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ईरान ने दी जासूसी के लिए मौत की सजा

२५ अक्टूबर २०१७

ईरान में एक डॉक्टर को इस्राएल के लिए जासूसी करने के आरोप में मौत की सजा सुनायी गयी है. उस पर स्वीडेन में स्टे परमिट पाने के बदले ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में सूचना देने का आरोप है.

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Versehen
तस्वीर: IRNA

तेहरान के महाधिवक्ता अब्बास जफारी दौलताबादी का कहना है कि इस्राएली खुफिया एजेंसी मोसाद के एजेंटों को दी गयी सूचना के कारण 2010 में परमाणु वैज्ञानिकों मजीद शहरियारी और मसूद अली मोहम्मदी की बम हमले में हत्या कर दी गयी. दौलताबादी ने उस व्यक्ति का नाम नहीं बताया है जिसे मौत की सजा दी गयी है. ईरान ने बुधवार को ये जानकारी दी. इसके पहले नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने ईरान में पैदा हुए एक बुद्धिजीवी को मौत की सजा दिए जाने की खबर दी थी. 

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोमवार को कहा था कि अप्रैल 2016 से ईरान में गिरफ्तार इमरजेंसी मेडिसीन स्पेशलिस्ट अहमदरजा जलाली को इस्राएल सरकार के साथ काम करने का दोषी पाया गया. मानवाधिकार संगठन ने स्वीडन, इटली और बेल्जियम में पढाई करने वाले चिकित्सक के खिलाफ मुकदमे की आलोचना करते हुए जलाली को रिहा करने की मांग की थी.

2010 से 2012 के बीच ईरान में पांच परमाणु वैज्ञानिक हमलों में मारे गये थे. ईरान की सरकार ने इस्राएल और अमेरिका पर इन हमलों में शामिल होने का आरोप लगाया था. दौलताबादी ने जलाली का नाम लिए बिना कहा, "अभियुक्त की गतिविधियों में एक सैनिक और परमाणु शोघ में लगे 30 विलक्षण लोगों के बारे में कुछ जानकारी देना था."

ईरानी कानून के तहत जब तक अपील की कार्रवाई पूरी नहीं हो जाती सजा पाने वाले अभियुक्त का नाम जाहिर नहीं किया जाता. 2012 में ईरान ने मजीद जमाली फाशी को मौत की सजा दे दी थी. उसे मोसाद के साथ काम करने और अलीमोहम्मदी की हत्या करने का दोषी पाया गया था. उसके बाद से परमाणु वैज्ञानिक शाहरान अमीरी सहित तीन लोगों को इस्राएल और अमेरिका के साथ सहयोग के आरोप में फांसी पर लटकाया जा चुका है.

एमजे/एनआर (एएफपी)