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ई कचरे से जूझता यूगांडा

२७ अक्टूबर २००९

युगांडा में ई कचरे की समस्या को क़ाबू करने के लिए सरकार ने सेकंड हैंड कंप्यूटरों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. लेकिन इससे इन कंप्यूटरों को सुधारने वाले लोगों रोज़ीरोटी ख़तरे में पड़ी गई है.

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ई कचरे का ढेरतस्वीर: Simone Schlindwein

युगांडा की राजधानी कंपाला. हवा के साथ उड़ती धूल और उसके साथ चारों तरफ़ फ़ैले कचरे की गंध. केले के छिलकों और घरेलू कचरे के साथ ही बैटरी और कंप्यूटर चिप्स भी पड़ी हुई हैं. शहर से आठ ही किलोमीटर बाहर ये सारा कचरा इकट्ठा किया जाता है.
ख़तरे की घंटी

यह कचरा समय के साथ गंदे पानी में मिल जाता है. युगांडा का पर्यावरण विभाग इस पानी की जांच करता है. ओनेस्मुस मुहवेज़ी पर्यावरण मानकों का ध्यान रखते हैं और उन्हें लागू करने की कोशिश करते हैं. हालांकि वह परेशान हैं क्योंकि कचरे में कार्सेजेनिक यानी कैंसर पैदा करने वाले केमिकल्स हैं. "पानी में भारी धातुओं की मात्रा बहुत ही ज़्यादा है. जैसे कि लेड यानी सीसे की मात्रा एक लीटर में शून्य दशमलव एक होनी चाहिए लेकिन यहां एक दशमलव चार है. ये आंकड़ें ख़तरे की घंटी हैं."

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तस्वीर: Simone Schlindwein

युगांडा बड़ा बाज़ार

युगांडा में कचरे को अलग करने और छांटने के बारे कोई क़ानून नहीं है. ज़हरीले इलेक्ट्रॉनिक कचरे का क्या किया जाए, इस बारे में कोई नियम नहीं है. मंत्रालयों और कार्यालयों के गोदामों में ख़राब हो गये डेस्कटॉप कंप्यूटर और मॉनिटर ठूंस ठूंस कर भरे हुए हैं.

युंगाडा पहला ऐसा अफ्रीकी देश है जिसने सेंकडहैंड कंप्यूटरों और फ्रिज के आयात पर प्रतिबंध लगाया है. यहां के लोग नए कंप्यूटर नहीं ख़रीद सकते. इसलिए अब तक विदेशी सेंकड हैंड कंप्यूटरों के लिए ये बड़ा बाज़ार था. अब सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है.ओनेस्मुस मुहवेज़ी का मानना है कि "हमें तुरंत सटीक नियम चाहिए कि कैसे इस कचरे को इकट्ठा किया जाए और उससे कैसे निपटाया जाए. आयात किये गये सेंकड हैंड कंप्यूटरों का जीवनकाल बहुत कम होता था. इसलिए युंगाडा कि सरकार ने निर्णय लिया है कि वह अब सेकंड हैंड कंप्यूटर आयात नहीं करेगी."

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सेकंड हैंड इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का बड़ा बाज़ार युगांडातस्वीर: picture alliance / dpa

संयुक्त राष्ट्र की औद्योगिक विकास संस्था के सर्वे में सामने आया है कि युगांडा की आर्थिक और शैक्षिक प्रणाली इन कंप्यूटरों पर निर्भर है. क्या सेंकड हैंड कंप्यूटर के आयात पर प्रतिबंध से बड़ी मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी.. ओनेस्मस कहते है कि अब तो ऐसे नए कंप्यूटर भी आ गए हैं जो सस्ते हैं और आसानी से ख़रीदे जा सकते हैं.

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रोज़ी रोटी पर मारतस्वीर: Simone Schlindwein

ख़तरे में रोज़ी

मोसेस हर महीने 600 पुराने कंप्यूटर इंग्लैंड से आयात करते हैं. हर कंप्यूटर के लिए वह 70 यूरो देते हैं, इन कंप्यूटरों को ठीक करते हैं और फिर इन्हें सौ यूरो में बेच देते हैं. अच्छा व्यवसाय है, लेकिन अब आयात पर प्रतिबंध के कारण उनका धंधा बंद हो जाएगा

मोसेस का मानना है कि दुकान में रखे यूरोपीय कंप्यूटर काफ़ी लंबे समय तक चलते हैं. यही समस्या सैम्युएल अलिओरिस भी सामने रखते हैं. उनका युनिवर्सिटी के पास साइबर कैफ़े है और वह मोसेस से कई बार कंप्यूर ख़रीदते रहे हैं. कौतूहलवश उन्होंने चीन में बने कुछ सस्ते कंप्यूटर ख़रीदे जिनसे वह ख़ुश नहीं हैं. "मैंने आठ सस्ते कंप्यूटर ख़रीदे थे और आठ ही महीने के अंदर वे ख़राब होने लगे. कारण सिर्फ़ ये है कि वोल्टेज कम ज़्यादा होता रहता है जो कंप्यूटर नहीं झेल पाते. साथ ही कई पार्ट्स भी अच्छे नहीं हैं."

इसलिए अलिओरिस इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि चीन में बने कंप्यूटर युगांडा में इलेक्ट्रो कूड़े के ढेर में और बढ़ोतरी करेंगे क्योंकि वे यूरोपीय सेकंड हैंड कंप्यूटरों से कम समय तक चलते हैं. इन सेकंड हैंड कंप्यूटरों को स्थानीय इंजीनियर, कम से कम, रिपेयर तो कर ही सकते हैं.

रिपोर्टः डॉयचे वेले/आभा मोंढे

संपादनः राम यादव