उजली कार बचाएगी जान
४ अप्रैल २०१२कार का रंग आपकी छवि और स्टाइल से मेल खाए इसकी परवाह सबको रहती है, होनी भी चाहिए लेकिन क्या सचमुच इन काली, नीली, पीली, लाल, सफेद रंगों का सवारी की सुरक्षा से भी कोई लेना देना है. जानकार बता रहे हैं कि कार के रंग का सवारी की सुरक्षा से बहुत गहरा नाता है.
जर्मनी में टुफ नॉर्ड टेस्ट एजेंसी गाड़ियों की जांच कर बताती है कि यह सुरक्षा के लिहाज से कितनी बेहतर है. एजेंसी का कहना है कि सफेद कारों के दूसरी गाड़ियों से टकराने की आशंका सबसे कम होती हैं क्योंकि कम गाड़ी से बाहर अगर कम रोशनी हो तब भी यह कारें दूर से ही नजर आ जाती हैं. इस मामले में सबसे बुरी हालत काली गाड़ियों की है जो सूरज की चमकती रोशनी में भी आंखों में चमक नहीं भर पातीं. इस मामले में काली कारों के बाद भूरी और इसी तरह के दूसरी गहरी रंगों वाली गाड़ियों का नंबर आता है.
दुनिया भर में होने वाली कार हादसों के आंकड़े बताते हैं कि गहरे रंग वाली गाड़ियों में जोखिम भी ज्यादा होता है. चमचमाते और जोश से भरे सफेद, पीले और दूसरे रंग उन पर पड़ने वाली किरणों को ज्यादा बेहतर तरीके से परावर्तित करते हैं और नतीजा यह होता है कि बहुत दूर से ही यह कारें नजर आने लगती हैं. स्वीडन में हुए एक रिसर्च में पता चला कि गुलाबी कारें सबसे कम हादसे का शिकार होती हैं. उधर धरती के दूसरे छोर पर ऑस्ट्रेलिया में हुए एक रिसर्च से पता चला कि सफेद कारों के मुकाबले काली कारों के हादसे का शिकार होने की दर 12 फीसदी ज्यादा है. इसके बाद भूरी और चांदी के रंग वाली कारों की बारी आती है.
न्यूजीलैंड की ऑकलैंड यूनिवर्सिटी की रिसर्च में तो कार के रंग और सवारियों को घायल करने वाले हादसों के बारे में भी संबंध सामने आ गया. यूनिवर्सिटी के रिसर्च से पता चला कि जो लोग भूरी कार चला रहे हैं कार हादसों में उनके जख्मी होने का सबसे ज्यादा खतरा है. काली और हरी कार चलाने वालों को भी कार हादसों में ज्यादा खतरे की जद में रहने वाला माना गया है.
इन आंकडों और रिसर्च को शत प्रतिशत भरोसेमंद अगर न माना जाए तो भी इन बात में दम तो है ही. तो जिन लोगों के पास पहले से ही कार है वो एक बार फिर उसके रंग को लेकर अपने मोह के बारे में विचार करें और जो नई कार खरीदने जा रहे हैं वो जरा सावधान हो कर फैसला करें. एनआर/एएम(डीपीए)