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एक नाटककार का सफर

१ सितम्बर २०१२

रंगमंच के कलाकार हबीब तनवीर के लिए नाटक और रंगमंच ही उनका घर था. उन्होंने रंगमंच को आम आदमी के खोला, उस पर उन लोगों की भागादारी सुनिश्चित की. तनवीर के काम पर ही अब एक किताब लिखी गई है.

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तस्वीर: thombach - Fotolia.com

नाटककार, निर्देशक, कवि और अदाकार, हबीब तनवीर छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के साथ काम करने के लिए मशहूर हैं. साथ ही आगरा बाजार, चरणदास चोर, मिट्टी की गाड़ी, और बहादुर कालारिन जैसे उनके नाटक भी शानदार हैं. उन्हीं के जीवन पर अब एक किताब लिखी गई है हबीब तनवीरः टुवर्ड्स इनक्लूजिव थिएटर. किताब शुक्रवार की शाम लॉन्च की गई. पहली सितंबर को हबीब तनवीर 89 साल के हो जाते.

किताब के लेखक अंजुम कात्याल का कहना है, यह खास दिन पर लॉन्च की गई किताब है. तनवीर साहब के जन्मदिन पर उनके लिए खास श्रद्धांजली. यह बहुत जरूरी है उनकी परंपरा न केवल याद की जाए बल्कि उसकी कीमत समझी जाए. यह किताब उनकी जीवन गाथा नहीं है लेकिन उनके काम के जरिए उनका सफर दिखाती है.

Habib Tanvir
तस्वीर: DW

किताब के विमोचन समारोह में हबीब तनवीर की बेटी नगीन, एमके रैना, रंगमंच आलोचक जावेद मलिक, लेखक महमूद फार्रुखी भी शामिल थे.

रैना ने कहा, जिसे हम पिछड़ा कहते और अनादर से देखते हैं, उन्होंने उसे अपनाया. वे उसे संस्कृति की ओर लाए और उसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया. हबीब साहब का काम हमें गांवों की ओर लौटने को प्रेरित करता है.

नगीन जानी मानी गायिका हैं. उन्होंने अपने पिता को याद करते हुए कहा, "अपने पिता के बारे में कहना बहुत मुश्किल है. वह बहुत जिद्दी थे और मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण है. मुझे याद है कि वह खाली हॉल में नाटक करना पड़ता. मां जब कहतीं तो कहते कोई बात नहीं मैं ही अपना प्रोडक्शन देख रहा हूं. "

नगीन नया थिएटर के जरिए अपने पिता की परंपरा को आगे ले जा रही हैं. इस थिएटर की स्थापना 1959 में हबीब तनवीर ने अपनी पत्नी मोनीका मिश्रा के साथ की थी.

एएम/एमजे (पीटीआई)

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