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एकजुटता की भारी कीमत

बारबरा वेजेल२६ नवम्बर २०१५

फ्रांस के राष्ट्रपति ने समय का लाभ उठा पेरिस हमले के बाद जर्मनी से आईएस के खिलाफ संघर्ष में एकजुटता की मांग की है. डॉयचे वेले की बारबरा वेजेल का कहना है कि अंगेला मैर्केल के लिए यह राजनीतिक तौर पर महंगा सौदा हो सकता है.

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Frankreich Angela Merkel & Francois Hollande in Paris
तस्वीर: Reuters/P. Wojazer

जनवरी में शार्ली एब्दो पर हमले के बाद फ्रांस के साथ एकजुटता की कीमत अंगेला मैर्केल के लिए साफ रही है. फ्रांसोआ ओलांद के साथ शोक सभा में भागीदारी के साथ आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में सब कुछ करने का वादा. इस तरह के वादों का यूरोप में क्या मतलब होता है यह लोगों को अब पता है. हर देश वह करने से बचता है जो वह नहीं करना चाहता है.

पेरिस की मांगें

लेकिन हाल में पेरिस पर हमलों के बाद हालात अलग हैं. अब फ्रांसीसी राष्ट्रपति सिर्फ आतंकवाद और उसके आईएस समर्थकों के खिलाफ युद्ध की ही बात नहीं कर रहे, वह उसका सचमुच नेतृत्व भी करेंगे. यह बात उन्होंने अंगेला मैर्केल को साफ कर दी है. अपनी तरफ से चांसलर उदार तोहफा लेकर गई थीं. करीब 650 सैनिकों को माली भेजने की पेशकश ताकि वहां फ्रांसीसी सैनिकों को राहत मिले. जर्मनी के लिए यह रक्षानीति में लंबी छलांग है.

Barbara Wesel Kommentarbild App *PROVISORISCH*

लेकिन यह ओलांद के लिए काफी नहीं था. उन्होंने और ज्यादा सक्रियता की मांग की, संभव हो तो सीरिया और इराक में. उन्होंने कहा कि यदि जर्मनी अपने समर्थन में आगे जा सकता है तो यह अच्छा संकेत होगा. लेकिन यह सवाल तो है ही कि किसके लिए. स्वाभाविक रूप से जर्मनी को आईएस के खिलाफ युद्ध में शामिल कराना उनके लिए फायदेमंद होगा. क्योंकि ओलांद की वाशिंग्टन और मॉस्को और ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ बातचती ने गठबंधन की खोज में अब तक ज्यादा नतीजे नहीं दिए हैं. अमेरिकी राष्ट्रीय सीरिया युद्ध में और फंसना नहीं चाहते तो वहीं राष्ट्रपति पुतिन वही करते हैं जो वे चाहते हैं.

पार्टनर जर्मनी

अप्रत्याशित रूप से मैर्केल ने संकेत दिया कि वे आईएस के खिलाफ संघर्ष में और कदमों पर विचार के लिए तैयार हैं. टोरनैडो टोही विमान की तैनाती पर चर्चा हो रही है. यह इसलिए भी आश्चर्यजनक है कि चांसलर का इसमें कोई लाभ नहीं बल्कि हानि ही है. शरणार्थी नीति के कारण वह बहुत समर्थन खो चुकी हैं. इसके अलावा सीरिया में हमलों में भागीदारी अफगानिस्तान के बाद एक और चूक होगी. जर्मनी अंजान नतीजे वाले एक विषम युद्ध में फंस जाएगा. कोई नहीं कह सकता कि आईएस के खिलाफ बमबारी से जीत हो सकती है. इसके अलावा जर्मनी मध्य पूर्व संकट में फंस जाएगा जो अब तक सिर्फ मुश्किलें लेकर आया है.

सामान्य स्थिति में फ्रांस के राष्ट्रपति को जर्मनी की मदद के लिए राजनीतिक मुआवजा देना होता. लेकिन उनकी नई नीति कई जर्मन लक्ष्यों के विरुद्ध है. रूसी राष्ट्रपति के साथ फ्रांस की करीबी की नीति मैर्केल की यूक्रेन नीति के प्रतिकूल है. यदि पुतिन फ्रांस के सहयोगी बन जाते हैं तो मैर्केल की पुतिन नीति खतरे में होगी. इसके अलावा आतंकवाद से लड़ने के नाम पर फ्रांस संतुलित बजत नीति को भी तिलांजलि दे रहा है. और शरणार्थी नीति के मुद्दे पर जहां चांसलर मैर्केल को फ्रांस की मदद की जरूरत होगी प्रधानमंत्री मानुएल फाल्स ने साफ कहा है कि और लोगों को शरण नहीं दी जा सकती.

क्या यह संभव है कि कभी कभी एकजुटता जरूरत से ज्यादा या गलत होती है? या अंगेला मैर्केल को आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में भरोसा है? जर्मनी के लिए इसकी राजनीतिक कीमत बहुत ज्यादा हो सकती है. बहुत ही ज्यादा, यदि इस संघर्ष की कामयाबी की अनिश्चितता पर ध्यान दिया जाए.