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ईरान को मनाने की कोशिश

५ अप्रैल २०१३

दुनिया के ताकतवर देशों और ईरान के बीच परमाणु संकट का हल निकालने के लिए कजाकिस्तान में शुक्रवार को बैठक शुरू हो गई है. प्रतिबंधों की मार और इस्रायली हमले की आशंका झेल रहे है ईरान को मनाने की कोशिश.

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तस्वीर: Reuters

कजाकिस्तान के पहाड़ी शहर अलमाटी में बातचीत का सारा दारोमदार इस बात पर है कि क्या ईरान अंतरराष्ट्रीय ताकतों की उन मांगों को मानेगा जो पिछले साल इसी शहर में ताकतवर देशों ने उसके सामने रखी थी. तब बातचीत दोनों पक्षों की भविष्य के लिए सहमी उम्मीदों के साथ खत्म हुई थी. ईरान ने तब मुलाकात को "सकारात्मक" और अंतरराष्ट्रीय ताकतों ने "उपयोगी" कहा था.

नए दौर की बातचीत शुरू होने से पहले ईरान के मुख्य वार्ताकार सईद जलील के तेवर बहुत खुशनुमा नहीं थे और उन्होंने यही संकेत दिए कि ईरान पश्चिमी देशों की मांग पर बहुत कुछ छूट देने वाला नहीं है. जलील ने छह ताकतवर देशों के गुट से मांग की है कि वह यूरेनियम संवर्धन के ईरान के अधिकार को मान्यता दे. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य और जर्मनी की सदस्यता वाले ताकतवर देशों का गुट ईरान से बातचीत कर रहा है. बातचीत से पहले जलील ने कहा, "हमारा ख्याल है कि शुक्रवार को बातचीत बस एक लाइन के साथ शुरू हो सकती है और वो यह कि ईरान के अधिकार को मान्यता मिले, खासतौर से यूरेनियम संवर्धन के."

Saeed Jalili, Iran, Catherine Ashton
एश्टन और जलीलतस्वीर: Reuters

ईरान की मांग पर पश्चिमी देशों का रुख जाहिर है कि विरोध का ही होगा क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने ईरान के यूरेनियम संवर्धन पर रोक लगा रखी है और छिपा कर किए जाने वाले संवर्धन के लिए उस पर भारी प्रतिबंध लगा रखा है. हालांकि जलील ने कहा है, "उम्मीद है कि अलमाटी हमें फिर वह कड़वा अनुभव नहीं दोहराएगा जिससे हम हमारी क्रांति के पिछले 34 सालों में गुजरते रहे हैं, वो इस बार सही नतीजे पर पहुंचेंगे." जलील ने अमेरिकी वार्ताकार के साथ अकेले में होने वाली मुलाकात को लेकर बहुत उत्साह नहीं दिखाया. अमेरिका लंबे समय से इस मुलाकात की मांग कर रहा है. जलील ने कहा, "हमारा देश चाहता है कि अमेरिका अपना रवैया बदले और सिर्फ कहने के लिए नहीं, अलमाटी में इसकी एक बार और परख होगी."

इस बातचीत का नाकाम होना दोनों पक्षों के लिए भारी पड़ेगा. जंग हुआ तो तेल की कीमतों में और इजाफा होगा और फिर दूसरी क्षेत्रीय ताकतों के लिए भी मुश्किलें सामने आएंगी जो पहले से ही मध्यपूर्व की अस्थिरता के कारण परेशान हैं. इस्रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने इसी हफ्ते चेतावनी दी कि बातचीत को लंबे दौर तक खींचते रहने नहीं दिया जा सकता. क्योंकि इन सब के बीच ईरान संवर्धन जारी रखे हुए है. पश्चिमी देशों को खासतौर से इस बात की चिंता है कि ईरान के प्लूटोनियम का संवर्धन 20 फीसदी के स्तर तक जा पहुंचा है. पश्चिमी देश चाहते हैं कि 20 फीसदी संवर्धित यूरेनियम के भंडार को ईरान देश से बाहर भेज दे. ईरान का कहना है कि वह बम नहीं बना रहा बल्कि अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए यूरेनियम का संवर्धन कर रहा है.

Iran Atomfabrik Fordo bei Ghom
फोर्दो में परमाणु संयंत्रतस्वीर: picture-alliance/dpa

अंतराष्ट्रीय ताकतों ने फरवरी में यह प्रस्ताव रखा कि ईरान फोर्दो के रिएक्टर को बंद कर दे और उसके बदले में उसे कुछ रियायतें दी जाएंगी जिससे आगे चल कर कुछ बड़े कदमों की उम्मीद बंधेगी. ईरान को कुछ बहुमूल्य धातुओं के कारोबार और भुगतान हासिल करने के कुछ बंद रास्तों को खोलने की सुविधा देने की बात हो रही है. हालांकि ईरान ने ताकतवर देशों के रुख को असंतुलित कहा है. हालांकि एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने ताकतवर देशों के रुख को "उचित और संतुलित" करार दिया है. यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख कैथरीन एश्टन भी इस बातचीत में शामिल हो रही हैं और उन्होंने सकारात्मक उम्मीद जताई है. उधर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा है कि ईरानी पक्ष को यह साबित करना होगा कि उनका परमाणु कार्यक्रम सचमुच शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है.

एनआर/एमजे (एएफपी)

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