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उत्तर कोरिया पर यूएन प्रतिबंधों का क्या असर होगा?

१२ सितम्बर २०१७

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से उत्तर कोरिया पर नये प्रतिबंधों के लिए अमेरिकी प्रस्ताव पास कर दिया है. इन प्रतिबंधों का उत्तर कोरिया के लिए क्या मतलब है? उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था पर इनका क्या असर होगा?

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Nordkorea Kim Jong-un
तस्वीर: Reuters/KCNA

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से उत्तर कोरिया पर नये प्रतिबंधों के लिए अमेरिकी प्रस्ताव पास कर दिया है. इन प्रतिबंधों का उत्तर कोरिया के लिए क्या मतलब है? उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था पर इन प्रतिबंधों का क्या असर होगा?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2375 के जरिये उत्तर कोरिया पर अंकुश लगाने की कोशिश की गयी है हालांकि चीन और रूस का समर्थन हासिल करने के लिए अमेरिका ने पहले ही इन प्रतिबंधों को आसान बना दिया था. अब जो प्रतिबंध लगे हैं उनका पालन करने में भी मुख्य भूमिका चीन और रूस की ही होगी.

Öl gegen Reaktorabschaltung
तस्वीर: AP

नये प्रस्ताव में उत्तर कोरिया के लिए प्राकृतिक गैस की ढुलाई पर रोक गयी है. कच्चे तेल की ढुलाई को भी मौजूदा स्तर से बढ़ाया नहीं जा सकेगा. इसके अलवा रिफाइंड पेट्रोल और डीजल की सीमा भी तय कर दी गयी है. उत्तर कोरिया के पास अपना तेल बहुत कम है. ऐसे में, उसे अपने नागरिकों और सेना को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए मुख्य रूप से पेट्रोलियम के आयात पर निर्भर करना पड़ता है. अमेरिका ने पहले ऑयल इम्बार्गो लगाने का प्रस्ताव रखा था लेकिन चीन इसकी कड़ी मुखालफत करता है. ऐसे में, इसे प्रस्ताव से निकाल दिया गया. इसकी जगह दुनिया के किसी भी देश से उत्तर कोरिया को साल भर में होने वाले कच्चे तेल की ढुलाई की सीमा तय कर दी गयी है. चीन उत्तर कोरिया को कितना तेल हर साल भेजता है, उसके आंकड़े जारी नहीं करता लेकिन अनुमान है कि हर साल करीब 40 लाख बैरल कच्चा तेल चीन से उत्तर कोरिया जाता है. प्रस्ताव में उत्तर कोरिया के लिए हर साल 20 लाख बैरल तेल उत्पाद की सीमा भी तय की गयी है.

संयुक्त राष्ट्र डब्ल्यूटीओ के अंतरराष्ट्रीय ट्रेड सेंटर का अनुमान है कि इससे उत्तर कोरिया को तेल उत्पाद की सप्लाई में करीब 15 फीसदी की कटौती होगी. हालांकि कुछ विश्लेषक मानते हैं कि यह कटौती 56 फीसदी तक हो सकती है. सियोल की सेजोंग यूनिवर्सिटी के चेओंग सेओंग चांग कहते हैं, "यह उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था के लिए लाल बत्ती जैसा है लेकिन इसका उत्तर कोरिया की सेना पर ज्यादा असर नहीं होगा क्योंकि कच्चे तेल की सप्लाई तो समान ही रहनी है." अहम बात यह है कि प्रतिबंधों के प्रस्ताव में "जीविका के उद्देश्यों" के लिए छूट दी गयी है. पहले के प्रस्ताव में भी इस तरह की छूट रही हैं जिनकी मदद से उत्तर कोरिया पर ज्यादा असर नहीं होता. कोरिया नेशनल डिप्लोमैटिक एकेडेमी के किम ह्यून वूक चेतावनी देते हैं, "यह जानने का कोई साधन नहीं है कि पाइपलाइन के जरिये चीन कितना तेल उत्तर कोरिया को भेज रहा है."

प्रस्ताव में कोरिया से कपड़ों के आयात निर्यात पर रोक लगा दी गयी है. इनमें कपड़े और सिले हुए वस्त्र भी शामिल हैं. कपड़ा उत्तर कोरिया का प्रमुख निर्यात है. एक अनुमान है कि हर साल उत्तर कोरिया 75 करोड़ अमेरिकी डॉलर का कपड़ा निर्यात करता है. चीन इसके लिए कच्चा सामान उत्तर कोरिया को देता है जिन्हें कोरियाई फैक्ट्रियों में सस्ते मजदूर तैयार करते हैं और इन्हें वापस चीन को भेज दिया जाता है. सियोल की यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कोरियन स्टडीज के प्रोफेसर कू काब वू कहते हैं, "इनमें से ज्यादातर सामान चीन और रूस जाता है तो ये देश प्रतिबंधों को कैसे लागू करते हैं, इस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा." संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बताती है कि मौजूदा साल के पहले छह महीने में उत्तर कोरिया ने करीब 27 करोड़ अमेरिकी डॉ़लर पहले से लगी पाबंदियों में "प्रतिबंधित सामानों का निर्यात करके" कमाये हैं.

Nordkorea Pjöngjang Fabrik Textil Arbeiterin
तस्वीर: AFP/Getty Images

प्रस्ताव में उन देशों को उत्तर कोरियाई कामगारों के लिए नये परमिट जारी करने पर रोक लगायी गयी है जहां उत्तर कोरिया के लोग काम करते हैं. फिलहाल उत्तर कोरिया के 93000 कामगार विदेशों में काम करते हैं. मध्यपूर्व के देशों के साथ ही रूस और चीन में निर्माण क्षेत्र में लगे उत्तर कोरियाई कामगार अपने देश के लिए बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित करते हैं. विश्लेषकों का कहना है कि इस रोक का तुरंत असर तो नहीं दिखेगा लेकिन आने वाले समय में उत्तर कोरिया पर दबाव बढ़ेगा.

नये प्रस्ताव में उन जहाजों की तलाशी लेने का अधिकार दिया गया है जिनमें शक हो कि उत्तर कोरिया का प्रतिबंधित सामान जा रहा है. हालांकि इसके लिए पहले उस देश से अनुमति लेनी होगी जिस देश का यह जहाज होगा. अमेरिका तलाशी का अधिकार सुरक्षा बलों को देना चाहता था लेकिन चीन और रूस ने इसका कड़ा विरोध किया. उत्तर कोरिया पर अफ्रीका और मध्य पूर्व के देशों को हथियार बेचने का संदेह किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र का कहा है कि वह उत्तर कोरिया और सीरिया के बीच "रासायनिक, बैलिस्टिक मिसाइल और पारंपरिक हथियारों के सहयोग" की पड़ताल कर रहा है.

एनआर/एके (एएफपी)