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एक शब्द से खड़ा हुआ कोर्ट में बखेड़ा

२३ अक्टूबर २०१०

भारत में लिव इन रिनलेशनशिप से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले में एक शब्द को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया. भारत सरकार की वकील इंदिरा जयसिंह ने अदालती फैसले को महिलाओं के लिए अपमानजनक बताया है.

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तस्वीर: Wikipedia/LegalEagle

भारत की एडीशनल सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने लिव इन रिलेशन से जुड़े गुरुवार के फैसले में "कीप" शब्द का प्रयोग किए जाने पर गंभीर आपत्ति दर्ज कराई. उन्होंने कहा कि स्त्री पुरुष संबंधों के मामले में महिलाओं के लिए "रखना" जैसे शब्द इस्तेमाल करना अपमानजनक है.

गुस्से में तमतमाई जयसिंह ने न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू और न्यायाधीश टीएस ठाकुर की खंडपीठ से फैसले में प्रयुक्त इस शब्द को हटाने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि यह महिलाओं के लिए अपमानजनक है और इसे तत्काल हटा लेना चाहिए.

अदालत ने लिव इन रिलेशनशिप को जायज ठहराने वाले अपने पुराने फैसले से एक कदम आगे बढ़ कर इस तरह के रिश्ते में रह रही महिलाओं के लिए गुजारा भत्ता पाने के अधिकार की सीमाएं तय की हैं. अदालत ने फैसले में एक जगह कीप शब्द का इस्तेमाल किया है जिसका आशय इस रिश्ते की महिला से है.

जयसिंह ने इसे आपत्तिजनक बताते हुए कहा "21 वीं सदी के इस दौर में भारत का सुप्रीम कोर्ट इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल कैसे कर सकता है. क्या एक महिला यह कह सकती है कि उसने एक मर्द को रखा है. मैं इस शब्द को हटाने के लिए अर्जी पेश करूंगी."

इस पर जस्टिस ठाकुर ने जयसिंह से पूछा "वे खुद ही बताएं कि लिवइन रिलेशनशिप में रह रह रही महिला के लिए क्या कॉंकुबाइन यानी ..रखैल.. शब्द इस्तेमाल किया जाए." इस पर उन्होंने कहा कि उनकी आपत्ति कीप शब्द को लेकर है बाकी अदालत खुद तय करे कि उसे कौन से शब्द लिखना है.

अदालत ने इस फैसले में गुजारा भत्ता पाने के लिए लिव इन रिलेशन का इस्तेमाल करने वालों पर नकेल कसने की खातिर इस तरह के रिश्तों के कुछ मानदंड तय किए है. जिससे इसके दुरुपयोग को रोका जा सके.

रिपोर्टः पीटीआई/निर्मल

संपादनः ए कुमार