकाशन करना शुरू किया था. इसके अनुसार एनएसए और ब्रिटिश खुफिया एजेंसी जीएचसीक्यू पूरी दुनिया के इलेक्ट्रॉनिक संचार पर नजर रखना चाहते हैं. दोनों खुफिया एजेंसियों का कहना है कि उनका मकसद आतंकवाद के खिलाफ लड़ना है लेकिन नए खुलासे बताते हैं कि उनकी दिलचस्पी आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों में भी है. उन्होंने अत्याधुनिक प्रोग्रामों की मदद से उद्यमों, राजनीतिज्ञों और सरकारी दफ्तरों की भी जासूसी की है.

NSA Abhöraffäre Obama mit Merkel und Hollande Symbolbild
तस्वीर: picture-alliance/dpa

2013 में चांसलर अंगेला मैर्केल के निजी सेलफोन की जासूसी की खबरों के बाद जर्मनी ने अमेरिका के साथ नो स्पाई संधि करने की कोशिश की थी लेकिन यह नाकाम रही. तत्कालीन चांसलर कार्यालय मंत्री रोनाल्ड पोफाला ने कहा था, "जर्मनी में संदिग्ध व्यापक जासूसी के आरोप एनएसए, ब्रिटिश एजेंसी और हमारी एजेंसियों के अनुसार अब कोई मुद्दा नहीं है." इसके बावजूद जर्मन संसद ने आरोपों की जांच के लिए एक आयोग बनाया जिसका मकसद यह पता करना है कि क्या जर्मन खुफिया एजेंसी बीएनडी ने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के लिए जर्मनी में जासूसी की. जर्मन सरकार ने बहुत सी जानकारियों को गोपनीय करार दिया है.

अमेरिका में आतंकी हमलों के बाद 2002 में हुई एक संधि के अनुसार अमेरिकियों ने बीएनडी को डाटा सर्च के लिए सेलेक्टर दिए जो इमेल आईडी, आईपी एड्रेस, टेलिफोन नंबर आदि हो सकते हैं. बीएनडी को यूरोपीय देशों की जासूसी की अनुमति नहीं है और जर्मन नागरिकों के मामले में शर्तें काफी ऊंची हैं. 2004 से 2008 के बीच जर्मन अधिकारियों ने टेलिकॉम की मदद से टेलिफोन और इंटरनेट का डाटा बिना जांचे एनएसए को भेजना शुरू किया. इस बीच कहा जा रहा है कि बीएनडी को दसियों हजार सेलेक्टर दिए गए थे. इनमें से बहुत से सेलेक्टरों को इस बीच निकाल दिया गया है क्योंकि वे जर्मन हितों के खिलाफ हैं. इस सूची की एक प्रति चांसलर कार्यालय में है, लेकिन अमेरिका उसे संसदीय जांच समिति को सौंपे जाने से मना कर रहा है. अब एक विशेष जांचकर्ता इस सूची को देखेगा.

संसदीय जांच आयोग की सदस्य एसपीडी के क्रिस्टियान फ्लिजेक ने कहा है कि यदि चांसलर अपनी इस बात को गंभीरता से लेती हैं कि दोस्तों के बीच जासूसी नहीं होती तो उन्हें अमेरिकी दोस्तों के साथ गहन राजनीतिक बातचीत शुरू करनी चाहिए. आयोग में वामपंथी पार्टी की प्रतिनिधि मार्टीना रेनर ने कहा, "अब समय आ गया है कि अमेरिकी प्रशासन के सामने चापलूसी बंद हो." ग्रीन सांसद कोंस्टांटिन फॉन नॉत्स ने कहा कि यह समझना भोलापन होगा कि सरकार को इसका पता नहीं है. उन्होंने मामले की महाधिवक्ता द्वारा जांच की मांग की है.

एमजे/एसएफ (डीपीए, एएफपी)