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उथल पुथल से भरा रहा साहित्य जगत

सौजन्यः स्मृति जोशी, वेबदुनिया (संपादनः ए जमाल)२३ दिसम्बर २००९

कहीं साहित्य-संसार विवादों की काली छाया से घिरा रहा तो कहीं पारंपरिक लेखन में किसी तरह के बदलाव के लिए हम तैयार नहीं दिखे. भारतीय तरूणाई ने उत्साह की कलियां खिलाईं वहीं कुछ संभावनाशील साहित्यकार रुख़सत हो गए.

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तस्वीर: AP

नूतन का अभिनंदन हो
प्रेम-पुलकमय जन-जन हो!
नव-स्फूर्ति भर दे नव-चेतन
टूट पड़ें जड़ता के बंधन,
शुद्ध,स्वतंत्र वायुमंडल में
निर्मल तन, निर्भय मन हो
प्रेम-पुलकमय जन-जन हो!
नूतन का ‍अभिनंदन हो!
फणीश्वरनाथ रेणु की पंक्तियों के प्रकाश में वर्ष 2009 के भारतीय साहित्य का मूल्यांकन करें तो कहना गलत नहीं होगा कि जड़ता के बंधन हम इस वर्ष भी नहीं तोड़ सकें.
नई भोर का आगमन बेशक मुस्कुरा कर करना है मगर नहीं भूल सकते हम उन्हें जो साल 2009 में साहित्य-प्रेमियों की आंखें नम कर गए. इस साल साहित्य में युवा लेखनी ने अंतर्राष्ट्रीय पटल पर परचम लहराया और कई यादगार उपलब्धियाँ खाते में दर्ज की.

Uday Prakash Frankfurter Buchmesse
विवादों में रहे उदय प्रकाशतस्वीर: picture-alliance/ dpa

स्मृति-शेष
साल 2009 में वरिष्ठ साहित्यकार विष्णु प्रभाकर नहीं रहें. इसे साहित्य जगत की अपूरणीय रिक्तता कहा जा सकता है. 8 जून को लोकप्रिय कवि ओमप्रकाश आदित्य, लाड़ सिंह गुर्जर एक सड़क दुर्घटना में चल बसे. हास्य कवि ओम व्यास ओम इसी दुर्घटना में घायल हुए और जीवन से संघर्ष करते हुए 8 जुलाई को हार गए. थियेटर की दुनिया के जगमग सितारे हबीब तनवीर अपनी बहुमुखी प्रतिभा के साथ 8 जून को दुनिया से कूच कर गए.

वर्ष 2009 में साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में बिछड़ने वाली हस्तियों में चित्रकार मनजीत बावा, दबंग लेखिका कमला दास,बेबाक पत्रकार लवलीन, गीतकार नईम, आलोचक बच्चन सिंह, महाभारती उपन्यास की लेखिका चित्रा चतुर्वेदी, हिन्दी और अंग्रेजी में विज्ञान लेखन को रोचकता से पेश करने वाले गुणाकर मूले, ग़ज़लकार कमर रईस, उपन्यासकार निरूपमा सेवती, आलोचनात्मक लेखन के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार अर्जित करने वाली मीनाक्षी मुखर्जी, लेखक कल्याणमल लोढ़ा, गायिका इकबाल बानो, चर्चित कथाकार हरीश भादानी, वीणा के संपादक श्यामसुंदर व्यास, शास्त्रीय गायिका गंगूबाई हंगल, यादवेन्द्र शर्मा चन्द्र, साहित्यकार शांताराम, दिलीप चित्रे कुंवरपाल सिंह और विख्यात पत्रकार संपादक प्रभाष जोशी प्रमुख रहे. वैश्विक स्तर पर नोबेल पुरस्कार विजेता रूस के अलेक्जेन्द्र सोलझेनित्सिन और जापान के जीन वान ट्रोयेर ने दुनिया को अलविदा कहा.

विवाद में साहित्य

बीते वर्ष साहित्य का आकाश विवादों की आंधी से घिरा रहा. भाजपा नेता जसवंत सिंह की जिन्ना के गुणगान करती पुस्तक ने खासा बवाल मचाया. 'जिन्नाः भारत-पाक विभाजन के आईने में' शीर्षक से लिखी इस पुस्तक में जसवंत सिंह ने लिखा कि जिन्ना एक धर्मनिरपेक्ष नेता थे, उन्हें इतिहास के आईने में ठीक से देखा नहीं गया. यहां तक कि विभाजन के लिए उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार बताया. परिणामस्वरूप वे बीजेपी से निकाल दिए गए और ना ना करते लोक लेखा समिति से भी उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.

Jaswant Singh
पुस्तक लिखी तो बीजेपी ने निकालातस्वीर: AP

यह विवाद थमता नजर नहीं आया और इकबाल सम्मान को लेकर विरोध के स्वर उभरने लगे. मध्य प्रदेश में इटारसी के विधायक गिरिजा शंकर शर्मा ने प्रदेश सरकार के डॉ इकबाल के नाम पर दिए जाने वाले सम्मान को कटघरे में खड़ा कर दिया. उनका कहना था कि जिन्ना के आध्यात्मिक गुरु के नाम पर दिया जाने वाला सम्मान बंद होना चाहिए. शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर कहा कि वंदे मातरम गीत का विरोध करने वाले कवि डॉ इकबाल के नाम पर सम्मान नहीं देना चाहिए. उनके अनुसार जिन्ना ने 'सारे जहां से अच्छा' गीत के रचयिता डॉ इकबाल को 'संत दार्शनिक और इस्लाम का राष्ट्रकवि' बताते हुए 'आध्यात्मिक गुरु' माना था. वे पाकिस्तान बनाने में जिन्ना के बराबर ही जिम्मेदार हैं.

छोड़ा पद

इसी साल प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने के बाद साहित्यकार ज्ञानरंजन चर्चा में रहे. साहित्यकारों के अनुसार, प्रलेस से बरसों से जुड़े ज्ञानरंजन की नाराजगी का असली कारण संगठन का विपरीत विचारधारा वाली पार्टी के साथ गठजो़ड़ है. जबकि ज्ञानरंजन का आरोप है कि संगठन का सांस्कृतिक पतन हो चुका है. और प्रलेस सत्ता सुख का हिमायती हो गया है. साल 2009 में आयोजित जयपुर साहित्य उत्सव में लेखक विक्रम सेठ ने सरेआम मंच पर शराब पी. इस घटना की देश भर के साहित्यकारों ने भर्त्सना की.

Jahresrückblick 2009 Nobelpreis Literatur für Herta Müller
हर्था म्यूलर को नोबेल पुरस्कारतस्वीर: AP

हिन्द स्वराज की 101वीं वर्षगांठ

इस साल की सबसे बड़ी चर्चा महात्मा गांधी की पुस्तक 'हिन्द स्वराज' की 101वीं वर्षगांठ मनाए जाने की रही. 'हिन्द स्वराज' के बहाने देश भर में लेख लिखे गए, चर्चाएं हुईं. सौ साल पहले 22 नवंबर 1909 को महात्मा गांधी की यह रचना प्रकाशित हुई थी. गांधीजी ने यह पुस्तक मात्र 10 दिनों में पानी के जहाज पर यात्रा करते हुए पूरी की थी. हमेशा पेंसिल से लिखने वाले बापू ने इस पुस्तक को पेन से लिखा था.

विडंबना देखिए कि इसी साल मां ब्लां कंपनी ने गांधीजी के नाम पर एक ऐसा लग्ज़री पेन लॉंच किया जिसकी ‍निब सोने की है और इसमें बापू के साथ श्वेत सूत का धागा भी झिलमिलाता नजर आ रहा है. इसकी कीमत तकरीबन 14 लाख रुपये है.

थोड़ा थोड़ा विवाद

बीते वर्ष महाकाव्य रामचरितमानस की भाषा और वर्तनी पर संत रामभद्राचार्य ने सवाल उठाए. वहीं कथाकार उदय प्रकाश का 'नरेन्द्र स्मृति सम्मान' खासा विवादित रहा. बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ के हाथों उदय प्रकाश के पुरस्कृत होने पर साहित्य के गलियारों में मिलीजुली बहस का माहौल रहा. 26 नवंबर 2008 के आतंकी हमले में शहीद अशोक काम्टे की पत्नी विनिता काम्टे ने पुस्तक 'टू द लास्ट बुलेट' के माध्यम से प्रशासनिक विफलताओं पर गंभीर आरोप लगाकर सनसनी फैला दी.

साहित्य में सम्मान

'तीसरा सप्तक' के यशस्वी कवि कुंवर नारायण को भारतीय भाषाओं के साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए 41वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने समारोह में कुंवर नारायण को वर्ष 2005 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया. सम्मान में सात लाख रुपये की राशि एवं वनदेवी प्रतिमा शामिल है.

Präsentation von dem Buch "Der Weisse Tiger", dessen Autor Arvind Adiga den Booker Preis 2008 gewonnen hat
अडीगा भी रहे सुर्खियों मेंतस्वीर: DW

रोमानिया में जन्मी जर्मनी की उपन्यासकार एवं निबंधकार हर्था म्यूलर को इस वर्ष का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया. अपनी कहानियों के माध्यम से नागरिक अधिकारों से वंचित लोगों की व्यथा का सजीव चित्रण करने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संघर्ष के लिए उन्हें चुना गया है. उनकी कृतियां रोमानिया के तानाशाह की क्रूर शासन व्यवस्था में पलने बढ़ने के उनके अनुभवों पर आधारित है. लेखिका को रोमानिया की खुफिया पुलिस का भेदिया बनने से इनकार करने के लिए कठोर प्रताड़ना सहनी पड़ी थी तथा उनकी मां को पांच वर्षों तक सोवियत शिविर में काम करना पड़ा था.
म्यूलर के लघुकथा संग्रह 'निदेरूजेन' को रोमानिया में प्रतिबंधित कर दिया गया था. ब्रिटेन की हिलेरी मोंटेल की पुस्तक 'वुल्फ हाल' को बुकर अवार्ड के लिए चुना गया.

वहीं पिछले साल के बुकर पुरस्कार विजेता अरविंद अडिगा के विजेता उपन्यास 'द व्हाइट टाइगर' के प्रचार अभियान को 2009 का एशियन मल्टीमीडिया पब्लिशिंग पुरस्कार मिला. पुस्तक के प्रचार अभियान को किसी प्रकाशक द्वारा सबसे प्रभावी तरीके से प्रचार करने के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया. लगभग एक साल चले इस अभियान के दौरान प्रकाशकों ने एसएमएस, मीडिया अभियान और इंटरनेट पर विज्ञापनों का उपयोग किया. अभियान उपन्यास के प्रकाशित होने के पूर्व से लेकर बुकर पुरस्कार मिलने के बाद भी जारी रहा.

18.07.2006 projekt zukunft fragezeichen
यही है वह 'सवाल का निशान' जिसे आप तलाश रहे हैं. इसकी तारीख़ 23/12 और कोड 3122 हमें भेज दीजिए ईमेल के ज़रिए hindi@dw-world.de पर या फिर एसएमएस करें 0091 9967354007 पर.तस्वीर: DW-TV

मीडिया के पुरस्कार

पत्रकार नलिन मेहता की किताब 'इंडिया ऑन टेलीविजन' को एशियन मीडिया पर सर्वश्रेष्ठ किताब और सर्वश्रेष्ठ लेखक का पुरस्कार मिला. यूनेस्को के सांस्कृतिक संकाय एवं रूसी इंटरनेशनल एसोसिएशन आफ नेचर क्रिएटिविटी ने विश्व धरोहरों एवं रचनात्मक कला पर आधारित चित्रों का एलबम जारी किया, जिसमें दिल्ली की चार छात्राओं के बनाए चित्रों को शामिल किया गया. ये छात्राएं फरीदाबाद की अपूर्वा सगहल, निकिता दहिया एवं रीमा घोष तथा नेताजी नगर की सौम्या शिवानंदन हैं.

चर्चा में

मराठी के मशहूर कवि मंगेश पडगांवकर ने मार्च में अपनी तीन किताबें ब्रिटेन के स्ट्रैटफोर्ड शहर में शेक्सपीयर मेमोरियल को दीं, जिन्हें मेमोरियल के जनसंग्रह वाले हिस्से में रखा गया है. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवीन्द्रनाथ टैगोर के बाद पडगांवकर दूसरे भारतीय कवि हैं जिनकी किताबें इस मेमोरियल में रखी गईं हैं.

भारतीय भाषाओं के साहित्य अकादमी पुरस्कार सात उपन्यासकारों, छह कवियों, पांच लघुकथाकारों, दो आलोचकों और एक निबंध लेखक को दिए जाने की घोषणा की गई.

इस वर्ष अमृता इमरोज के रिश्तों पर नई पुस्तक ने दस्तक दी. ओजस्वी कवि दुष्यंत पर डाक टिकट का विमोचन सुखद सूचना के रूप में शामिल किया जा सकता है. मॉस्को पुस्तक मेले में गीतकार गुलजार का शामिल होना एक उपलब्धि रही. इसी वर्ष अमेरिकी जापानी लेखक रॉबर्ट कियोसाकी की 'रिच डैड पुअर डैड' युवा पाठकों में छाई रही.

वर्ष 2010 में साहित्य की अविरल धारा किसी भी रूप में बाधित न हो,कवि शिवमंगल सिंह सुमन की काव्य पंक्तियों के साथ यही कामना है,

गति प्रबल पैरों में पड़ी
फिर क्यूं रहूं दर दर खड़ा
जब आज मेरे सामने है
रास्ता इतना पड़ा,
जब तक ना मंजिल पा सकूं
तब तक ना मुझे विराम है
चलना हमारा काम है.