एंटीबायोटिक से कीटाणु बन रहे हैं खतरनाक
३ जून २०१५कभी रामबाण समझा जाने वाला एंटीबायोटिक अब बेअसर होता जा रहा है. मल्टीरेसिस्टेंट कीटाणुओं से मरने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. रिसर्चरों का कहना है कि यदि एंटीबायोटिक के इस्तेमाल पर नियंत्रण नहीं किया गया तो मल्टीरेसिस्टेंट कीटाणुओं से मरने वाले लोगों की तादात और बढ़ेगी. जर्मन संसद में ग्रीन पार्टी की ओर से कराए गए एक शोध के अनुसार दुनिया भर में इस समय करीब 700,000 लोग कीटाणुओं की वजह से मरते हैं, 2050 तक यह संख्या बढ़कर 1 करोड़ हो जाएगी. इस शोध के लिए बर्लिन के रिसर्चरों ने ब्रिटिश सरकार के एक अनुमान को आधार बनाया है और यह मानकर चले हैं कि इस प्रवृति को रोकने के कोई कदम नहीं उठाए जाएंगे.
शोध के लेखकों के अनुसार मल्टीरेसिस्टेंट माइ्क्रोब से यूरोप में मरने वाले लोगों की संख्या इस समय 23,000 है और बढ़कर 2050 में 400,000 हो जाएगी. इसका मतलब यह होगा कि यूरोप में कैंसर से मरने वाले लोगों से ज्यादा लोग ऐसे घातक कीटाणुओं का शिकार होंगे जिनपर दवाओं का कोई असर नहीं होगा.
जर्मन स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार जर्मनी में 4 से 6 लाख लोग अस्पताल में इलाज के दौरान इंफेक्शन के शिकार होते हैं. इनमें से 15 हजार लोगों की हर साल मौत हो जाती है. अस्पताल में होने वाले कीटाणुओं के दस फीसदी मल्टीरेसिस्टेंट होते हैं जिनपर एंटीबायोटिक दवाओं का कोई असर नहीं होता. जर्मनी में करीब एक तिहाई बीमाधारियों को एंटीबायोटिक दिया जाता है. बर्लिन के शारिटे मेडिकल कॉलेज की एलिजाबेथ मायर ने शोध में लिखा है कि इंसानी चिकित्सा में 30 फीसदी एंटीबायोटिक की कोई जरूरत नहीं है.
समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस हफ्ते जर्मनी में होने वाले जी-7 शिखर भेंट में इस मुद्दे को कार्यसूची पर रखा है. विश्व के चोटी के नेता समस्या से निबटने के कदमों पर विचार करेंगे. जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री हरमन ग्रोहे ने मल्टीरेसिस्टेंट कीटाणुओं के विश्वव्यापी प्रसार को उतना ही घातक बताया है जितना जलवायु परिवर्तन है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संघर्ष में स्पष्ट फैसलों की मांग की. विश्व स्वास्थ्य संगठन मल्टीरेसिस्टेंट कीटाणुओं के खिलाफ विश्वव्यापी अभियान चलाने जा रहा है. जर्मन ग्रीन पार्टी के प्रमुख अंटोन होफराइटर ने एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है और कहा है कि पशुपालन में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध होना चाहिए.
एमजे/एसएफ (डीपीए)