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उत्तर कोरिया के श्वेतपत्र में अमेरिका पर संगीन आरोप

३१ जनवरी २०१८

उत्तर कोरिया ने एक बार फिर अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का प्रशासन मानवाधिकारों का सबसे अधिक हनन कर रहा है.

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Nordkorea Kim Jong Un
तस्वीर: Reuters/KCNA

कोरियाई समाचार एजेंसी ने अमेरिका में मानवाधिकारों के कथित हनन पर उत्तर कोरियाई सरकार की ओर से जारी एक श्वेत पत्र छापा है. दरअसल उत्तर कोरिया में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने उसकी कड़ी निंदा की थी. साथ ही अनुमान लगाया गया था कि उत्तर कोरिया की सख्ती का शिकार अब तक तकरीबन 1.20 लाख राजनीतिक बंदी हो चुके हैं. अमेरिका की ओर से जारी वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में उत्तर कोरिया को मानवाधिकार के मामले में सबसे बुरा देश कहा गया था. उसी के जवाब में उत्तर कोरिया की ओर से यह श्वेत पत्र जारी किया गया है.

उत्तर कोरिया ने इस श्वेत पत्र में कहा है कि अमेरिका जो स्वयं को "लोकतंत्र का रक्षक" मानता है, वही अब मानवाधिकारों को तवज्जो नहीं दे रहा है, लेकिन वह कभी अपनी इस पहचान को सामने आने नहीं देगा."

उत्तर कोरिया ने कहा कि नस्लीय भेदभाव, आपसी विद्रोह और गलतफहमियां अमेरिका के समाज में बनी हुई है लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद यह बढ़ रही हैं. अपने बयान को साबित करते हुए उत्तर कोरिया ने अमेरिका में पिछले साल हुए विरोध प्रदर्शनों का हवाला भी दिया.

श्वेत पत्र में कहा गया है कि अमेरिकी कामकाजी वर्ग परेशानियों से जूझ रहा है और वह घर और नौकरियों से वंचित है. श्वेत पत्र के मुताबिक अमेरिकी लोगों को कई मौकों पर स्वास्थ्य सेवाओं का पैसा भी देना होता है, लेकिन ट्रंप प्रशासन के लगभग सभी अधिकारी करोड़पति हैं.

उत्तर कोरिया में सजा पाने वाले राजनीतिक बंदियों के बयानों के आधार पर बनाई गई साल 2014 की एक रिपोर्ट के बाद संयुक्त राष्ट्र आयोग ने उत्तर कोरिया को मानवाधिकारों का सबसे ज्यादा हनन करने देश वाला बताया था. लेकिन उत्तर कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट को अमेरिका और इसके साथी देशों की ओर से बनाई गई एक काल्पनिक रिपोर्ट कहा.

एए/एके (एएफपी)