उत्तर कोरिया का परमाणु केंद्र क्या बेकार हो चुका है?
३० अप्रैल २०१८पुन्ग्ये री परीक्षण केंद्र देश के उत्तर पूर्वी इलाके में एक पहाड़ की तलहटी में बना है. यहीं से उत्तर कोरिया ने अपने सभी छह परमाणु परीक्षण किए हैं. आखिरी परीक्षण पिछले साल सितंबर में किए गए. अब इस बात के कयास लगाए जा रहे है कि क्या सितंबर के परीक्षण इस केंद्र के लिए आखिरी साबित होंगे. परमाणु हथियारों को त्यागने पर उत्तर कोरिया के साथ कूटनीतिक प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ी है और किम जोंग उन के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की मुलाकात का बड़ी बेसब्री से इंतजार हो रहा है.
परमाणु परीक्षण का यह केंद्र उत्तर पूर्वी प्रांत नॉर्थ हामग्योंग में है जिसकी सीमा चीन से लगती है. ऊंचे पथरीले पहाड़ों और गहरी घाटियों से ढंके ग्रेनाइट के एक 2000 मीटर ऊंचे पहाड़ के नीचे यह केंद्र बनाया गया है. परीक्षण के लिहाज से इसे आदर्श जगह बताया जाता है जो नाभिकीय धमाकों से निकलने वाली विशाल ऊर्जा को सह सकती है. दुनिया को इस जगह का पता तब चला जब 2006 में उत्तर कोरिया ने पहला परमाणु परीक्षण किया. तब किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल का देश में शासन था. इसके बाद से ही इस जगह पर उपग्रहों के जरिए निगाह रखी जा रही है.
यहां आने पर अलग अलग दिशाओं में बनी सुरंगे दिखाई देती हैं. खुफिया सेवाओं के अधिकारी बताते हैं कि पहला टेस्ट पूर्वी सुरंग में किया गया था जबकि दूसरा और तीसरी पश्चिमी सुरंग में. बाकी के सभी परीक्षण उत्तरी सुरंग में किए गए.
परीक्षणों ने दुनिया को यह बताया कि उत्तर कोरिया ने परमाणु कार्यक्रम में तेजी से प्रगति की है. खासतौर से 2011 में किम जोंग इल की मृत्यु के बाद किम जोंग उन के सत्ता में आने के महज छह सालों में ही चार परीक्षण किए गए.
पहले परीक्षण को तो नाकाम बताया जाता है क्योंकि इससे निकली ऊर्जा महज एक किलोटन के बराबर ही थी, लेकिन छठे परीक्षण में करीब 250 किलोटन के बराबर ऊर्जा निकली. अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर जो परमाणु बम गिराया था उसकी तुलना में यह करीब 16 गुना ज्यादा शक्तिशाली था.
पुंग्ये री के चीन की सीमा के करीब होने की वजह से चीन को भी चिंता हुई क्योंकि छठे परीक्षण से पैदा हुई जमीन में हलचल को सीमापार के इलाकों में भी महसूस किया गया और बहुत से लोग घबराहट में अपने घरों से निकल कर भागने लगे.
धमाकों के बढ़ते असर ने पुंग्ये री केंद्र की सुरक्षा को लेकर भी चिंता पैदा की, कुछ चीनी वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी कि इसकी वजह से एक बड़े इलाके में रेडियोधर्मी विकिरण के फैलने का खतरा है. इस परीक्षण केंद्र को बंद करने का एलान होने के बाद एक बार फिर इसे लेकर चिंता बढ़ गई है. किम उन जोंग ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को इस केंद्र का मुआयना करने के लिए मई में आमंत्रित करेंगे.
कई लोगों ने इसे लेकर आशंका भी जताई है कि किम इस वादे के जरिए एक दगे हुए कारतूस का सौदा कर रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक यह केंद्र पहले ही बेकार हो चुका है. चीन के यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के भूकंपविज्ञानियों की एक हाल में की गई रिसर्च भी बताती है कि मंटप चोटी के नीचे चट्टान ध्वस्त हो गई हैं और अब ये बेकार हैं. हालांकि अमेरिका के मिडलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटजिक स्टडीज के जेफरी लुईस ने इस दावे को खारिज किया है. उनके मुताबिक इस बात का कोई आधार नहीं है कि इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता और यह वादा "बेकार चीजों को छोड़ने का मामला नहीं है."
उत्तर कोरिया लंबे समय से यह दावा करता रहा है कि उसके परमाणु परीक्षणों से पर्यावरण को कोई खतरा नहीं है, उसका यह भी कहना है कि परीक्षणों के बाद कोई "रेडियोधर्मी रिसाव" नहीं हुआ है. हालांकि दक्षिण कोरिया और जापान की मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि इस केंद्र में काम करने वाले कर्मचारी और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोग रेडियोधर्मी विकरण की चपेट में आए हैं उनमें कैंसर और अविकसित बच्चों के जन्म के लक्षण दिखाई दिए हैं. उत्तर कोरिया के कुछ बागियों और रिसर्चरों के हवाले से यह खबरें दी गई हैं.
इन खबरों के सामने आने पर दक्षिण कोरिया के एकीकरण मंत्रालय ने 30 बागियों का मेडिकल चेकअप भी कराया जो इसी इलाके से भाग कर आए थे. इनमें से चार लोगों में ऐसे लक्षण दिखाई पड़े जिन्हें रेडियोधर्मी विकरण की चपेट में आने का नतीजा माना जा सकता है हालांकि रिसर्चरों ने यह मानने से इनकार किया कि स्वास्थ्य की समस्याएं परमाणु परीक्षणों की वजह से हुई हैं.
एनआर/ओएसजे (एएफपी)