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ईयू अमेरिका व्यापार संधि को ग्रीनपीस का धक्का

२ मई २०१६

पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस सरकारों को हमेशा से परेशान करता रहा है. इस बार उसके निशाने पर अमेरिका और यूरोपीय संघ हैं. उसने मुक्त व्यापार समझौते का वार्ता से जुड़े कागजातों को सार्वजनिक कर दिया है.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/J. MacDougall

ट्रांस अटलांटिक मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत बंद कमरे की पीछे हो रही है. पिछले दिनों जर्मनी के सांसदों को बातचीत के मुद्दों और उस पर ईयू तथा अमेरिका के रुखों की जानकारी पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है. उन्हें जानकारी उपलब्ध तो कराई गई है लेकिन कई बंधनों के साथ. इस बीच अपने अभियानों के लिए बदनाम ग्रीसपीस ने एक अभूतपूर्व एक्शन के जरिए पूरे मामले में पारदर्शिता ला दी है. ग्रीनपीस ने गोपनीय दस्तावेजों को बर्लिन के ब्रांडेनबुर्ग गेट पर आम लोगों के लिए उपलब्ध करा दिया है.

ग्रीनपीस ने ब्रांडेनबुर्ग गेट पर शीशे का एक बॉक्स बनाया है जहां टीटिप रीडिंग रूम में आम लोग दस्तावेज को पढ़ सकते हैं, उसकी तस्वीर खींच सकते हैं और उसे डाउनलोड कर सकते हैं. इसके पहले ग्रीनपीस ने दस्तावेज के टेक्स्ट को "लोकतंत्र को पारदर्शिता चाहिए" के नारे के साथ जर्मन संसद भवन की इमारत पर बीम कर रखा था. पर्यावरण संगठन के राजनीतिक प्रतिनिधित्व विभाग के प्रमुख श्टेफान क्रूग ने कहा, "हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि इस मुद्दे पर बहस शुरू हो सके."

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ब्रांडेनबुर्ग गेट पर आम लोगों के लिए रीडिंग रूमतस्वीर: Getty Images/AFP/J. MacDougall

अब तक जर्मन सांसदों को निगरानी के तहत टीटिप के दस्तावेज देखने की अनुमति है, लेकिन इस दौरान वे न तो कोई नोट बना सकते हैं, न उसके किसी हिस्से की कॉपी कर सकते हैं और न ही उसके बारे में किसी से बात कर सकते हैं. हालांकि मुक्त व्यापार समझौते टीटिप पर हो रही बातचीत का असर लाखों लोगों की जिंदगी पर होगा, जिन्हें इस समझौते के बारे में कुछ भी पता नहीं है या बहुत कम पता है. क्रूग ने कहा, "हम इस वार्ता पर रोक और बहस की शुरुआत चाहते हैं."

ग्रीनपीस का अमेरिका पर आरोप है कि वह नियोजित मुक्त व्यापार वार्ता के जरिये यूरोप के पर्यावरण और उपभोक्ता सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज करना चाहता है. ग्रीनपीस का कहना है कि टीटिप वार्ता के हाल में समाप्त हुए 13वें चक्र की बातचीत में अमेरिका और ईयू के रुखों को दिखाने वाले दस्तावेज उन्हें गुपचुप दिए गए हैं. असली दस्तावेज की कॉपी के बदले उसे फिर से लिख कर प्रकाशित किया गया है. असली दस्तावेज को इस तरह मार्क किया गया है कि उसकी कॉपी करने पर उसके स्रोत को छुपाना संभव नहीं होगा.

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ग्रीनपीस के श्टेफान क्रूगतस्वीर: Reuters/F. Bensch

ग्रीनपीस के इस अभियान के पहले जर्मन दैनिक जुइड डॉयचे साइटुंग और सरकारी टीवी व रेडियो चैनलों एनडीआर और डब्ल्यूडीआर के रिसर्च नेटवर्क ने दस्तावेजों की जांच की है. ग्रीनपीस का कहना है कि उनके अनुसार ये दस्तावेज असली हैं. दस्तावेजों के सार्वजनिक होने के बाद मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति मुश्किल हो गई है. ग्रीनपीस द्वारा जारी दस्तावेजों के अनुसार दोनों पक्षों के बीच उपभोक्ता सुरक्षा, खाद्य सामग्री और पर्यावरण अधिकारों जैसे कई मुद्दों पर भारी मतभेद हैं.

ग्रीनपीस जैसे संगठन अमेरिकी दबाव के कारण बातचीत रोकने की मांग कर रहे हैं तो सत्ताधारी गठबंधन में शामिल सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के नेता वार्ता के विफल होने की बढ़ती संभावना देख रहे हैं. एसपीडी संसदीय दल के नेता थोमस ओपरमन ने कहा है, "अभी पता चली अमेरिका की मांगें स्वीकार्य नहीं हैं." उन्होंने कहा कि एसपीडी गैरसरकारी मध्यस्थता अदालतों और उपभोक्ता अधिकारों में कटौती की मांग नहीं मानेगी. जर्मन सरकार और यूरोपीय आयोग ने अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के अपने इरादे पर एक बार फिर से जोर दिया है और कहा है कि मांगों को बातचीत का नतीजा नहीं समझा जाना चाहिए.

एमजे/ओएसजे (डीपीए, रॉयटर्स)

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तस्वीर: Getty Images/AFP/J. MacDougall

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