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उत्तर कोरियाई परीक्षणों से बदला मून जेई इन का मूड

३१ जुलाई २०१७

विवादों के शांति से हल के लिए बातचीत का प्रस्ताव भेज रहे दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे इन को जवाब तो नहीं मिला पर महीने भर से कम समय में दो बार अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण की गर्जना जरूर सुनाई दी है.

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Nordkorea Raketentest
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Korean Central News Agency

राष्ट्रपति पद के लिए पूरे चुनाव प्रचार के दौरान मून लगातार उत्तर कोरिया से बातचीत करने की इच्छा जताते रहे. उत्तर कोरिया के ताजा आईसीबीएम परीक्षण के बाद अब मून जेइ इन तनाव में दिख रहे हैं. उन्होंने अपने पूर्ववर्ती रूढ़िवादी नेताओं की तरह ही सैनिकों को अमेरिकी सेना के साथ लाइव फायर अभ्यास का आदेश दे दिया है. इसके साथ ही उन्होंने उत्तर कोरिया पर ज्यादा दबाव और प्रतिबंधों का भी समर्थन किया है. राष्ट्रपति मून जेइ इन यहीं नहीं रुके उन्होंने अधिकारियों को अमेरिका से दक्षिण कोरियाई मिसाइलों की शस्त्र क्षमता बढ़ाने के लिए बातचीत की तारीख पक्की करने को भी कहा है.

Südkorea Vereidigung Präsident Moon Jae-in
तस्वीर: Getty Images/Chung Sung-Jun

राष्ट्रपति मून के रुख में बड़ा नाटकीय बदलावा आया है. उन्होंने अपनी सेना को दक्षिण कोरिया में मौजूद अमेरिकी कमांडरों से विवादित मिसाइल डिफेंस सिस्टम के ज्यादा लॉन्चरों को अस्थायी रूप से तैनात करने के लिए बातचीत करने को कहा है. इससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि मून उत्तर कोरिया के खिलाफ अपने रुख में सख्ती दिखा रहे हैं. जाहिर है कि उनके पास शायद इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं. डोंगुक यूनिवर्सिटी में उत्तर कोरिया के जानकार और मून के नीति सलाहकार को यू ह्वान कहते हैं कि दक्षिण कोरिया अब उस मोड़ से बहुत आगे चला गया है जहां वह बातचीत के लिए उत्तर कोरिया से "गिड़गिड़ाते" हुए दिखना सहन कर पाता.

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान मून के दिये बयान को उन्हीं के शब्दों में उनके वरिष्ठ प्रेस अधिकारी यून योंग चान ने बताया, "विदेश नीति और सुरक्षा से जुड़े मंत्रालयों को अमेरिका समेत हमारे सहयोगी देशों के साथ मिल कर काम करना चाहिए जिससे कि उकसावे की कार्रवाई के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उपायों को लागू किया जा सकें." यून का कहना है कि मून ने सरकारी अधिकारियों को उत्तर कोरिया के खिलाफ एकतरफा प्रतिबंध लगाने की संभावना के बारे में भी विचार करने को कहा है.

हालांकि राष्ट्रपति के दफ्तर और बाद में विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयानों में कहा गया है कि सरकार ने उत्तर कोरिया के साथ बातचीत की उम्मीदें अभी छोड़ी नहीं हैं. लेकिन इसके साथ ये भी कहा है कि उत्तर कोरिया के ताजा परीक्षणों में क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति को बुनियादी रूप से बदल देने की क्षमता है. मून ने इस बात पर भी जोर दिया कि "कठोर और वास्तविक उपाय" किये जाने चाहिए जिससे कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों के मंसूबों को छोड़ दे.

Nordkorea Kim Jong Un Freude über den erfolgreichen Raketenstart
तस्वीर: Reuters/KCNA

मून दक्षिण कोरिया में बीते दशक भर के रूढ़िवादी शासन के दौरान कठोर लागू की गई कठोर नीतियों की आलोचना करते रहे हैं. उनका कहना है कि इन नीतियों से उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों और मिसाइलों को नहीं रोका जा सका और अपने प्रतिद्वंद्वी से निपटने की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों में दक्षिण कोरिया की आवाज कम होती चली गई.

हालांकि कुछ दक्षिण कोरियाई विशेषज्ञों का मानना है कि मून आखिरकार उसी नीति पर चलेंगे जो उनके पूर्ववर्ती पार्क ग्वेन हई की थी. जानकारों का कहना है कि दक्षिण कोरिया के पास उत्तर कोरिया से किम जोंग उन के दौर में निपटने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं हैं. खासतौर से तब तक जब तक कि किन जोंग उन परमाणु हथियारों और मिसाइलों के अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर लेते.

USA Moon Jae-in und Donald Trump
तस्वीर: picture alliance/newscom/K. Dietsch

मून जेइ इन ने जुलाई में परीक्षणों के तुरंत बाद बर्लिन में कहा था कि वो बातचीत के लिए प्रतिबद्ध हैं. लौट कर सियोल पहुंचने के बाद उन्होंने दोनों देशों की सेना और रेड क्रॉस के बीच बातचीत का प्रस्ताव भी रखा था ताकि 1950-53 के कोरियाई युद्ध में बिछड़े लोगों को उनके परिवार से मिलाने के लिए अस्थायी रूप से सीमा पर इंतजाम किये जा सकें. लेकिन उत्तर कोरिया मून के बयानों का मजाक उड़ाने में लगा रहा और उसने बातचीत के प्रस्तावों पर भी कोई जवाब नहीं दिया. सियोल के कोरिया इंस्टीट्यूट ऑप नेशनल यूनिफिकेशन में सीनियर फेलो पार्क ह्यूंग जुंग का कहना है, "उत्तर कोरिया अपने टाइमटेबल पर काम करता है और उसे सिर्फ उसके परमाणु हथियार और मिसाइल विकास की योजनाओं की ही बात समझ में आती है. दक्षिण कोरिया के बातचीत के प्रस्तावों या प्रतिबंधों को मजबूत बनाने जैसी बातों का उस पर कोई असर नहीं होगा."

अमेरिका और सियोल ने पहले टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस एंटी मिसाल सिस्टम (थाड) की तैनाती को इसी साल के आखिर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा था लेकिन मई में मून ने सत्ता में आने के बाद इसकी समयसीमा आगे बढ़ा दी. मून ने स्थानीय लोगों की चिंताओं को ध्यान रखते हुए तैनाती वाली जगह पर ज्यादा कठोर पर्यावरण के नियम लागू कर दिया और उनका पालन होने की शर्त रख दी. चुनाव प्रचार के दौरान मून ने ये भी कहा था कि वो थाड की तैनाती पर फिर से विचार करेंगे क्योंकि इससे चीन नाराज है. चीन दक्षिण कोरिया का सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है और वह इस एंटी मिसाइल सिस्टम को सुरक्षा के लिहाज से खतरे के रुप में देखता है.

एनआर/ओएसजे (एपी)