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एक कप कॉफ़ी को चाहिये 140 लीटर पानी

२८ अगस्त २००९

क्या आप जानते हैं कि आप जो चाय-कॉफ़ी पीते हैं, कपड़े पहनते हैं या कार चलाते हैं, उसे बनाने या पैदा करने में कितना अदृश्य पानी लगा है? हो सकता है, वह हज़ारों लीटर के बराबर हो!

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कहां कितना पानी लगा हैतस्वीर: WWF

वर्चुअल वाटर का मतलब है अदृश्य पानी. लन्दन स्थित किंग्स कॉलेज के प्रोफे़सर जॉन एंथोनी एलन ने अदृश्य पानी सिद्धांत की रचना की है. इस सिद्धांत की रचना के लिए प्रोफेसर एलन को 2008 में स्टॉकहोम वाटर पुरूस्कार से सम्मानित किया गया. इस पुरस्कार के लिए स्टॉकहोम स्थित अंतर्राष्ट्रीय वाटर इंस्टिट्यूट विजेताओ का चयन करता है.

प्रो. एलन को सम्मानित करते हुए इंस्टिट्यूट ने अपनी विज्ञप्ति में कहा था कि अदृश्य पानी सिद्धांत, अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य नीति और शोध पर खासा प्रभाव डाल सकता है. आने वाले सालों में अदृश्य पानी का सिद्धांत विश्व भर में पानी के प्रबंधन को लेकर छिडी बहस को एक नई दिशा दे सकता है.

अदृश्य पानी की लंबी छाया

हर वस्तु के उत्पादन के पीछे अदृश्य पानी की छाप होती है जिसे विज्ञान की भाषा में वर्चुअल वाटर फ़ुट प्रिंट कहा जाता है, यानी अदृश्य पानी का पदचिह्न. प्रो. एलन कहते हैं, "अदृश्य पानी वह पानी है, जो किसी वस्तु को उगाने में, बनाने में या उसके उत्पादन में लगता है. एक टन गेंहू उगाने में करीब एक हज़ार टन (क़रीब एक हज़ार घन मीटर) पानी लगता है. कभी-कभी इससे भी ज्यादा."

Weltwasserwoche - Ein Kilogramm Rindfleisch kostet 16000 Liter Wasser
एक किलो गोमांस बनने में लगता है 16 हज़ार लीटर पानीतस्वीर: dpa

अदृश्य पानी सिद्धांत के अनुसार एक कप काफ़ी बनाने के पीछे लगभग 140 लीटर पानी लगता है. वहीँ एक किलो चावल के उत्पादन में करीब 3,000 लीटर पानी की खपत होती है. एक लीटर दूध के पीछे लगभग 1,000 लीटर पानी का पदचिह्न होता है.

शाकाहार मांसाहर से कहीं बेहतर

मांसाहारी चीजों कि तुलना में शाकाहारी खाद्य पदार्थों के पीछे कम पानी लगता है. प्रो. एलन का कहना है, "एक मांसाहारी व्यंजन बनाने में शाकाहारी व्यंजन बनाने से कहीं ज्यादा पानी लगता है. आजकल मैं लोगो से एक सवाल करता हूँ, आप ढाई लीटर या फिर पांच लीटर पानी वाले आदमी हैं? अगर आप पांच लीटर पानी वाले आदमी हैं तो आप अवश्य ही मांसाहारी हैं. और अगर आप शाकाहारी हैं तो फिर आप दिन भर में केवल ढाई लीटर पानी ही खर्च करते हैं."

यही वजह है कि एक किलो मांस पैदा करने के पीछे करीब 15,500 लीटर अदृश्य पानी का पदचिह्न होता है. वहीँ एक किलो अंडों में करीब 3,300 लीटर पानी लगता है. औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन में भी वर्चुअल वाटर सिद्धांत लागू किया जा सकता है. एक टन के वज़न वाली एक कार के पीछे लगभग चार लाख लीटर पानी लगता है.

धनराशि ही नहीं, जलराशि में भी मूल्यांकन ज़रूरी

स्टॉकहोम वाटर इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर यान ल्युट भविष्य में होने वाली पानी संबंधी दिक्कतों के बारे में कहते हैं, "आने वाले सालों में खाद्यान्न की मांग कई गुना बढेगी. इस मांग की पूर्ती के लिए हमारे पास पर्याप्त पानी नहीं होगा. अगर हम इसी गति से आगे बढ़ते रहे तो आने वाले सालों में हमें दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है."

अदृश्य पानी के शोधकर्ताओ ने पाया है कि एशिया में रह रहा हर व्यक्ति एक दिन में औसतन 1,400 लीटर अदृश्य पानी व्यय करता है. वहीँ यूरोप और अमेरीका में एक दिन में हर व्यक्ति औसतन 4,000 लीटर अदृश्य पानी ख़र्च करता है. पिछले कई सालों में अदृश्य पानी का सिद्धांत एक बड़े मुद्दे के रूप में उभर कर आया है. लेकिन अब भी कई देशों कि सरकारें इस मुद्दे को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं है.

रिपोर्ट- पुखराज चौधरी

संपादन- राम यादव