इस्राएल पर फिर बरसा अमेरिका
१५ मार्च २०१०अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के सबसे नज़दीक़ी सलाहकारों में से एक डेविड एक्सेलरोड ने कहा, "यह एक अपमान है और इससे भी ज़्यादा क्षेत्र में शांति प्रक्रिया को बहाल करने के लिए कोशिशें इससे कमज़ोर होती हैं. हमने इस्राएल और फ़लीस्तीन से शुरुआती बात शुरू ही की है और ऐसे समय में इस्राएली घोषणा विध्वंसक है." इस्राएल ने 10 मार्च को अधिकतर अरब आबादी वाले पूर्वी यरुशलम में 1,600 घर बनाने की घोषणा की.
ख़ासकर अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडन के मध्यपूर्व दौरे के समय ऐसी घोषणा किए जाने से अमेरिका सख़्त नाराज़ है. बाइडन शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने के इरादे से मध्यपूर्व के दौरे पर गए जो दिसंबर 2008 से रुकी पड़ी है. फलीस्तीन और इस्राएल बातचीत बहाल करने के लिए सहमत भी हो चुके हैं.
इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भी इस मुद्दे पर इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू को फ़ोन कर झाड़ लगा चुकी है. 43 मिनट लंबी बातचीत में क्लिंटन ने कहा कि जब अमेरिका बार बार इस्राएल को सुरक्षा का भरोसा दे चुका है तो फिर ऐसी घोषणा करने की क्या ज़रूरत थी. इसके बाद एक्सेलरोड के बयान से फिर ज़ाहिर हो गया है कि अमेरिका इस्राएली योजना पर किस कदर नाराज़ है. बाइडन ने भी यरुशलम में बयान जारी कर इस्राएली योजना की निंदा की.
एक्सेलरोड ने कहा कि बाइडन और क्लिंटन के रुख़ से अमेरिकी सरकार की सोच साफ़ हो गई है और उम्मीद है कि नेतान्याहू को यह संदेश मिल गया है. उधर अमेरिका से बिगड़ते रिश्तों को देखते हुए इस्राएली सरकार ने अपने तेवर ढीले कर लिए हैं. प्रधानमंत्री नेतान्याहू ने इस योजना की घोषणा पर अफ़सोस तो जताया, लेकिन ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि 1,600 घरों का निर्माण रद्द करने की फ़लीस्तीनी मांग को माना जाएगा.
अपने मंत्रिमंडल की बैठक में नेतान्याहू ने कहा, "मेरा सुझाव है कि ज़्यादा भावुक होने की बजाय मामले को शांत किया जाए. एक अफ़सोसनाक घटना हुई. इससे ठेस पहुंची है और ऐसा नहीं होना चाहिए था." नेतान्याहू का इशारा बाइडन की मध्यपू्र्व यात्रा के दौरान 1,600 घरों की निर्माण के बारे में इस्राएली गृह मंत्रालय की घोषणा की तरफ़ ही था.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़